death sentence,तीन साल की बच्ची से बलात्कार और बर्बर हत्या के मुजरिम को 6 साल बाद सजा ए मौत
death sentence,The culprit of rape and brutal murder of a three year old girl got death sentence after 6 years
3 साल की मासूम के गुप्तांग में बलात्कारी हत्यारे ने ठूँसे थे ईंट के टुकड़े और लकड़ी
बलात्कार के बाद कुचल दिया था मासूम का सिर,कोर्ट ने सुनाई फांसी की सजा
death sentence,तीन साल की बच्ची से बर्बरता से बलात्कार और हत्या के जुर्म में हरियाणा के गुरुग्राम की एक पॉक्सो अदालत ने मुजरिम सुनील को फांसी की सजा सुनाई है। अदालत ने उस पर हत्या व बलात्कार के मामलों में 50 हजार रुपए का जुर्माना लगाने के साथ ही सरकार को पीड़िता के परिवार के पुनर्वास के लिए 10 लाख रुपए के मुआवजे का भी आदेश दिया है। पॉक्सो अदालत की जज शशि चौहान ने फैसला सुनाते हुए अभियुक्त के खिलाफ दर्ज इसी तरह के चार अन्य मामलों का भी संज्ञान लिया। इनमें तीन मामले गुरुग्राम में और एक मामला मध्य प्रदेश में दर्ज है।
death sentence,यह घटना नवंबर 2018 की है जब तीन बच्चियां अपने घर के बाहर खेल रही थीं। तभी पेशे से मजदूर सुनील वहां पहुंचा और बच्चियों को दस रुपए का लालच देकर अपने साथ चलने को कहा। दो बच्चियां जाने को तैयार नहीं हुईं पर सुनील तीन साल की एक बच्ची को कुछ खिलाने का लालच देकर अपने साथ ले गया। शाम तक बच्ची जब घर नहीं लौटी तो उसके मां-बाप ने उसकी खोज शुरू की और थाने में शिकायत दर्ज कराई। अगले दिन एक मंदिर के सामने विकृत हालत में बच्ची का शव मिला। शव पर कटे के निशान थे, उसका चेहरा एक पालिथिन में लपेटा हुआ था और खोपड़ी को पत्थरों से वार कर कूचा गया था। बच्ची के गुप्तांगों में ईंटों के टुकड़े व लकड़ियां ठूंसी गई थीं। शव को देखने से ही स्पष्ट था कि बच्ची के साथ बेहद बर्बरता की गई है।
पुलिस ने हफ्ते भर बाद आरोपी को गिरफ्तार कर लिया और उसकी निशानदेही पर वारदात के समय पहने गए उसके कपड़े झांसी से बरामद किए। घटना के बाद गैरसरकारी संगठन बचपन बचाओ आंदोलन (बीबीए) जिसे एसोसिएशन फॉर वालंटरी एक्शन के नाम से जाना जाता है, की टीम पीड़िता के घर पहुंची और परिजनों को न्याय दिलाने का भरोसा दिया। बचपन बचाओ आंदोलन के वरिष्ठ वकील विद्या सागर शुक्ला ने अदालत में पीड़िता की तरफ से दलीलें पेश की और अभियुक्त के लिए मौत की सजा की मांग की।
फैसले पर संतोष जताते हुए विद्या सागर शुक्ला ने कहा, “मुझे इस बात की प्रसन्नता है कि पीड़िता के परिजनों को न्याय मिला और अपराधी को सजा मिली। यद्यपि पॉक्सो अदालतों में फैसले के लिए छह साल का समय नहीं लगना चाहिए। यह फैसला एक साल के भीतर ही हो जाना चाहिए था। त्वरित फैसले ऐसे अपराधों पर अंकुश लगाने में सहायक होंगे।”,death sentence
देश में पॉक्सो के मामलों पर बारीकी से नजर रखने वाले बाल अधिकार कार्यकर्ता और “एक्सेस टू जस्टिस कार्यक्रम” के कंट्री हेड रवि कांत ने उम्मीद जताई कि यह फैसला नजीर साबित होगा। उन्होंने कहा, “फास्ट ट्रैक स्पेशल अदालतों जैसी विशेषीकृत अदालतों की स्थापना का प्राथमिक उद्देश्य खास तौर से यौन अपराधों से बच्चों का संरक्षण (पॉक्सो) अधिनियम से मुड़े मामलों का त्वरित गति से निपटारा करना था। लेकिन अभी भी 31 जनवरी 2023 तक देश में 2,43,237 मामले लंबित थे और सिर्फ तीन फीसदी मामलों में ही अपराधियों को सजा हो पाई।”,death sentence
रवि कांत ने कहा, “पॉक्सो के मामलों में त्वरित गति से सख्त सजा देने से अपराधियों के मन में कानून का भय पैदा होगा और देश में बच्चों के यौन शोषण के मामलों में कमी आएगी। ऐसे में गुरुग्राम की पॉक्सो अदालत ने जो फैसला सुनाया है, उससे अपराधियों के मन में कानून का भय पैदा होगा और इसलिए यह स्वागत योग्य फैसला है।”,death sentence