हरिद्वार में जहां गंगा की धारा आस्था और विश्वास का प्रतीक है, वहीं अब सुशासन की धारा भी बह रही है। मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी के सुशासन के दावे को जिलाधिकारी मयूर दीक्षित अपने काम से सही साबित कर रहे हैं। संवेदनशीलता और सख़्ती का अद्भुत संतुलन उनकी पहचान बन चुका है।

पहली कॉल पर मदद, तुरंत कार्रवाई

प्रशासनिक सेवा का असली उद्देश्य जनता तक न्याय और सुविधा पहुंचाना है। मयूर दीक्षित इस उद्देश्य को पूरी गंभीरता से निभाते हैं। किसी भी शिकायतकर्ता या जरूरतमंद की कॉल पर वे तुरंत प्रतिक्रिया देते हैं और विभागीय टीम को सक्रिय कर समाधान सुनिश्चित करते हैं। यही वजह है कि लोग कहते हैं – “डीएम साहब भरोसे का नाम हैं।”

अतिक्रमण पर सख़्त रुख

तीर्थनगरी हरिद्वार में अतिक्रमण लंबे समय से एक चुनौती रहा है। लेकिन मयूर दीक्षित ने इसे हल्के में नहीं लिया। हाल ही में रानीपुर मोड़, रोडवेज बस स्टैंड और तमाम प्रमुख मार्गों और सार्वजनिक स्थलों से अवैध कब्ज़े हटवाकर उन्होंने प्रशासन की सख़्त छवि सामने रखी। शहर की सूरत निखरी और जनता ने राहत की सांस ली।

पीड़ितों को न्याय दिलाने में भरोसा

डीएम मयूर दीक्षित की सबसे बड़ी खूबी उनकी संवेदनशीलता है। चाहे भूमि विवाद का मामला हो, मुआवज़े की देरी या किसी विभाग की लापरवाही – वे पीड़ितों की आवाज़ को प्राथमिकता देते हैं। कई मामलों में उनकी सीधी हस्तक्षेप से लोगों को न्याय मिला है।

मुख्यमंत्री की योजनाओं को जनता तक पहुंचाने में अग्रणी

मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी की प्राथमिकताओं – महिला सशक्तिकरण, युवा रोजगार, बुनियादी ढांचे का विकास – को जनता तक पहुंचाने में जिलाधिकारी दीक्षित अग्रिम पंक्ति में खड़े हैं। वे न केवल बैठकों तक सीमित रहते हैं, बल्कि व्यक्तिगत रूप से योजनाओं की प्रगति की निगरानी करते हैं।

जनता का बढ़ता भरोसा

गुरुकुल कांगड़ी निवासी राजेंद्र कहते हैं –
“डीएम साहब का दरवाज़ा सबके लिए खुला है। वे शिकायत को टालते नहीं, बल्कि तुरंत कार्रवाई करते हैं।”
व्यापार मंडल से जुड़े एक पदाधिकारी का कहना है –
“अतिक्रमण पर प्रशासन की सख़्ती ने बाजारों को राहत दी है।”
वहीं छात्रा पायल मेहता का कहना है –
“महिला सुरक्षा और छात्रवृत्ति योजनाओं पर डीएम साहब की निगरानी से हमें भरोसा मिला है।”

समापन: सुशासन का चेहरा

हरिद्वार के लोग आज यह मानने लगे हैं कि जिलाधिकारी मयूर दीक्षित केवल एक प्रशासनिक अधिकारी नहीं, बल्कि जनता के दुख-सुख में साझेदार हैं। मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी के सुशासन का विज़न ज़मीनी हकीकत में बदल रहा है, और इसका सबसे जीवंत उदाहरण हरिद्वार के जिलाधिकारी हैं।

By Shashi Sharma

Shashi Sharma Working in journalism since 1985 as the first woman journalist of Uttarakhand. From 1989 for 36 years, she provided her strong services for India's top news agency PTI. Working for a long period of thirty-six years for PTI, he got her pen ironed on many important occasions, in which, by staying in Tehri for two months, positive reporting on Tehri Dam, which was in crisis of controversies, paved the way for construction with the power of her pen. Delivered.

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *