परमार्थ निकेतन में आयोजित गंगा जी के प्रति जागरूकता एवं आरती कार्यशाला एक अनूठा और अभिनव प्रयास है जिसके माध्यम से गंगा जी के तटों पर स्थित भारत के पांच राज्यों के घाटों पर आरती करने वाले पंडितों को परमार्थ निकेतन, ऋषिकेश, राष्ट्रीय स्वच्छ गंगा मिशन, नमामि गंगे और अर्थ गंगा के संयुक्त तत्वाधान में विशेष रूप से प्रशिक्षित किया जाता है।

स्वामी चिदानन्द सरस्वती जी, साध्वी भगवती सरस्वती जी एवं माधवी लता जी ने गंगा जी के प्रति जागरूकता एवं आरती कार्यशाला का दीप प्रज्वलित कर उद्घाटन किया।
परमार्थ निकेतन के अध्यक्ष स्वामी चिदानन्द सरस्वती जी ने कहा कि हमें गंगा जी के पैरोकार, पहरेदार व पत्रकार बनना होगा। गंगा जी की पवित्रता और संरक्षण के लिए समाज के हर वर्ग को सहयोग करना होगा।

यह हमारी नैतिक जिम्मेदारी है कि हम गंगा जी की स्वच्छता और संरक्षण के लिए मिलकर कार्य करें। गंगा केवल एक नदी नहीं है, बल्कि यह हमारी सांस्कृतिक और आध्यात्मिक धरोहर है। गंगा की पवित्रता, निर्मलता व अविरलता को बनाये रखना हमारे समाज की जिम्मेदारी है। गंगा जी को स्वच्छ रखना केवल सरकार का कार्य नहीं है, बल्कि समाज के हर वर्ग की जिम्मेदारी है।

स्वामी जी ने सभी आचार्यों और पंड़ितों का आह्वान करते हुये कहा कि भारत को महान भारत बनाने के लिये, भारत की संस्कृति व संस्कारों की रक्षा के लिये तथा समाज में आस्था व व्यवस्था के बनाये रखने के लिये सभी को मशाल जलाना होगा और मिसाल कायम करना होगा। डा साध्वी भगवती सरस्वती जी ने कहा कि जल ही जीवन है, परन्तु गंगा जल तो अमृत है। हम अमृत को कैसे प्रदूषित कर सकते हैं? गंगा केवल एक नदी नहीं है, बल्कि यह हमारी सांस्कृतिक और आध्यात्मिक धरोहर है। हम जिस मां की पूजा करते हैं, उन्हें गंदा नहीं कर सकते।

गंगा मां का जल पवित्र और अमृततुल्य है। हमें गंगा की पवित्रता को बनाए रखने के लिए हर संभव प्रयास करना होगा। गंगा जी को स्वच्छ रखना हमारा नैतिक कर्तव्य है और इसके लिए हम सभी को मिलकर काम करना चाहिए।
माधवी लता जी ने कहा कि जिस प्रकार हमें लगता है कि हमारे फेफड़ों की सेहत हमारी सेहत है। हम श्वास लेने के लिये जल्दीबाजी नहीं करते, हम अपनी प्यास बुझाने के लिये तब तक पानी पीते हैं जब तक प्यास बुझती नही, जब तक भोजन पूर्ण रूप से पकता नहीं हम तब तक अग्नि का उपयोग करते हैं अर्थात जीवित रहने के लिये हम जो साधन एकत्र करते है उसके लिये हमारे पास समय है, तो हमें जीवित रखने वाली गंगा माँ के लिये भी हमारे पास समय होना चाहिये; उनके लिये भी हमें समय निकालना होगा।
उन्होंने कहा कि गंगा माँ की सेवा कर हम उन पर कोई मेहरबानी नहीं कर रहे हैं।

जब कोविड आया था तो हम सभी डर गये थे, खुले में श्वास लेने से डर रहे थे परन्तु वही हम गंगा माँ में कचरा डालते हैं तो तकलिफ उन्हें भी होती होगी, उन्हें व उनके अन्दर रहने वाले जीवों को श्वास लेने में डर लगता होगा फिर भी गंगा जी हमें अपना प्यार और आशीर्वाद देती ही रहती है। जिस प्रकार हवा में कोविड़ का वायरस था उसी प्रकार गंगा जी में प्लास्टिक एक वायरस के समान है।

गंगा माँ की सेवा करना ही तो हमारी संस्कृति व धर्म है। प्राकृतिक संसाधनों की सेवा करना हमारा धर्म व संस्कार है और यही शिक्षा हमें भारत माता देती है। भगीरथ की घोर तपस्या के पश्चात माँ गंगा धरती पर आयी तब से लेकर अब तक वह हमारी सेवा कर रही है, अब हमारी बारी है।

स्वामी चिदानन्द सरस्वती जी ने जागरूकता एवं आरती कार्यशाला हेतु भारत सरकार, माननीय प्रधानमंत्री, भारत श्री नरेन्द्र मोदी जी, भारत के जल शक्ति मंत्री श्री सी आर पाटिल जी, डायरेक्टर जनरल, नमामि गंगे श्री ब्रजेश स्वरूप जी और नमामि गंगे के सभी पदाधिकारियों को धन्यवाद दिया।
ग्लोबल इंटरफेथ वाश एलायंस की परियोजना निदेशक, सुश्री गंगा नंदिनी, श्रीमती वंदना शर्मा जी, आचार्य दीपक शर्मा जी, आचार्य दीलिप जी, आयुष बडोनी, स्वामी सेवानन्द जी, प्रीति पंधेर, कृष्णप्रिया, वर्षा शर्मा, परमार्थ गुरूकुल के ऋषिकुमार और नमामि गंगे के प्रशिक्षक, प्रतिभागियों को प्रशिक्षण प्रदान कर रहे हैं।

By Shashi Sharma

Working in journalism since 1985 as the first woman journalist of Uttarakhand. From 1989 for 36 years, he provided his strong services for India's top news agency PTI. Working for a long period of thirty-six years for PTI, he got his pen ironed on many important occasions, in which, by staying in Tehri for two months, positive reporting on Tehri Dam, which was in crisis of controversies, paved the way for construction with the power of his pen. Delivered.

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