विंटर टूरिज्म, उत्तराखंड की दिव्यता, संस्कृति और आध्यात्मिक वैभव का अद्भुत संगम*

विंटर टूरिज्म, भारत के माननीय प्रधानमंत्री जी का अद्भुत विजन*

इंस्पिरेशन टूरिज्म, एनलाइटन्मेंट और रीजुवनेशन टूरिज्म जैसे नए आयामों को विकसित करने की अपार सम्भावनायें हैं, उत्तराखंड की धरती में*

स्वामी चिदानन्द सरस्वती*

ऋषिकेश। परमार्थ निकेतन में आने वाले विदेशी पर्यटकों को विंटर टूरिज्म के लिये प्रेरित करते हुये स्वामी चिदानन्द सरस्वती जी ने कहा कि देवभूमि उत्तराखंड, सिर्फ हिमालय की गोद में बसा एक भौगोलिक प्रदेश नहीं, बल्कि भारत की आध्यात्मिक परंपरा, सांस्कृतिक दिव्यता और प्राकृतिक सौंदर्य का जीवंत प्रतीक है। आज जब विश्व लगातार शांति, संतुलन और आध्यात्मिक मार्गदर्शन की ओर बढ़ रहा है, उत्तराखंड अपनी दिव्यता, भव्यता और विशिष्ट आध्यात्मिक पहचान के साथ विश्व के लिए एक प्रेरणास्रोत बनकर उभर रहा है। इसी धरोहर को आगे बढ़ाते हुए परमार्थ निकेतन विंटर टूरिज्म, विजन, इंस्पिरेशन टूरिज्म, एनलाइटन्मेंट और रीजुवनेशन टूरिज्म के नए आयामों के लिये विदेश से आने वाले पर्यटकों को प्रेरित कर रहा है।

इटली, इंग्लैंड, ऑस्ट्रेलिया, स्विट्ज़रलैंड, जर्मनी, फ्रांस, कनाडा एवं अमेरिका से आए पर्यटकों ने यज्ञ, योग, ध्यान, माँ गंगा जी की दिव्य आरती तथा सत्संग को गहराई से आत्मसात करते हुए परमार्थ निकेतन के स्वर्ग जैसे वातावरण का अनुभव किया। इस आध्यात्मिक अनुभूति से अभिभूत होकर उन्होंने पुनः एक माह के लिये यहाँ आने हेतु उत्सुकता व्यक्त की। इस अवसर पर पूज्य स्वामी जी ने उन्हें उत्तराखंड के पावन तीर्थ स्थलों एवं मनोहारी वादियों के दर्शन कर अपने आध्यात्मिक व सांस्कृतिक अनुभव को और अधिक समृद्ध करने हेतु प्रेरित किया।

परमार्थ निकेतन में प्रतिवर्ष विश्व के अनेक देशों से हजारों पर्यटक, आध्यात्मिक साधक, शोध और संस्कृति-प्रेमी आते हैं। यहाँ वे भारतीय योग, ध्यान, संस्कृति और जीवनदर्शन के वास्तविक स्वरूप से परिचित होते हैं। पूज्य स्वामी चिदानन्द सरस्वती जी न केवल उन्हें आध्यात्मिकता का अनुभव कराते हैं, बल्कि उत्तराखंड की दिव्यता और सांस्कृतिक धरोहर से भी परिचित कराते हैं। वे विश्वभर के पर्यटकों को प्रेरित करते हैं कि वे सिर्फ परमार्थ निकेतन की आध्यात्मिक शांति ही नहीं, बल्कि उत्तराखंड के पवित्र स्थलों, पंच प्रयाग, देवभूमि के शक्तिपीठों, ज्योतिर्लिंगों, हिमालयी आश्रमों और सांस्कृतिक केन्द्रों के दर्शन भी अवश्य करें।

स्वामी जी ने कहा कि पर्यटन केवल स्थानों को देखने का माध्यम नहीं, बल्कि स्वयं और प्रकृति के साथ संवाद का अवसर है। उत्तराखंड की बर्फ से ढकी चोटियाँ, पवित्र नदियों का संगम, सघन वन और शांत घाटियाँ साधना, शांति और आत्म-अन्वेषण का अद्भुत वातावरण प्रदान करती हैं। यहाँ आने वाला प्रत्येक पर्यटक सिर्फ एक दर्शक बनकर नहीं लौटता, वह एक अनुभवकर्ता बनकर जाता है।

पंच प्रयाग, देवप्रयाग, रुद्रप्रयाग, कर्णप्रयाग, नंदप्रयाग और विष्णुप्रयाग, नदी संगमों का वह दिव्य क्रम है जो जीवन के प्रवाह, शुद्धता और अध्यात्म का प्रतिनिधित्व करता है। जब पर्यटक इन पवित्र स्थलों का दर्शन करते हैं, वे केवल नदियों को नहीं देखते, बल्कि भारतीय आध्यात्मिक दर्शन की गहराई को महसूस करते हैं।

वहीं उत्तराखंड के शक्तिपीठ, कालीमठ, चंद्रबदनी, धारी देवी, त्रियुगीनारायण और हिमालयी मंदिर, दिव्य ऊर्जा, मातृशक्ति और सनातन संस्कृति का जीता-जागता स्वरूप हैं। स्वामी जी पर्यटकों को समझाते हैं कि इन पवित्र स्थलों का तीर्थ सिर्फ शरीर की यात्रा नहीं है, बल्कि मन और आत्मा की यात्रा भी है।

परमार्थ निकेतन एक वैश्विक आध्यात्मिक मंच है जहाँ भारत की प्राचीन परंपराएँ आधुनिक जगत की आवश्यकताओं के साथ एक नवीन समन्वय बनाती हैं। यहाँ योग सीखने वाले पर्यटक केवल शारीरिक अभ्यास नहीं करते, बल्कि जीवन के एक संतुलित, शांत और उद्देश्यपूर्ण स्वरूप से परिचित होते हैं।

स्वामी जी ने योग जिज्ञासुओं से कहा कि योग शरीर की लचीलेपन का विषय नहीं, बल्कि जीवन की दिशा का विषय है और ध्यान मन को खाली करना नहीं, मन को ऊँचा उठाना है।

परमार्थ निकेतन में गंगा आरती का दिव्य अनुभव, हिमालय की गोद में सुबह का योग, गंगा तट पर ध्यान तथा योग-आध्यात्मिक चर्चाएँ पर्यटकों के जीवन में अद्भुत परिवर्तन लाती हैं। आज विश्व पर्यावरण संकट, मानसिक तनाव, सामाजिक असंतुलन और जीवन के बढ़ते दबावों से जूझ रहा है। ऐसे समय में भारत के माननीय प्रधानमंत्री श्री नरेन्द्र मोदी जी ने जो विंटर टूरिज्म विजन दिया वह अद्भुत है जो आने वाले वर्षों में मानवता के लिए एक नया प्रकाश बनकर उभरेगा।

उत्तराखंड की प्राकृतिक व सांस्कृतिक धरोहर को विंटर टूरिज्म नई ऊँचाइयों तक पहुँचाने का एक उज्ज्वल मार्ग है।


By Shashi Sharma

Shashi Sharma Working in journalism since 1985 as the first woman journalist of Uttarakhand. From 1989 for 36 years, she provided her strong services for India's top news agency PTI. Working for a long period of thirty-six years for PTI, he got her pen ironed on many important occasions, in which, by staying in Tehri for two months, positive reporting on Tehri Dam, which was in crisis of controversies, paved the way for construction with the power of her pen. Delivered.

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