मुख्यमंत्री धामी के नेतृत्व में स्वास्थ्य क्रांति की ओर बढ़ता उत्तराखंड

25 वर्षों में उत्तराखंड की सेहत में सुधार, राज्य के हर कोने तक पहुंच रही चिकित्सा सुविधाएं, डॉक्टरों की संख्या और ढांचा हुआ मजबूत

मातृ मृत्यु दर में 77 प्रतिशत की कमी, कुल 1985 आयुष्मान आरोग्य मंदिरों से 34 लाख लोगों को लाभ

मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी के मार्गदर्शन और कुशल नेतृत्व में उत्तराखंड का स्वास्थ्य विभाग अभूतपूर्व गति से आगे बढ़ रहा है। राज्य में स्वास्थ्य सेवाओं से लेकर मेडिकल एजुकेशन तक, हर क्षेत्र में सुधार की नई मिसालें स्थापित हो रही हैं। स्वास्थ्य विभाग के अंतर्गत राज्य ने मातृ एवं शिशु मृत्यु दर में उल्लेखनीय कमी लाने, संस्थागत प्रसव को प्रोत्साहन देने और ग्रामीण इलाकों में स्वास्थ्य सेवाओं का दायरा बढ़ाने में बड़ी सफलता हासिल की है। राज्य गठन के 25 वर्षों में उत्तराखंड ने स्वास्थ्य ढांचे को सुदृढ़ करने की दिशा में लंबी छलांग लगाई है। आज प्रदेश के हर जिले में स्वास्थ्य सुविधाओं का जाल बिछ चुका है। वर्तमान में राज्य में 13 जिला चिकित्सालय, 21 उपजिला चिकित्सालय, 80 सामुदायिक स्वास्थ्य केंद्र, 577 प्राथमिक स्वास्थ्य केंद्र और करीब 2000 मातृ-शिशु कल्याण केंद्र सक्रिय हैं, जहाँ आम जनता को स्थानीय स्तर पर उपचार मिल रहा है।
सरकार ने हाल ही में 6 उपजिला चिकित्सालय, 6 सीएचसी और 9 पीएचसी के उन्नयन को मंजूरी दी है। साथ ही सेलाकुई (देहरादून) और गेठिया (नैनीताल) में 100-100 शैय्यायुक्त मानसिक चिकित्सालयों का निर्माण तेजी से जारी है। भारत सरकार के सहयोग से उत्तरकाशी, गोपेश्वर, बागेश्वर और रुड़की में 200 शैय्यायुक्त क्रीटिकल केयर ब्लॉक, जबकि मोतीनगर (हल्द्वानी) और नैनीताल में 50-50 शैय्यायुक्त ब्लॉक तैयार किए जा रहे हैं। देश में पहली बार एम्स ऋषिकेश के सहयोग से उत्तराखंड में हेली-एम्बुलेंस सेवा शुरू की गई है, जिससे पर्वतीय व दुर्गम इलाकों में आपातकालीन स्वास्थ्य सेवाएं सुलभ हुई हैं।

स्वास्थ्य सेवाओं में अभूतपूर्व सुधार

उत्तराखंड में स्वास्थ्य सेवाओं को सशक्त बनाने में अहम भूमिका निभा रहा है। स्वास्थ्य विभाग पिछले पांच सालों में मातृ मृत्यु दर (एमएमआर) और नवजात शिशु मृत्यु दर (एनएमआर) में निरंतर कमी आई है। स्वास्थ्य सचिव डॉ. आर. राजेश कुमार ने बताया कि सरकार का लक्ष्य है कि एनएमआर को घटाकर 12 और एमएमआर को 70 प्रति लाख जीवित जन्म तक लाया जाए। राज्य में एनएचएम की शुरुआत 27 अक्तूबर 2005 को हुई थी। इसका उद्देश्य ग्रामीण व दूरस्थ इलाकों में रहने वाले गरीबों, महिलाओं और बच्चों को सुलभ व गुणवत्तापूर्ण स्वास्थ्य सेवाएं प्रदान करना है। डॉ. कुमार के अनुसार मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी के कुशल नेतृत्व और स्वास्थ्य मंत्री डॉ. धन सिंह रावत की अगुवाई में मिशन ने अपने लक्ष्यों की दिशा में अभूतपूर्व प्रगति की है।

शिशु और मातृ मृत्यु दर में ऐतिहासिक गिरावट

राज्य गठन के समय शिशु मृत्यु दर (प्डत्) 52 प्रति हजार थी, जो अब घटकर 20 रह गई है। एसआरएस 2023 रिपोर्ट के अनुसार मातृ मृत्यु दर (डडत्) 450 प्रति लाख से घटकर अब मात्र 91 रह गई है। सकल प्रजनन दर (ज्थ्त्) भी 3.3 से घटकर 1.7 हो गई है। राष्ट्रीय परिवार स्वास्थ्य सर्वे (छथ्भ्ै-5) 2020-21 के अनुसार राज्य में संपूर्ण प्रतिरक्षण दर 88.6ः तक पहुँच चुकी है, जो राज्य गठन के समय 47ः थी। वहीं संस्थागत प्रसव दर अब 83.2ः हो गई है, जबकि राज्य निर्माण के समय यह मात्र 21ः थी।

चिकित्सकों की संख्या में ऐतिहासिक बढ़ोतरी

राज्य निर्माण के समय स्वास्थ्य विभाग में 1621 डॉक्टरों के पद स्वीकृत थे। सरकार ने 1264 नए पद सृजित कर यह संख्या 2885 तक पहुंचाई।रिक्तियों को भरने के लिए निरंतर भर्ती अभियानों के साथ-साथ, सरकार ने 220 चिकित्सकों को दुर्गम क्षेत्रों में तैनात किया है। वर्तमान में कुल 2885 पदों के सापेक्ष 2598 डाॅक्टर तैनात हैं। विशेषज्ञ डॉक्टरों की उपलब्धता बढ़ाने के लिए उनकी सेवानिवृत्ति आयु 60 से बढ़ाकर 65 वर्ष कर दी गई है। लंबे समय से अनुपस्थित 56 डॉक्टरों की सेवा समाप्त कर सरकार ने सख्ती का संदेश भी दिया है।

नर्सिंग और पैरामेडिकल स्टाफ की तैनाती

राज्य सरकार ने अस्पतालों में स्वास्थ्य सेवाओं को सुदृढ़ करने के लिए 1399 नर्सिंग अधिकारियों की नियुक्ति की है। एएनएम के 1933 पदों को बढ़ाकर 2295 किया गया, जिनमें से 1918 पद भरे जा चुके हैं। चिकित्सा सेवा चयन बोर्ड के माध्यम से 34 एक्स-रे टेक्नीशियन सहित अन्य पैरामेडिकल कर्मियों की भर्ती भी की गई है।

मातृ मृत्यु दर में 77 प्रतिशत की कमी

स्वास्थ्य विभाग के प्रभावी क्रियान्वयन का परिणाम है कि मातृ मृत्यु दर में 77 प्रतिशत की कमी आई है। राज्य गठन के समय से मातृ मृत्यु दर (440/100000 जीवित प्रसव) के सापेक्ष (91/100000 जीवित प्रसव) हो गई है। वित्तीय वर्ष 2024-25 के दौरान 1,47,717 संस्थागत प्रसव कराए गए, जो कुल प्रसव का 85प्रतिशत हैं। 2025 में चलाए गए 17 सितम्बर से 2 अक्टूबर तक के विशेष अभियान के तहत 37 हजार से अधिक गर्भवती महिलाओं की एनीमिया जांच की गई। राज्य में हरिद्वार व ऊधमसिंह नगर में दो पोषण पुनर्वास केंद्र भी स्थापित किए गए हैं, जिनमें इस वर्ष अब तक 32 कुपोषित शिशुओं का उपचार किया गया।

प्रदेश में 1985 आयुष्मान आरोग्य केंद्र

स्वास्थ्य सचिव डॉ. आर. राजेश कुमार ने बताया कि प्रदेश के 13 जिलों में अब तक 1985 आयुष्मान आरोग्य मंदिर (हेल्थ एंड वेलनेस सेंटर) स्थापित किए जा चुके हैं। इन केंद्रों से हर वर्ष 34 लाख से अधिक लोग स्वास्थ्य सेवाओं का लाभ ले रहे हैं। बीते तीन वर्षों में 28.8 लाख लोगों की हाई ब्लड प्रेशर और डायबिटीज की जांच, 28.4 लाख लोगों के मुख कैंसर, और 13.1 लाख महिलाओं के स्तन कैंसर की स्क्रीनिंग की गई। इससे स्वास्थ्य के प्रति जनजागरूकता में उल्लेखनीय वृद्धि हुई है।

108 आपातकालीन सेवा बनी जीवन रक्षक

वर्ष 2008 में शुरू हुई 108 आपातकालीन एम्बुलेंस सेवा अब राज्य की स्वास्थ्य प्रणाली की रीढ़ बन चुकी है। वर्तमान में इसके पास 272 एम्बुलेंस हैं जिनमें 217 बेसिक लाइफ सपोर्ट (ठस्ै), 54 एडवांस लाइफ सपोर्ट (।स्ै) और 1 बोट एम्बुलेंस शामिल है। वर्ष 2019 से अगस्त 2025 तक, इस सेवा के माध्यम से 8.79 लाख से अधिक लोगों को आपातकालीन सहायता मिली है।

गंभीर बीमारियों के लिए आर्थिक सहायता

राज्य व्याधि सहायता निधि समिति के तहत बीपीएल वर्ग के मरीजों को 11 गंभीर बीमारियों के इलाज हेतु आर्थिक मदद दी जाती है। वर्ष 2005-06 से अब तक 1045 लाभार्थियों को इस योजना से सहायता मिली है, जिस पर 12.85 करोड़ रुपये से अधिक व्यय हुआ है।

जनऔषधि केंद्रों से सस्ती दवाएं

सस्ती और गुणवत्तापूर्ण दवाओं की उपलब्धता सुनिश्चित करने के लिए राज्य में 335 प्रधानमंत्री जन औषधि केंद्र संचालित हैं, जबकि 48 नए केंद्र प्रस्तावित हैं।इन केंद्रों से आम नागरिकों को दवाएं बाजार मूल्य से 50-80ः तक सस्ती मिल रही हैं।

टीबी उन्मूलन में उल्लेखनीय सफलता

राज्य में टीबी मुक्त उत्तराखंड अभियान के तहत 2182 पंचायतें टीबी मुक्त घोषित की जा चुकी हैं। 18,159 निक्षय मित्र अब तक जुड़ चुके हैं, जिनमें से 8658 सक्रिय रूप से टीबी मरीजों को गोद लेकर सहयोग कर रहे हैं।

तीर्थ यात्रियों के लिए विशेष स्वास्थ्य व्यवस्था

हर वर्ष चारधाम और कैलाश मानसरोवर यात्रा के दौरान यात्रियों की सुरक्षा को ध्यान में रखते हुए, सभी धामों और यात्रा मार्गों पर विशेषज्ञ डॉक्टरों, पैरामेडिकल स्टाफ और जीवनरक्षक उपकरणों की तैनाती की जाती है। स्वास्थ्य सलाह (भ्मंसजी ।कअपेवतल) 13 भाषाओं में जारी की जाती है ताकि देश-विदेश से आने वाले यात्रियों को कोई असुविधा न हो।

परिवार नियोजन और जनस्वास्थ्य विस्तार

परिवार नियोजन कार्यक्रम के तहत देहरादून और अल्मोड़ा में दो नए परिवार नियोजन साधनों की शुरुआत की गई है। इसके साथ ही डेंगू और अन्य वेक्टर जनित रोगों की रोकथाम को लेकर विशेष अभियान चलाए जा रहे हैं। प्रधानमंत्री राष्ट्रीय डायलिसिस कार्यक्रम के तहत 19 केंद्रों में 166 मशीनों द्वारा इस वर्ष अब तक 46,958 डायलिसिस सत्र संपन्न किए जा चुके हैं।

रक्त संचरण सेवाओं का विस्तार

2016 से अब तक राज्य में 65 रक्तकोष (ब्लड बैंक) स्थापित किए जा चुके हैं, जिनमें 28 सरकारी, 18 निजी व 19 चैरिटेबल संस्थान हैं। रक्त की उपलब्धता और आपातकालीन सेवाओं में बड़ी सुविधा मिली है।

मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी का विस्तृत बयान

उत्तराखंड सरकार का लक्ष्य है कि राज्य का हर नागरिक गुणवत्तापूर्ण स्वास्थ्य सेवाओं से जुड़ सके। हमने स्वास्थ्य सेवाओं को अंतिम छोर तक पहुँचाने के लिए एनएचएम को एक मजबूत स्तंभ के रूप में कार्यरत किया है। आज प्रदेश में मातृ और शिशु मृत्यु दर ऐतिहासिक रूप से घटी है, संस्थागत प्रसव की दर में वृद्धि हुई है और लोगों में स्वास्थ्य के प्रति नई चेतना आई है। हमारी सरकार की प्राथमिकता हैकृ‘स्वस्थ उत्तराखंड, समृद्ध उत्तराखंड’। हमने स्वास्थ्य ढांचे को सशक्त बनाने के लिए रिकॉर्ड स्तर पर निवेश किया है। हेली-एंबुलेंस सेवा, आयुष्मान आरोग्य केंद्र, नर्सिंग और पैरामेडिकल शिक्षा में विस्तार जैसी पहलों से हमने स्वास्थ्य सेवाओं को गांव-गांव तक पहुँचाया है। मेरा विश्वास है कि आने वाले वर्षों में उत्तराखंड देश के सबसे स्वस्थ राज्यों में शामिल होगा और हमारी नीतियां जनसेवा की नई दिशा तय करेंगी।

स्वास्थ्य सचिव डॉ आर राजेश कुमार का बयान

स्वास्थ्य सचिव डॉ आर राजेश कुमार ने बताया कि मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी के नेतृत्व में स्वास्थ्य सेवाओं में ऐतिहासिक परिवर्तन आया है। अगर बात करें पिछले 25 वर्षों की तो उत्तराखंड ने स्वास्थ्य सेवाओं के क्षेत्र में उल्लेखनीय प्रगति की है। राज्य सरकार की प्राथमिकता हर नागरिक तक गुणवत्तापूर्ण और सुलभ स्वास्थ्य सुविधा पहुंचाना है। राष्ट्रीय स्वास्थ्य मिशन, आयुष्मान भारत, टेलीमेडिसिन, 108 आपातकालीन सेवा और जन औषधि केंद्र जैसे कार्यक्रमों ने स्वास्थ्य ढांचे को नई मजबूती दी है। हमने मातृ एवं शिशु मृत्यु दर में उल्लेखनीय कमी दर्ज की है और दूरस्थ क्षेत्रों में चिकित्सकों एवं पैरामेडिकल स्टाफ की तैनाती सुनिश्चित की है। सरकार की नीति ‘स्वस्थ उत्तराखंड दृ समर्थ उत्तराखंड’ की दिशा में राज्य निरंतर आगे बढ़ रहा है। आने वाले वर्षों में हमारा लक्ष्य है कि हर गांव और हर व्यक्ति को समयबद्ध, सस्ती और प्रभावी स्वास्थ्य सेवाएं उपलब्ध कराई जाएं। यह परिवर्तन केवल योजनाओं का नहीं, बल्कि संकल्प और प्रतिबद्धता का परिणाम है।


By Shashi Sharma

Shashi Sharma Working in journalism since 1985 as the first woman journalist of Uttarakhand. From 1989 for 36 years, she provided her strong services for India's top news agency PTI. Working for a long period of thirty-six years for PTI, he got her pen ironed on many important occasions, in which, by staying in Tehri for two months, positive reporting on Tehri Dam, which was in crisis of controversies, paved the way for construction with the power of her pen. Delivered.

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