-परमार्थ निकेतन के अध्यक्ष स्वामी चिदानन्द सरस्वती जी को भव्य शिला पूजन कार्यक्रम में विशेष आमंत्रण, उद्बोधन, आशीर्वाद
-एक विश्व, एक धर्म, एक ध्वज, एक ग्रन्थ, एक विधान मुख्य ध्येय के साथ
-सनातन का सूर्य, विश्व का पथ प्रदर्शक
-तीर्थ सेवा न्यास, हरिद्वार द्वारा निर्माण का शुभारम्भ
-संस्थापक व संरक्षक बाबा हठयोगी जी महाराज, राष्ट्रीय महामंत्री, अखिल भारतीय वैष्णव अखाड़ा परिषद्
-अनेक पूज्य संतों, वैष्णव पूज्य संतों, आचार्यों, महंतों, शिक्षाविदों, विशिष्ट विभूतियों का सहभाग
-विश्व सनातन महापीठ, युगधर्म की पुनर्स्थापना का विराट संकल्प : स्वामी चिदानन्द सरस्वती
ऋषिकेश, हरिद्वार। भारतभूमि ने सदैव मानवता को प्रकाश, प्रेम और परमार्थ की राह दिखाई है। इसी पावन धरा पर आज एक ऐसा प्रकल्प आकार ले रहा है, जो केवल स्थापत्य का भव्य रूप नहीं, बल्कि युगांतकारी चेतना का दैवी उदय है, विश्व सनातन महापीठ। तीर्थ सेवा न्यास, हरिद्वार द्वारा प्रारम्भ किए गए इस दिव्य प्रकल्प का भूमि पूजन आज अद्भुत आध्यात्मिक गरिमा और अलौकिक ऊर्जा के साथ सम्पन्न हुआ। इस अत्यंत शुभ अवसर पर परमार्थ निकेतन के अध्यक्ष, स्वामी चिदानन्द सरस्वती जी का पावन सान्निध्य प्राप्त हुआ। उनके प्रेरक उद्बोधन और मंगल आशीर्वाद ने इस संकल्प को और भी ऊर्जावान बना दिया।
इस महापीठ का ध्येय वाक्य “एक विश्व, एक धर्म, एक ध्वज, एक ग्रन्थ, एक विधान” सिर्फ एक नारा नहीं, बल्कि उस वैश्विक आध्यात्मिक एकता का उद्घोष है जिसके सूत्रधार भारतर्षि और हमारे महान ऋषि, परम्परा रही है। यह प्रकल्प इस विश्वास का भी उद्घोष है कि सनातन केवल परंपरा नहीं, बल्कि विश्व का सनातन सूर्य है, जो हर युग में दिशा देते आ रहा है।
इस प्रकल्प के संस्थापक, संरक्षक तथा अखिल भारतीय वैष्णव अखाड़ा परिषद के राष्ट्रीय महामंत्री बाबा हठयोगी जी महाराज ने बताया कि विश्व सनातन महापीठ लगभग 500 करोड़ रुपये की लागत से निर्मित होने जा रहा है। किंतु यह केवल आर्थिक समर्पण का विषय नहीं, यह करुणा, त्याग, तप, विद्वत्ता और सांस्कृतिक पुनर्जागरण का विराट संगम है।
उन्होंने कहा, “यह महापीठ केवल भवनों का समूह नहीं यह आने वाले युगों के लिए भारत का आध्यात्मिक संविधान, सांस्कृतिक राजधानी और वैश्विक नेतृत्व का केन्द्र बनेगा।”
इस भूभाग पर जो निर्माण होने वाला है, वह भारत के प्राचीनतम मूल्यों और आधुनिक मानवता के सामंजस्य का उत्कृष्ट रूप होगा। यहाँ एक ओर वेद, उपनिषद् और गीता का गहन अध्ययन होगा, तो दूसरी ओर शौर्य, सेवा और सदाचार का प्रशिक्षण भी। महापीठ के दिव्य आयाम, जहाँ शास्त्र और शस्त्र दोनों का संतुलन होगा।
बाबा हठयोगी जी ने विस्तार से बताया कि इस महाप्रकल्प में अनेक अनूठे और ऐतिहासिक केन्द्र स्थापित होने जा रहे हैं। शास्त्र एवं शस्त्र शिक्षा केन्द्र, यहाँ वेद, उपनिषद्, गीता, स्मृतियों और धर्मशास्त्रों का गहन अध्ययन, शोध और शिक्षण होगा। इसके साथ ही शस्त्र प्रशिक्षण, आत्मरक्षा और शौर्य परम्पराओं का पुनर्जागरण भी होगा। सनातन संसद भवन, यह संतों, महापुरुषों, आचार्यों और धर्माचार्यों का वैश्विक मंच होगा, जहाँ से धर्मोदेश पारित होंगे, विश्वशांति, मानवकल्याण और सांस्कृतिक समरसता के मार्गदर्शक सिद्धांतों का उद्घोष होगा। चारों पूज्य शंकराचार्यों तथा तेरह अखाड़ों के आचार्यों के लिए सुसज्जित आवास, जहाँ से संत, समाज एकजुट होकर वैश्विक मानवता को मार्गदर्शन देगें। वैदिक शिक्षण, परम्परा, गौरक्षा, यज्ञ, संस्कृति और सनातन जीवन पद्धति के आधारस्तम्भ रूप में यह केन्द्र पूरे परिसर में ऊर्जा और पवित्रता का प्रवाह करेंगे। साधकों, संतों और श्रद्धालुओं के लिए शांत, तपोमय और साधनात्मक वातावरण उपलब्ध कराया जाएगा। योग, आयुर्वेद, पंचकर्म और प्रकृति आधारित चिकित्सा का वैश्विक केन्द्र, स्वास्थ्य, संतुलन और जीवनशैली का समग्र मॉडल प्रस्तुत करेगा। यह संग्रहालय भारत के अनादि विज्ञान, अध्यात्म, संस्कृति, धर्म, गणनादृपद्धति, खगोलशास्त्र और समयदृदर्शन को विश्व के सामने पुनः प्रतिष्ठित करेगा। इन सभी आयामों में एक ही ध्येय निहित है, सनातन को उसके संपूर्ण वैभव, बुद्धि, विज्ञान और शक्ति सहित विश्वमंच पर प्रतिष्ठित करना।
