गुरु गोरक्षनाथगुरु गोरक्षनाथ

religion,धर्म-कर्म और दर्शन -51

religion and philosophy- 51

🏵️जाग मछंदर जाग गोरख आया——!.

🏵️ गुरु गोरखनाथ——–

गुरु गोरक्षनाथ जी का प्रादुर्भाव उस समय हुआ जब इस्लामिक अत्याचार और जोर- जबरदस्ती धर्मान्तरण का बलात्कारी दौर चल रहा था, एक तरफ बुत के नाम पर मंदिरों, मूर्तियों का भंजन करना ही अपना कर्तब्य समझना, दूसरी तरफ एक हाथ में तलवार दुसरे हाथ में कुरान लेकर भारत भूमि को रौदा जाना, तो वही कुछ चालाक सूफी संत जो अन्य धर्मो के प्रति समादर का भाव दिखाते थे, वे भगवा कपडा भी पहन लेते थे जिससे हिन्दुओ को ठगा जा सके, पूरे भारत और हिन्दू समाज को निगल जाने का प्रयत्न कर रहे थे भगवान शंकर ने स्वयं गुरु गोरक्षनाथ के रूप में अवतार लेकर इस धरा के हिन्दुओ का कष्ट को दूर करने का कार्य किया।

योगी मछंदरनाथ भ्रमण करते हुए अलख जगाते हुए जा रहे थे एक गाव में उनका डेरा पड़ा हुआ था वे प्रवचन कर रहे थे वहा उनका बड़ा ही स्वागत हुआ प्रातः काल एक ब्राह्मणी जिसके कोई संतान नहीं थी बड़ी ही दुखियारी दिख रही थी, योगी मछंदर नाथ बड़े ही ख्याति प्राप्त दयालु संत थे उस ब्राह्मणी ने अपना दुःख योगी से कहा अपना आचल फैलाकर उनके चरणों पर गिर पड़ी योगी जी ने एक भभूति की पुडिया उस महिला को दिया उसकी बिधि बताया की आज ही रात्रि में उसे वह खा लेगी उसे बड़ा ही तेजस्वी पुत्र प्राप्त होगा, योगी जी तो चले गए रात्रि में उसने बड़ी ही प्रसन्नता से अपने पति से सब घटना क्रम को बताया उसके पति ने योगी को गाली देते हुए उस भभूति को पास के एक गोबर के घूर पर फेक दिया आई -गयी बात समाप्त हो गयी।

बहुत दिन बीत गये मछंदरनाथ एक बार पुनः उसी रास्ते से जा रहे थे उसी गाव में रुके तब उस ब्राह्मणी उसने पूरी घटना योगी जी से सुनाया योगी बड़े ही दुखी हुए क्यों की उनके गए हुए कोई दस वर्ष बीत गए थे उन्होंने पूछा की वह राख कहा फेका था बताये हुए उस महिला ने गोबर के ढेर पर जाकर बताया । पूज्य गुरु जी ने अपने शिष्य को आवाज लगायी तो एक सुन्दर बालक गुरु की जय -जय कार करता हुआ बाहर निकला और गुरु के पीछे -पीछे चल दिया।

गोबर के (ढेर)घूर से उत्पत्ति होने के कारण उनका नाम गोरक्षनाथ पड़ा वे गुरु के बड़े अनन्य ही भक्त और अनुरागी थे उन्होंने इस नाथ परंपरा को आगे ही नहीं बढाया बल्कि योगियों की एक ऐसी श्रृखला पूरे देश में खड़ी कर दी जिससे मुगल सूफियो द्वारा जो धर्मान्तरण हो रहा था उस पर केवल रोक ही नहीं लगी बल्कि गुरु गोरक्षनाथ ने धर्मान्तरित लोगो की घर वापसी भी की, उन्होंने योगियों की एक अद्भुत टोली का निर्माण किया जिसने गावं -गावं में जागरण का अद्भुत काम किया जगद्गुरु शंकराचार्य के पश्चात् धर्म रक्षा हेतु शायद ही किसी ने इतनी बड़ी संख्या में धर्म प्रचारकों की श्रृखला खड़ी की। वे सूफियो के इस षणयंत्र को समझते थे सूफियो का आन्दोलन ही था हिन्दुओ का धर्मान्तरण करना और भारत भूमि का इस्लामीकरण करना।

कहते है की एक बार योगी मछंदरनाथ एक स्त्री राज्य में चले गए और वह के रानी के षणयंत्र में फंस गए, दरबार में पहुचने के पश्चात् उन्होंने कहा की मै किसी महिला के हाथ का भिक्षा नहीं लेता रानी ने कहा की आप को अपने ऊपर विस्वास नहीं है क्या ?

योगी उसके चाल में फंस चुके थे रानी के दरबार में कोई पुरुष का प्रवेश नहीं था भजन करते-करते योगी का मन लग गया और वही रहने लगे बहुत दिन बीतने के पश्चात् सभी योगियों को बड़ी चिंता हुई कुछ योगी तो शिष्य गोरक्षनाथ को चिढाते की जिस गुरु के प्रति इतनी श्रद्धा रखते हो वह गुरु कैसा निकला वह तो एक रानी के चक्कर में फंस गया है, वे अपने गुरु के प्रति श्रद्धा भक्ति से समर्पित थे अपने गुरु की खोज में चल दिए और उस राज्य में पहुच गए लेकिन क्या था वहाँ तो पुरुष का प्रवेश ही बर्जित था । लेकिन वे गुरु भक्त थे हार नहीं माने और अपनी धुन बजाना शुरू किया उसमे जो सुर -तान निकला ”जाग मछंदर जाग गोरख आया ” उस समय वे रानी के साथ झुला झूल रहे थे उन्हें ध्यान में आया की अरे ये तो मेरा प्रिय शिष्य गोरख है यो मछंदरनाथ जैसे थे वैसे ही अपने प्रिय शिष्य के पास चल दिए इस प्रकार वे केवल हिन्दू समाज की रक्षा ही नहीं की बल्कि अपने गुरु को भी सदमार्ग पर वापस लाये.।

दिखाई पड़ता है की जिस प्रकार देश -धर्म की रक्षा हेतु शंकराचार्य का प्रादुर्भाव हुआ उसी प्रकार गोरक्षनाथ इस भारत भूमि पर अवतरित हुए, जैसे शंकराचार्य अपने गुरु गोविंदपाद के बड़े ही प्रिय और भक्त थे उसी प्रकार गोरक्षनाथ भी योगी मछंदरनाथ के प्रिय और भक्त थे, जिस प्रकार बौद्ध धर्म से वैदिक धर्म की रक्षा शंकराचार्य ने की उसी प्रकार गुरु गोरक्षनाथ ने इस्लाम से हिन्दू धर्म की रक्षा की इन दोनों में इतनी ही समानता नहीं पायी जाती बल्कि दोनों को ही हिन्दू समाज भगवान शंकर का अवतार मानता है समय-समय पर इस भारत भूमि और हिन्दू धर्म को बचाने के लिए महापुरुषों की जो श्रृंखला आयी उसमे पूज्य गुरु गोरक्षनाथ का महत्व पूर्ण स्थान है।

डॉ रमेश खन्ना
वरिष्ठ पत्रकार

हरिद्वार

वरिष्ठ पत्रकार डॉक्टर रमेश खन्ना हरिद्वार
वरिष्ठ पत्रकार डॉक्टर रमेश खन्ना हरिद्वार

 

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *