Delay in justice, न्याय में देरी का विश्व रिकार्ड बनाती सबसे बड़े लोकतंत्र की न्यायपालिका

Delay in justice, The judiciary of the largest democracy has set a world record for delay in justice

मनोज कुमार अग्रवाल –

Delay in justice, तीन दशक पहले 1992 के अजमेर सेक्स स्कैंडल में अब बत्तीस साल बाद अदालत का फैसला आया है।

इस मामले के आरोपी नफीस चिश्ती, नसीम उर्फ ​​टार्जन जैसे 6 और हैवानों को आजीवन कारावास की सजा सुनाई गई है।

दुनिया भर की अदालत और कानून का राज देने वाले विश्व भर की न्याय व्यवस्थाओं में संभवतः हमारी अदालत और न्यायपालिका देरी का विश्व रिकॉर्ड कायम कर रही है। क्या यही है हमारी संविधान और लोकतंत्र की कानून व्यवस्था जिसमें न्याय देने में बत्तीस साल लग जाते हैं?, Delay in justice,

सैकड़ों नाबालिग व बालिग छात्राओं को एक स्कैंडल के तहत फंसा कर यौन शोषण करने के 1992 के बेहद शर्मनाक मामले में तीन दशक बाद निचली अदालत द्वारा आजीवन कारावास की सजा का फैसला सुनाना हमारे देश की न्याय व्यवस्था पर ही सवालिया निशान लगाता है।

राजस्थान का अजमेर ख्वाजा मोइनुद्दीन हसन चिश्ती की दरगाह और पुष्कर मंदिर की वजह से पूरी दुनिया में प्रसिद्ध हैं।इस धार्मिक शहर की आबोहवा में साल 1990 से 1992 तक कुछ ऐसा हुआ, जो ना सिर्फ भारतीय संस्कृति को कलंकित करने वाला था, बल्कि अजमेर के सामाजिक ताने-बाने पर बदनुमा दाग बन गया,Delay in justice,

उस वक्त एक स्थानीय दैनिकअखबार में एक ऐसी खबर छपी जिसने सबको हिलाकर रख दिया था।इस खबर में स्कूली छात्राओं को उनकी अश्लील तस्वीरों के जरिए ब्लैकमेल करते हुए उनका यौन शौषण किए जाने का पर्दाफाश किया गया था। ”बड़े लोगों की पुत्रियां ब्लैकमेल का शिकार” शीर्षक से प्रकाशित खबर ने पाठकों के हाथों में अखबार पहुंचने के साथ ही भूचाल ला दिया।क्या नेता, क्या पुलिस, क्या प्रशासन, क्या सरकार, क्या सामाजिक धार्मिक नगर सेवा संगठन से जुड़े लोग सब के सब सहम गए।यह कैसे हो गया? कौन हैं? किसके साथ हुआ?

इसके बाद खुलासा हुआ कि एक गिरोह अजमेर के बड़े नाम वाले गर्ल्स स्कूल में पढ़ने वाली लड़कियों को फार्म हाउसों पर बुला-बुला कर रेप करता रहा और उन लड़कियों के घरवालों को भनक तक नहीं लगी।रेप की गई लड़कियों में आईएएस, आईपीएस की बेटियां भी शामिल थीं।

इस पूरे कांड को अश्लील तस्वीरों के जरिए ब्लैकमेल करके अंजाम दिया गया था। पीड़ित लड़कियों की संख्या 100 से अधिक बताई गई थी।इन लड़कियों की उम्र 12 से 20 साल के बीच थी।

बताया गया है कि इस कांड की शुरूआत में सबसे पहले फारूक चिश्ती नामक एक शख्स ने पहले नामी स्कूल की एक लड़की को फंसाया।उसके साथ रेप किया।इस दौरान उसने उसकी अश्लील तस्वीरें खींच ली।इसके बाद वह इन अश्लील तस्वीरों के जरिए उसे ब्लैकमेल करने लगा।उससे स्कूल की दूसरी लड़कियों को बहला-फुसला कर लाने के लिए कहने लगा।मजबूरन वो लड़की अपनी सहेलियों को भी फार्म हाउस ले जाने लगी,Delay in justice

