आयुक्त गढवाल मंडल श्री विनय शंकर पाण्डेय ने आपदा नियंत्रण कक्ष उत्तरकाशी में आयोजित मीडिया ब्रीफिंग में धराली आपदा को लेकर चलाए जा रहे राहत एवं बचाव अभियान तथा लापता लोगों की खोजबीन के प्रयासों के संबंध में जानकारी दी।
मंडलायुक्त ने बताया कि मुख्यमंत्री कें निर्देशानुसार धराली गांव के आपदा प्रभावित को तत्कालिक तौर पर पॉंच लाख रूपये की अनुग्रह राशि का वितरण शुरू किया जा चुका है। मुख्यमंत्री की घोषणा के अनुसार प्रभावितों के लिए राहत एवं पुनर्वास का बेहतर पैकेज तैयार कराया जा रहा है। जिसके लिए सचिव राजस्व की अध्यक्षता में तीन सदस्यों की एक उच्चस्तरीय समिति बनाई गई है। आपदा से हुई क्षति का आकलन और प्रभावितों से वार्ता के लिए समिति के सदस्य आज उत्तरकाशी पहॅुचेंगे।

मंडलायुक्त ने बताया कि आपदा प्रभावित क्षेत्र में युद्धस्तर पर रेस्क्यू अभियान चलाकर 1278 लोगों को सुरक्षित निकाला जा चुका है। प्रभावित क्षेत्र में फंसे सभी बाहरी लोगों एवं जरूरतमंद स्थानीय लोगों को वहां से निकाल लिया गया है। मलवे के भीतर दबे लोगों की खोज करना शासन की सर्वोच्च प्राथमिकता है। जिसके लिए एनडीआरएफ की टीम सहित अलग से एक विशेष अधिकारी मौके पर तैनात है। एसडीआरएफ के आईजी भी मौके पर कैम्प कर रहे हैं। देहरादून से 10 विशेषज्ञ भूवैज्ञानिकों की एक विशेष टीम भी भेजी गई है। राहत एवं बचाव कार्यों तथा सर्च ऑपरेशन को तत्परता से संचालित करने के लिए जिलाधिकारी लगातार प्रभावित क्षेत्र में ही कैम्प कर रहे हैं। प्रभावित लोगों को पर्याप्त मात्रा में खाद्यान्न, कपड़े व दैनिक उपयोग की सामग्री उपलब्ध कराई जा चुकी है।

मंडलायुक्त ने बताया कि अभी तक प्राप्त विवरण के अनुसार इस आपदा में 43 लोगों के लापता होने की सूचना मिली थी। जिनमें से धराली गांव के एक युवक आकाश पंवार का शव बरामद हुआ है। मृत युवक के परिजनों को आर्थिक सहायता प्रदान की जा चुकी है। शेष लापता 42 लोगोंं में 9 सेना के कार्मिकों के साथ ही धराली गांव के 08 तथा निकटवर्ती क्षेत्रों के 05 लोग शामिल हैं। टिहरी जिले का 01, बिहार के 13 और उत्तर प्रदेश के 06 व्यक्ति भी लापता बताए गए हैं।
इनके अतिरिक्त 29 नेपाली मजदूरों के लापता होने की भी सूचना मिली थी, जिनमें से मोबाईल नेटवर्क बहाल होने के बाद 05 व्यक्तियों से संपर्क हो चुका है। शेष 24 मजदूरों के संबंध में उनके ठेकेदारों से अधिक विवरण नहीं मिल पाया है। संबंधित ठेकेदारों को कहा गया है कि इन मजदूरों को जहां से लाया गया है, वहां से उनके मोबाईल नंबर तथा अन्य जानकारी प्राप्त की जाय। ऐसा माना जा रहा है कि अभी तक सकुशल मिले पॉंच मजदूरों की तरह शेष अन्य मजदूर भी अन्यत्र जा सकते है। केदारनाथ आपदा के दौरान भी लापता बताए गए कई लोग प्रभावित क्षेत्र से वापस अपने घर पहुंच चुके थे। अन्य राज्यों के लापता लोगों के घरों का पता जुटाकर भी उनकी खोज-खबर का प्रयास किया जा रहा है। इन लोगों के बारे में अंतिम वस्तुस्थिति एक-दो दिन में साफ होने की उम्मीद है।

हर्षिल में भागीरथी नदी पर बनी झील से पानी निकासी के प्रयास शुरू

मंडलायुक्त ने बताया कि हर्षिल में भागरथी नदी पर बनी झील से पानी निकासी के लिए सिंचाई विभाग और उत्तराखंड जल विद्युत निगम लि. के द्वारा गत दिन से काम शुरू कर दिया गया हैं।

डबरानी-सोनगाड क्षेत्र में सड़क मरम्मत हेतु पहॅॅुंची मशीनें, पैदल मार्ग पर सुरक्षा व सहायता के अनेक इंतजाम

मंडलायुक्त ने बताया कि आपदा प्रभावित क्षेत्र में सड़क संपर्क बहाल करने का काम तेजी से जारी है। गत रात्रि को लिमच्यागाड में वैली ब्रिज का निर्माण पूरा हो चुका हैं। अब डबरानी और सोनगाड क्षेत्र में क्षतिग्रस्त सड़क बहाल करने का काम चल रहा है। मंगलवार सायं तक इस क्षेत्र में सड़क संपर्क बहाल हो जाने की उम्मीद है। लिमच्यागाड में वैली ब्रिज बनने के बाद भारी मशीनों को डबरानी क्षेत्र में पहॅुचा दिया गया है।
डबरानी से सोनगाड तक लगभग पांच कि.मी. पैदल मार्ग पर एक हेल्प पोस्ट एवं मेडीकल कैम्प की व्यवस्था करने के साथ ही एसडीआरएफ व वायरलेस टीम को भी तैनात किया गया है। डबरानी से सोनगाड के बीच खच्चरों के माध्यम से गैस सिलिंडरों को भेजा शुरू कर दिया गया है। जिन हिस्सों में सड़क अवरूद्ध है वहां पर ट्रांशिपमेंट कर प्रभावित क्षेत्र के लिए जरूरी सामान की आपूर्ति की जा रही है। सड़क बाधित होने के कारण प्रभावित गांवों में प्रशिक्षित आपदा मित्रों एवं पंचायतराज विभाग के माध्यम से लगातार संपर्क किया जा रहा है। प्रभावित क्षेत्र में मोबाईल संपर्क उपलब्ध है। आपदा नियंत्रण कक्ष निरंतर संचालित हो रहा हैं। प्रभावित गांवों में कोई समस्या होने पर तत्काल सहायता पहॅूंचाए जाने की व्यवस्था सुनिश्चित की गई है।

मीडिया ब्रीफिंग के दौरान पुलिस महानिरीक्षक गढ़वाल परिक्षेत्र श्री राजीव स्वरूप भी उपस्थित रहे।

By Shashi Sharma

Shashi Sharma Working in journalism since 1985 as the first woman journalist of Uttarakhand. From 1989 for 36 years, she provided her strong services for India's top news agency PTI. Working for a long period of thirty-six years for PTI, he got her pen ironed on many important occasions, in which, by staying in Tehri for two months, positive reporting on Tehri Dam, which was in crisis of controversies, paved the way for construction with the power of her pen. Delivered.

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