21 अगस्त को सावन के सांतवें सोमवार व नाग पंचमी का शुभ संयोग बनेगा- श्रीमहंत नारायण गिरि

भगवान शिव की भक्तों पर कृपा बरसेगी

ऐतिहासिक श्री दूधेश्वर नाथ मठ महादेव मंदिर के पीठाधीश्वर, श्री पंच दशनाम जूना अखाडे के अंतरराष्ट्रीय प्रवक्ता, संत महामंडल दिल्ली-एनसीआर के राष्ट्रीय अध्यक्ष श्रीमहंत नारायण गिरि ने कहा कि नाग पंचमी का पर्व 21 अगस्त को मनाया जाएगा। उस दिन सावन का सांतवां सोमवार भी है, जिससे पर्व का महत्व और भी बढ जाएगा। श्रीमहंत नारायण गिरि ने बताया कि हिंदू धर्म में नागों की पूजा के इस पावन पर्व का बहुत महत्व है। इस दिन भगवान शिव के आभूषण नाग देव की उपासना की जाती है। नागों की पूजा करने से आध्यात्मिक शक्ति, अपार धन और मनोवांछित फल की प्राप्ति होती है। सावन का सांतवां सोमवार होने से इस दिन भगवान शिव उनके आभूषण नाग की पूजा-अर्चना करना बहुत ही शुभ रहेगा। भक्तों पर भगवान शिव की विशेष कृपा रहेगी और सभी प्रकार के कष्ट दूर होंगे। नाग पंचमी व सावन के सांतवें सोमवार को ऐतिहासिक श्री दूधेश्वर नाथ मठ महादेव मंदिर में पूजा-अर्चना करने व भगवान दूधेश्वर का जलाभिषेक करने से जहां सभी प्रकार के कष्ट दूर होंगे, वहीं हर प्रकार की मनोकामना भी पूरी होगी। इसी कारण 21 अगस्त को मंदिर में पूजा-अर्चना करने के लिए देश भर से श्रद्धालु आएंगे। नाग पंचमी का पूजा मुहूर्त सुबह 5 बजकर 53 मिनट से लेकर 8 बजकर 30 मिनट तक रहेगा। हिंदू धर्म में सदियों से नागों को पूजने की परंपरा चली आ रही हैण् ऐसी मान्यताएं हैं कि नाग पंचमी के दिन नाग देवता को दूध अर्पित करने से पुण्य फल की प्राप्ति होती है। नाग पंचमी के दिन अनंत, वासुकि, पद्म, महापद्म, तक्षक, कुलीर, कर्कट, शंख, कालिया और पिंगल नामक देव नागों की पूजा की जाती है। राजा जनमेजय ने पने पिता राजा परीक्षित की मृत्यु का बदला लेने के लिए नागाओं की पूरी जाति को नष्ट करने के लिए यज्ञ किया था। ऋषि आस्तिक जनमजेय ने नागों की जाति को नष्ट होने से बचाया था। उन्होंने जिस दिन यह कार्य किया, उस दिन शुक्ल पक्ष पंचमी थी जिसे अब नाग पंचमी के रूप में मनाया जाता है। महाभारत, नारद पुराण, स्कंद पुराण और रामायण जैसे ग्रंथों में सांपों से जुड़ी कई कहानियां हैं। इनमें भगवान कृष्ण व नाग कालिया से जुड़ी कहानी भी है। भगवान कृष्ण यमुना नदी को दूषित व जहरीना करने पर कालिया को सबक सिखाते हैं तो वह मनुष्यों को दोबारा परेशान न करने का वादा करता है, जिस पर भगवान थकालिया को माफ कर देते हैं। गरुड़ पुराण के अनुसार नाग पंचमी पर नागों की पूजा करने से भक्त को सौभाग्य और समृद्धि की प्राप्ति होती है।

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