उन सभी के साथ रेप और ब्लैकमेल का खेल होता रहा। एक के बाद दूसरी, दूसरी के बाद तीसरी, इस तरह एक ही स्कूल की करीब सौ से ज्यादा लड़कियों के साथ रेप हुआ। घर वालों की नजरों के सामने से ये लकड़ियां फार्म हाउसों पर जाती थीं।उनके लेने के लिए बाकायदा गाड़ियां आती थीं।घर पर छोड़ कर भी जाती थीं। लड़कियों की रेप करते समय तस्वीरें ले ली जाती थीं।इसके बाद डरा-धमका कर और लड़कियों को बुलाया जाता।स्कूल की इन लड़कियों के साथ रेप करने में नेता, पुलिस, अधिकारी भी शामिल थे।

आरोप है कि फारूक चिश्ती रैकेट का सरगना था वहीं इस सेक्स रैकेट में उसके साथ नफीस चिश्ती और अनवर चिश्ती भी शामिल थे। तीनों ही उन दिनों यूथ कांग्रेस के नेता थे। फारूक अध्यक्ष पद पर था।इन लोगों की पहुंच दरगाह के खादिमों तक भी थी।खादिमों तक पहुंच होने के कारण रेप करने वालों के पास राजनैतिक और धार्मिक दोनों ही तरह की शक्तियां थी।रेप की शिकार लड़कियां ज्यादतर हिंदू परिवारों से थीं। रेप करने वाले ज्यादातर मुस्लिम समुदाय थे। इस वजह से पुलिस डरती थी।

आरोप तो यह भी है कि इस कांड के बारे में जानकारी होते हुए भी पुलिस कार्रवाई नहीं कर रही थी।उसे डर था कि कही साम्प्रदायिक दंगे न हो जाएं और उस संभालना मुश्किल न हो जाए। धीरे-धीरे इस स्कैंडल के बारे में पूरे शहर को पता चल गया. लड़कियों की अश्लील तस्वीरें हवा में तैरने लगी।

जिसे मौका मिलता वो हाथ साफ कर लेता।लड़कियों को ब्लैकमेल करके उनके साथ रेप करता।यहां तक कि निगेटिव से फोटो को डवलप करने वाला टेकनिशियन भी इसमें शामिल हो गया था,Delay in justice,

समाज में अपनी बेइज्जती होती देख लड़कियां एक-एक करके खुदकुशी करने लगी।उन्हें इस नर्क से निकलने रास्ता जिंदगी को खत्म करना ही समझ आया क्योंकि परिवार, समाज, पुलिस और प्रशासन तक कुछ नहीं कर रहा था। इस तरह 6-7 लड़कियों की खुदकुशी के बाद मामला संगीन हो गया.।

इसी बीच एक पत्रकार संतोष गुप्ता ने इस केस पर सीरीज शुरू कर दी।उनकी खबरों ने पुलिस और प्रशासन पर दबाव बनाना शुरू कर दिया। इसके बाद तत्कालीन भैरोसिंह सरकार ने इस मामले की जांच सीआईडी-सीबी को सौंपी थी।

पीड़िताओं से आरोपियों की पहचान कराई गई। 30 नवंबर 1992 को अजमेर कोर्ट में पहली चार्जशीट दायर हुई, जिसमें सभी 18 आरोपियों के नाम थे। 1994 में आरोपी पुरुषोत्तम जमानत पर बाहर आया और आत्महत्या कर ली। 18 मई 1998 को फास्ट ट्रैक कोर्ट ने पहला फैसला सुनाया। सभी को उम्रकैद की सजा दी। 20 जुलाई 2001 को हाई कोर्ट ने फैसला सुनाया, जिसमें 4 को बरी कर दिया गया। 19 दिसंबर 2003 को सुप्रीम कोर्ट ने चार दोषियों की उम्रकैद की सजा को 10 साल कर दिया। 20 अगस्त 2024 को स्पेशल पॉक्सो एक्ट कोर्ट (जिला अदालत) ने छह दोषियों को उम्रकैद की सजा सुनाई है। मामले में आरोपी जहूर चिश्ती पर फैसला लंबित है।

