पिथौरागढ़।*आईटीबीपी और सीमांत मत्स्य पालकों के बीच समझौता आर्थिक सशक्तिकरण की दिशा में महत्वपूर्ण पहल*

पिथौरागढ़ जिले में इंडो-तिब्बतन बॉर्डर पुलिस (आईटीबीपी) और मत्स्य विभाग के मध्य हस्ताक्षरित समझौता ज्ञापन अंतर्गत एक महत्वपूर्ण योजना संचालित की जा रही है, जिसके अंतर्गत सीमावर्ती गांवों के मत्स्य पालकों द्वारा ताजी ट्राउट मछली की आपूर्ति इंडो-तिब्बतन बॉर्डर पुलिस की अग्रिम पोस्टों को की जा रही है। सहायक निदेश मत्स्य विभाग डॉ रमेश चलाल ने बताया कि इस योजना का क्रियान्वयन मुख्यतः मत्स्य पालकों की सहकारी समिति के माध्यम से किया जा रहा है, जिससे उन्हें संगठित रूप से कार्य करने और व्यापार करने में सुविधा प्राप्त हो रही है।
इस योजना के माध्यम से सीमांत मत्स्य पालकों को एक स्थायी एवं विश्वसनीय बाजार प्राप्त हो रहा है, जिससे उनकी आर्थिक स्थिति में उल्लेखनीय सुधार अर्जित किया जा रहा है। भुगतान की प्रक्रिया तेज और पारदर्शी है, जिससे किसानों को समय पर उनकी उपज का मूल्य प्राप्त हो रहा है। सहकारी समिति के माध्यम से लगभग 65-80 परिवारों को प्रत्यक्ष एवं अप्रत्यक्ष रूप से लाभान्वित किया जा रहा है। पूर्व में ये परिवार आर्थिक कठिनाइयों का सामना कर रहे थे, किंतु अब उन्हें अपने ही ग्राम में उचित मूल्य पर मछली विक्रय करने का अवसर प्राप्त हो रहा है।
डॉ रमेश चलाल ने बताया कि यह योजना स्थानीय स्तर पर उत्पादित ट्राउट मछली को प्रोत्साहित कर वोकल फॉर लोकल अभियान को सशक्त बना रही है, जिससे क्षेत्रीय संसाधनों का प्रभावी उपयोग सुनिश्चित हो रहा है। इस योजना के प्रभावस्वरूप सीमांत क्षेत्रों में आजीविका के अवसर बढ़ रहे हैं, जिससे बाहरी ग्रामों में पलायन में कमी आने की संभावना बढ़ रही है। पूर्व में जहां आजीविका के अभाव में स्थानीय निवासियों को अन्य स्थानों पर जाने के लिए विवश होना पड़ता था, अब वे अपने गांव में ही उचित एवं सम्मानजनक आय अर्जित करने हेतु अवसर उत्पन्न हो रहे हैं।

गुणवत्तापूर्ण पोषण: आईटीबीपी के जवानों को ताजी एवं पौष्टिक मछली उपलब्ध कराई जा रही है, जो उनके स्वास्थ्य और पोषण हेतु लाभदायक है। ट्राउट मछली में ओमेगा-3 फैटी एसिड, ओमेगा-6 फैटी एसिड, उच्च गुणवत्ता वाला प्रोटीन, विटामिन A, विटामिन b12 विटामिन b6, नियासिन b3, राइबोफ्लेविन b2, आयोडीन, सेलेनियम, जिंक, फास्फोरस आदि पोषक तत्व उचित मात्रा में पाये जाते हैं।
ट्राउट मछली में प्रोटीन पाचन की दर लगभग 90-95% मानी जाती है, जिसका तात्पर्य है कि इसमें उपस्थित अधिकांश प्रोटीन आसानी से पच जाता है। सामान्यतः, 100 ग्राम ट्राउट मछली में लगभग 20-25 ग्राम प्रोटीन उपलब्ध होता है। इसकी लीन मांस संरचना और न्यूनतम कोलेजन सामग्री के कारण, ट्राउट मछली का प्रोटीन पचने और शरीर में अवशोषित होने में लगभग 2 से 3 घंटे का समय लगता है।

सहकारी समितियों के माध्यम से सामुदायिक विकास इस योजना का संचालन मत्स्य पालकों की सहकारी समिति के माध्यम से किया जा रहा है, जिससे समुदाय में पारस्परिक सहयोग और संगठनात्मक क्षमता में वृद्धि हो रही है। सहकारी समिति का लाभ यह है कि इससे किसानों को बेहतर बाजार मूल्य, व्यावसायिक प्रशिक्षण और व्यापार प्रबंधन की जानकारी प्राप्त होती है। सहकारी समितियों के माध्यम से महिलाओं और युवाओं को भी मत्स्य पालन और व्यापार में शामिल होने का अवसर प्राप्त हो रहा है। इस पहल के माध्यम से न केवल सीमांत क्षेत्र के निवासियों की आर्थिक स्थिति में सुधार हो रहा है, बल्कि स्थानीय उत्पादन और आत्मनिर्भरता को भी बढ़ावा मिल रहा है। डॉ चलाल ने माना कि यह योजना आत्मनिर्भर भारत अभियान को सशक्त बनाने की दिशा में एक प्रभावी कदम है, जो भविष्य में अन्य राज्यों के लिए भी एक आदर्श मॉडल बन सकता है।

By Shashi Sharma

Working in journalism since 1985 as the first woman journalist of Uttarakhand. From 1989 for 36 years, he provided his strong services for India's top news agency PTI. Working for a long period of thirty-six years for PTI, he got his pen ironed on many important occasions, in which, by staying in Tehri for two months, positive reporting on Tehri Dam, which was in crisis of controversies, paved the way for construction with the power of his pen. Delivered.

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