religion,धर्म-कर्म और दर्शन – 18
religion and philosophy- 18
विष का हरण करके उससे बचाव करती हैं मनसा देवी
प्रस्तुतकर्ता डॉक्टर रमेश खन्ना
वरिष्ठ पत्रकार
12 वी शताब्दी की बंगाल की मनसा देवी की प्रतिमा जिसमे देवी अपने पति और पुत्र सह विराजमान है। देवी के सर पर नाग का छत्र है देवी के चरणों मंगल घट है एवं संभवतः सती बेहुला है।
सबसे रोचक तथ्य यह है की मनसा देवी और उनके पति दोनो का नाम जरत्कारु है। ‘जर’ अर्थात क्षीण, और ‘कारू ‘ अर्थात काया, सम्पूर्ण शब्दार्थ यह होता है की जिसने तप से अपने शरीर को क्षीण किया हो वो जरत्कारु है।
मनसा देवी और उनके पति दोनो ने ही कठोर तप करके यह नाम पाया था।
मनसा देवी नागराज वासुकी की बहन थीं।
मनसा देवी विष का हरण करके उससे बचाव करती हैं मनसा देवी के पुत्र आस्तिक मुनि को भी सर्प कुल ने यह वचन दिया था की जो व्यक्ति सर्पों से सामना होने पर सर्प जाति को आस्तिक मुनि का वास्ता देगा उनके प्रति आस्तिक मुनि के उपकार को याद दिलाएगा सर्प उसको नही डसेगा।
यह कथा महाभारत के आदिपर्व में आती है जब राजा परीक्षित के पुत्र जन्मेजय के सर्प नाशक यज्ञ की आहुतियों के साथ बड़े बड़े सर्प भी आकर भस्म होने लगे।
तब आस्तिक मुनि ने दक्षिणा के रूप में यह विध्वंस यज्ञ रोकने की मांग की। और ऐसा ही किया गया।