हैरानी की बात यह है कि 1992 में हुए इस कांड के बाद पुलिस के लिए आरोपियों को सामने लाना और सबूतों को सहेजकर रखना बहुत बड़ी चुनौती थी. क्योंकि पीड़िताओं ने समाज में बदनामी और दुष्कर्मियों के खौफ की वजह से अपना घर और शहर तक छोड़ दिया था और बतौर सबूत जमा किया गया सामान मसलन बिस्तर और कंडोम इत्यादि बदबू मारने लगे थे,Delay in justice

अभियोजन विभाग के सहायक निदेशक विजय सिंह राठौड़ इस मामले की साल 2020 से पैरवी कर रहे हैं।उनसे पहले करीब 12 अभियोजक बदल चुके।उनके अनुसार इस कांड में 100 से ज्यादा स्कूली छात्राओं को दरिंदों ने अपना शिकार बनाया, लेकिन अभियोजन पक्ष और पुलिस सिर्फ 16 पीड़िताओं को ही गवाही के लिए तैयार कर सकी।आखिरी कुछ गवाही के बाद इनमें से भी 13 पीड़िताओं ने रसूखदार आरोपियों के खौफ से कोर्ट में अपने बयान बदल दिए।ऐसे में अदालत ने पीड़िताओं के पुराने बयानों के आधार पर कार्रवाही की।

अजमेर की स्पेशल पॉक्सो कोर्ट ने सनसनीखेज सेक्स स्कैंडल में 6 और लोगों को आजीवन कारावास की सजा सुनाई है।इस स्कैंडल में 100 से अधिक लड़कियों के साथ बलात्कार और उन्हें ब्लैकमेल किया गया था। यौन अपराधों से बच्चों का संरक्षण (पॉक्सो) कोर्ट के जज रंजन सिंह ने हर आरोपी पर 5 लाख रुपये का जुर्माना भी लगाया।

यह मामला हमारे देश की न्याय व्यवस्था की लेट लतीफी और अभियोजन की नाकामी का जीता जागता उदाहरण है यह वही न्याय व्यवस्था है जो देश के सबसे नृशंसता भरे निठारी कांड के अभियुक्तों को सत्रह साल की सुनवाई के बाद बरी कर देती है ।

आप को याद होगा कि राजधानी दिल्ली से सटे नोएडा के निठारी में कम से कम 19 युवतियों और बच्चों के साथ बलात्कार किया गया, उनकी हत्या कर दी गई और उनके टुकड़े-टुकड़े कर दिए गए थे।इस में 2006 में सुरिंदर कोली को 12 लड़कियों के साथ दुष्कर्म व हत्या के लिए आरोपित किया गया था जबकि कोठी मालिक मनिंदर सिंह पंढेर को दो मामलों में अभियुक्त बनाया गया था,Delay in justice

इस कांड के पीछे अंग व्यापार का रेकेट बताया गया। इन हालातों में इस देश की बच्चियों और महिलाओं को यौन विकृत राक्षसों से कौन और कैसे बचाएगा?इसी 18 अगस्त को जोधपुर में एक तीन साल की कूड़ा बीनने वाली मासूम के साथ दरिंदगी की खबर सामने आई तो इसी दिन सीहोर में 63 साल की महिला के साथ सामूहिक दुष्कर्म का मामला सामने आया है वहीं बदलापुर में चार साल की दो अबोध स्कूल छात्राओं के साथ दरिंदगी को लेकर बदलापुर महाराष्ट्र उबल रहा है। इन सब हालात के लिए देश की न्याय व्यवस्था को जिम्मेदार ठहराना गलत नहीं होगा। (विभूति फीचर्स)Delay in justice

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