भूमि पूजन के पावन अवसर पर स्वामी चिदानन्द सरस्वती जी ने कहा कि भारत की संस्कृति केवल पूजा, पद्धति नहीं, बल्कि विश्वबंधुत्व का महान दर्शन है।
उन्होंने कहा कि सनातन वह लौ है जो न कभी बुझती है, न कभी पुरानी होती है। आज विश्व तनाव और संघर्ष से जूझ रहा है। ऐसे समय में भारत को आगे बढ़कर विश्व को आध्यात्मिक नेतृत्व देना ही होगा, और विश्व सनातन महापीठ इस दिशा में एक अद्वितीय और निर्णायक कदम बनकर उभरेगा।
स्वामी जी ने कहा कि विश्व सनातन महापीठ आने वाले समय में भारत की आध्यात्मिक शक्तिपुँज, सांस्कृतिक राजधानी और वैश्विक नेतृत्व का सर्वोच्च केन्द्र बनकर उभरेगा। यह आयोजन केवल एक परियोजना की शुरुआत नहीं, बल्कि नए युग की जागृति है।
भूमि पूजन वैदिक मंत्रों, अनुष्ठानों, दिव्य संगीत और संतों की वाणी के साथ सम्पन्न हुआ। देशभर से आए संतों, भक्तों और विभिन्न संस्थाओं के प्रतिनिधियों ने इस प्रकल्प को युग परिवर्तन की शुरुआत बताते हुये कहा कि एक ऐसा युग, जहाँ सनातन फिर से विश्व का पथप्रदर्शक बनेगा।
इस भव्य संकल्प में बाबा हठयोगी जी महाराज, तीर्थाचार्य राम विशाल दास जी और महंत ओमदास जी का असाधारण तप, एकाग्रता और समर्पण प्रतिष्ठित है। उनकी वर्षों की साधना और अविरत सेवा का परिणाम है कि आज यह महास्वप्न रूप लेना आरम्भ कर चुका है।
इस अवसर पर परमार्थ निकेतन के अध्यक्ष स्वामी चिदानन्द सरस्वती जी, अखाड़ा परिषद् के अध्यक्ष, महंत श्री रविन्द्र पुरी जी, जगद्गुरू ब्रह्मर्षि कुमारस्वामी जी, स्वामी ब्रह्मेशान्द आचार्य, पायलट बाबा आश्रम, स्वामी श्री रामविशाल दास जी, योगमाता केको अइकावा जी, परमाध्यक्ष, गौरी गोपाल आश्रम, वृंदावन, श्री डा अनिरूद्धाचार्य जी, परमाध्यक्ष, श्री देवकीनन्दन ठाकुर जी, श्री पुण्डरीक जी, श्री शिवाकान्त, स्वामी सच्चिदानन्द जी, परमाध्यक्ष, भारतीय हिन्दू शुद्धि सभा, श्री करौली सरकार महादेव जी, गोस्वामी सुशील जी, श्री अश्वनी उपाध्याय जी, वरिष्ठ अधिवक्ता, सर्वोच्च न्यायालय, वरिष्ठ अधिवक्ता श्री विश्व शंकर जैन जी, आचार्य सुमेधा जी, परमाध्यक्ष, कन्या गुरूकुल चोटीपुरा, श्री विष्णु शंकर जैन जी, अधिवक्ता, सर्वोच्च न्यायालय, महामंडलेश्वर श्रद्धा माता जी, पायलट बाबा आश्रम, म म चेतना माता जी, पायलट बाबा आश्रम एवं अनेकोनेक पूज्य संत, वैष्णव संतों का पावन सान्निध्य प्राप्त हुआ।
निवेदक डा गौतम खट्टर, उपाध्याय जी, श्री ए के सोलंकी जी, उपाध्याय, श्री शिशिर चैधरी जी, श्री राजेश कुमार जी, श्री अमरीश त्यागी जी, कोषाध्यक्ष और अन्य विभूतियों का मार्गदर्शन व संरक्षण प्राप्त हुआ।


By Shashi Sharma

Shashi Sharma Working in journalism since 1985 as the first woman journalist of Uttarakhand. From 1989 for 36 years, she provided her strong services for India's top news agency PTI. Working for a long period of thirty-six years for PTI, he got her pen ironed on many important occasions, in which, by staying in Tehri for two months, positive reporting on Tehri Dam, which was in crisis of controversies, paved the way for construction with the power of her pen. Delivered.

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