religion,धर्म-कर्म और दर्शन – 40
religion and philosophy- 40
🏵️।। #रुद्राक्ष ।।🏵️
🪷त्रिपुर वध में रुद्रदेव की आंखों से गिरेआंसू रुद्राक्ष बने🪷
त्रिपुरस्य वधे काले रुद्रस्याक्ष्णोऽपतंस्तु ये । अश्रुणो बिन्दवस्ते तु रुद्राक्षा अभवन् भुवि ॥
डॉ रमेश खन्ना
वरिष्ठ पत्रकार
हरिद्वार (उत्तराखण्ड)
रुद्राक्ष एक से 14 मुखी तक उपलब्ध होते हैं फिर भी पंचमुखी रुद्राक्ष सबसे ज्यादा पेड़ पर लगते हैं और उनकी सुंदरता और असली होना ज्यादा प्रमाणित है।
पंचमुखी रुद्राक्ष कालाग्नि नाम के कहे गए हैं ।
इनके धारण करने से अगम्यागमन अभक्ष्य भक्षण जैसे पापों से भी व्यक्ति मुक्त हो सकता है-
पञ्चवक्त्रः स्वयं रुद्रः कालाग्निर्नाम नामतः । अगम्यागमनाच्चैव अभक्षस्य च भक्षणात् । मुच्यते सर्व्वपापेभ्यः पञ्चवक्त्रस्य धारणात् ॥
#हूं_नमः इस मंत्र के प्रत्येक रुद्राक्ष को पुष्प से स्पर्श करते हुए 108 बार जप करें। फिर शिवलिंग के साथ रखकर अभिषेक करके धारण करें।
बिना मंत्र जप के रुद्राक्ष धारण करना पाप कहा गया–
हूं नमः इति प्रत्येकमष्टोत्तरशतं जप्ता शिवाम्भसा प्रक्षाल्य धारणीयम् ।
“ विना मन्त्रेण यो धत्ते रुद्राक्षं भुवि मानवाः । स याति नरकं घोरं यावदिन्द्राश्चतुर्द्दश ॥
बिना रुद्राक्ष धारण किए जो भी जब तक किया जाता है वह व्यर्थ हो जाता है-
अरुद्राक्षधरो भूत्वा यद्यत् कर्म्म च वैदिकम् । करोति जपहोमादि तत् सर्व्वं निष्फलं भवेत् ॥ “ स्कान्दे ।
रुद्राक्ष पहनने से मनुष्य देव स्वरूप हो जाता है-
रुद्राक्षधारणादेव नरो देवत्वमाप्नुयात् ॥
एक मुखी रुद्राक्ष साक्षात शिव है वह ब्रह्महत्या को दूर करता है तथा अग्नि स्तंभन और अमरता प्राप्त होती है –
एकवक्त्रः शिवः साक्षात् ब्रह्महत्यां व्यपोहति । अवध्यत्वं प्रतिश्रोतो वह्निस्तम्भं करोति च ॥
2 मुखी रुद्राक्ष हरगौरी कहा गया है गोवध आदि पापों को वह दूर करता है-
द्विवक्त्रे हरगौरी स्यात् गोवधाद्यघनाशकृत् ।
तीन मुखी रुद्राक्ष तीन जन्मों के पापों को दूर करता है –
त्रिवक्त्रोऽग्निस्त्रिजन्मोत्थपापराशिं प्रणाशयेत् ॥
तुलाराशिं यथा वह्निर्भस्मसात् कुरुते हर ! । त्रिवक्त्रोऽपि चरुद्राक्षस्तथा दहति किल्विषम् ॥
4 मुखी रुद्राक्ष ब्रह्मा जी के समान कहां गया है वह नर हत्या को दूर करता है–
चतुर्व्वक्त्रस्तु धाता स्यात् नरहत्यां व्यपोहति ।
पंचमुखी रुद्राक्ष साक्षात्कालग्नि है उसका फल ऊपर लिखा गया है-
पञ्चवक्त्रस्तु कालाग्निरगम्याभक्ष्यपापनुत् ॥
6 मुखी रुद्राक्ष साक्षात कार्तिकेय हैं। वह गर्भ हत्या आदि दोषों को दूर करता है तथा बालकों की रक्षा करता है–
षड्वक्त्रो यो गुहः साक्षात् गर्भहत्यां शमेदयम् ।
सात मुखी रुद्राक्ष अनंत है वह स्वर्ण चोरी आदि पापों को हटाता है —
सप्तवक्त्रो ह्यनन्तश्च स्वर्णस्तेयाघनुत् सदा ॥
अष्ट मुखी रुद्राक्ष साक्षात गणेश जी है वह समस्त असत्य भाषण से उत्पन्न पापोंं को दूर करता है –
विनायकोऽष्टवक्त्रः स्यात् सर्व्वानृतविनाशकृत् ।
9 मुखी रुद्राक्ष साक्षात भैरव है वह शिव के साथ व्यक्ति को सायुज्यता प्रदान करता है–
भैरवो नववक्त्रः स्यात् शिवसायुज्यदायकः ॥
10 मुखी रुद्राक्ष एवं विष्णु स्वरुप है भूत प्रेत पिशाच आदि को दूर हटाता है-
दशवक्त्रः स्वयं विष्णुर्भूतप्रेतपिशाचहा ।
11 मुखी रुद्राक्ष साक्षात् रूद्र स्वरूप है वह अनेक यज्ञों का फल प्रदान करता है-
एकादशमुखो रुद्रो नानायज्ञफलप्रदः ॥
12 मुखी रुद्राक्ष सूर्य स्वरूप है वह समस्त तीर्थों के फल को प्रदान करता है–
द्वादशास्यो भवेदर्कः सर्व्वतीर्थफलप्रदः ।
13 मुखी रुद्राक्ष स्वयं कामदेव स्वरूप है समस्त कामनाओं को पूर्ण करता है-
त्रयोदशमुखः कामः सर्व्वकामफलप्रदः ॥
14 मुखी रुद्राक्ष श्रीकांत स्वरूप है वह वंशवृद्धि करता है–
चतुर्द्दशास्यः श्रीकण्ठो वंशोद्धारकरः स्मृतः ।
प्रतिष्ठा विधि–
रुद्राक्ष को पंचगव्य से स्नान कराकर उसकी प्रतिष्ठा के लिए शिव पंचाक्षर मंत्र का जप करें अथवा त्र्यंबक मंत्र का जप या अघोर मंत्र का जप भी कर सकते हैं-
रुद्राक्षस्य प्रतिष्ठायां मन्त्रं पञ्चाक्षरं तथा । त्र्यम्बकादिकमन्त्रञ्च तथा तत्र प्रयोजयेत् ॥ ॐ त्र्यम्बकं यजामहे सुगन्धिं पुष्टिवर्द्धनम् । उर्व्वारुकमिव वन्धनान्मृत्योर्मुक्षीयमामृतात् ॥
तथा ॐ हौं अघोरे हौं घोरे हूं घोरघोरतरे ॐ ह्रैं ह्रीं श्रीं ऐं सर्व्वतः सर्व्वसर्व्वेभ्यो नमस्तेऽस्तु रुद्ररूपिणे हूं हूं । अनेनापि च मन्त्रेण रुद्राक्षस्य द्विजोत्तमः । प्रतिष्ठां विधिवत् कुर्य्यात् ततोऽधिकफलं लभेत् ॥
प्रतिष्ठा के बाद मुख्य के अनुसार निम्न मंत्रों का जप करके रुद्राक्ष को धारण करें–
ततो यथा स्वमन्त्रेण धारयेद्भक्तिसंयुतः ॥ एकादिचतुर्द्दशवक्त्राणां संस्कारे प्रत्येकं क्रमेण मन्त्रा यथा ।
ॐ ॐ भृशं नमः । १ । ॐ ॐनमः । २ । ॐ ॐ नमः । ३ । ॐ ॐ ह्रीं नमः । ४ । ॐ हूं नमः । ५ । ॐ हूं नमः । ६ । ॐॐ हूं हूं नमः । ७ । ॐ नमः । ८ । ओं हूं नमः । ९ । ॐ हूं नमः । १० । ॐ ह्रीं नमः । ११ । ॐह्रीं नमः । १२ । ॐ क्षां क्षौं नमः । १३ । ॐ नमो नमः । १४ ।
27 रुद्राक्ष की माला धारण करके किए गए कार्य कोटि गुणा फलदायक होते हैं-
सप्तविंशतिरुद्राक्षमालया देहसंस्थया । यः करोति नरः पुण्यं सर्व्वं कोटिगुणं भवेत्।।
रुद्राक्ष पहने हुए यदि कुत्ता भी मर जाता तो वह भी रुद्रपद प्राप्त करता है ।
ऐसा रुद्राक्ष का महत्व है-
रुद्राक्षे देहसंस्थे तु कुक्कुरो म्रियते यदि । सोऽपि रुद्रपदं याति किं पुनर्मानवा गुह ।।