religion,धर्म-कर्म और दर्शन -63

religion and philosophy- 63

🌺🌼मूलाधार चक्र का हमारे शरीर में स्थान🌼🌺

*श्री आदिशक्ति नमो नमः ,तंत्र के अद्भुत ज्ञान की स्त्रोत श्री श्मशान काली माता के चरणों में प्रणाम कर के आज हम सप्त चक्रों का विस्तृत विवरण देती इस श्रृंखला को आरम्भ करते हैं*

*आज हम मूलाधार चक्र के विषय में जानेंगे*

*मूलाधार चक्र का हमारे शरीर में स्थान :- जब श्री आदिशक्ति का प्रतिबिम्ब कुण्डलिनी माँ गर्भस्थ शिशु के अंदर प्रवेश करती हैं तो सर्वप्रथम वो जिस चक्र का निर्माण करती हैं उस चक्र को ही मूलाधार चक्र कहतें हैं ,*

*मूलाधार चक्र का स्थान हमारी रीढ़ की हड्डी में सबसे आखिर में नीचे की तरफ होता है , यदि आप धरती पर पालथी मार के बैठे तो रीढ़ की हड्डी का जो हिस्सा धरती को छूता है उस से लगभग नीचे ही मूलाधार चक्र का स्थान होता है , यहाँ ये समझ लेना आवश्यक है की मूलाधार और मूलाधार चक्र दोनों अलग अलग हैं ,*

*मूलाधार हमारी रीढ़ की हड्डी के निचले हिस्से में त्रिकोणाकार हड्डी जी सेक्रम बॉन भी कहते हैं उसको कहा जाता है जबकि मूलाधार चक्र हमारी रीढ़ की हड्डी से बाहर इस त्रिकोणाकार हड्डी से थोड़ा सा नीचे होता है , इस बिंदु को इसलिए स्पष्ट करना आवश्यक था की मूलाधार चक्र और मूलाधार को अधिकतर लोग एक ही मानते है और इसकी वजह से क्या क्या दुष्परिणाम होते है उनका वर्णन में इसी लेख में आगे करूँगा*

*मूलाधार चक्र का महत्त्व :- ये चक्र ही हर मुनष्य के अस्तित्व का मूलाधार है , उसके सृजन की नींव है ,*
*जिस प्रकार हम कुछ भी बनाने से पहले उस जगह को साफ़ और स्वच्छ करते हैं उसी प्रकार श्री आदिशक्ति ने इस विश्व की रचना करने से पहले श्री गणेश का निर्माण कर उतपन्न होने वाले ब्रह्माण्ड को पवित्रता और पावनता से भर दिया , श्री गणेश का निर्माण ही ब्रह्माण्ड में या विराट में मूलाधार का निर्माण था ,श्री गणेश ही सृजन के आदि तत्व हैं , जिन्हे हम कार्बन कहतें हैं ,*

*इसी प्रकार हमारे निर्माण में भी श्री कुण्डलिनी माता सबसे पहले हमारे अंदर पवित्रता और पावनता को भरने के लिए या ये कहें की हमारे सम्पूर्ण अस्तित्व को पवित्रता से ओतप्रोत करने के लिए मूलाधार चक्र का निर्माण करती हैं और मूलाधार चक्र का निर्माण करने के बाद ही वो अन्य चक्रों के निर्माण के लिए अग्रसर होती हैं*

*मूलाधार चक्र के गुण :- मूलाधार चक्र की चार पंखुड़ियां होती हैं और इसका रंग लाल होता है , मूलाधार की चार पंखुडिया श्री गणेश के चार हाथों को प्रदर्शित करता है और श्री गणेश के चार मुख्य गुणों की और भी इंगित करता है , ये चार मुख्य गुण हैं १. अबोधिता २. पवित्रता ३. विवेकशीलता और चौथा अपनी माँ के प्रति समर्पण*

*मूलाधार चक्र का तत्व पृथ्वी है , मूलाधार चक्र का ग्रह मंगल है , इस चक्र का वार मंगलवार है और इस चक्र का रत्न मूंगा है , श्री माता जी निर्मला देवी जी ने मूलाधार चक्र के तीन भाग बताएं है , मध्य भाग जिस के शासक श्री गणेश हैं , दायां भाग जिसके शासक श्री कार्तिकेय जी हैं और बायां भाग जिसके शासक निर्मल गणेश और श्री भैरव नाथ जी हैं*

*मूलाधार चक्र के आशीर्वाद :- मूलाधार चक्र के आशीर्वाद अनंत है और इस चक्र के सभी आशीर्वादों को न तो जाना जा सकता है और न ही उनका वर्णन संभव है , जैसे जैसे साधक सहजयोग ध्यान में गहन उतरता जाता है वैसे वैसे इस चक्र के रहस्य और आशीर्वाद उस पर प्रकट होते जाते हैं , पर कुछ आशीर्वादों का वर्णन करने का प्रयास करता हूँ ,*

*सर्वप्रथम मूलाधार का जो आशीर्वाद है वो है की कुण्डलिनी जागरण के समय मूलाधार चक्र के स्वामी श्री गणेश ही कुण्डलिनी माता को जागृत होने का सन्देश देतें है , वो ही कुण्डलिनी माता को बतातें है की जो ये साधक आपको जगाने की कोशिश कर रहा है वो योग्य है भी की नहीं, जाग्रति के पश्चात् कुण्डलिनी शक्ति के आगे और पीछे श्री गणेश ही चलते है , इसलिए कुण्डलिनी का जागृत होना , उठाना और सहस्त्रासार चक्र तक पहुंचना सब श्री गणेश के ऊपर ही निर्भर है और श्री गणेश की कृपा उत्तम मूलाधार चक्र के बिना संभव नहीं*

*दूसरा आशीर्वाद है पवित्रता की शक्ति , जिस व्यक्ति का मूलाधार चक्र बहुत अच्छा होता है उस व्यक्ति के अंदर लोगो और वातावरण की अशुभता दूर करने की शक्ति आ जाती है , वो जहाँ जाता है उस स्थान को पवित्र कर देता है जिस चीज को छू लेता है वो पावन हो जाती है , ऐसे लोगो की उपस्तिथि में अन्य लोग बहुत शांति व् पावनता अनुभव करते हैं*

*तीसरा आशीर्वाद है आकर्षण का , जागृत मूलाधार चक्र वाला व्यक्ति सबके आकर्षण का केंद्र बन जाता है और सबको अपने वश में कर सकता है पर ये ये वशीकरण जादू टोने वाला नहीं होता बल्कि लोग ऐसे व्यक्ति की अबोधिता से खींचे चले आते हैं , इसको ऐसे समझे की जैसे किसी समारोह में या घर में अगर कोई छोटा बच्चा आ जाए तो सभी लोग उस छोटे बच्चे के साथ खेलना चाहते है और उसकी हर जिद को पूरा करने का प्रयास करते हैं ऐसे ही जागृत मूलाधार वाले व्यक्तित्व इतना अबोध होता है की सभी अनायास ही उस व्यक्ति की तरफ आकर्षित हो जाते हैं , अबोधिता एक चुम्बक की तरह काम करती है ,*

*चौथा आशीर्वाद है दिशा का ज्ञान :- जिस व्यक्ति का मूलाधार चक्र जागृत होता है ऐसा व्यक्ति कभी भी रास्ता नहीं भूलता उसकी स्मरण शक्ति बहुत ही विलक्षण होती है , साइबेरिया से हर साल पक्षी हजारो मील का सफर बिना रास्ता भटके भारत में आते हैं वो भी इसी चक्र या अबोधिता के गुण के कारण , क्यूंकि मूलाधार एक चुम्बक की तरह कार्य करता है इसलिए वो आपके तरफ लोगो को आकर्षित भी करता है और आपको दिशा का ज्ञान भी देता है , ऐसा व्यक्ति को अपने जीवन के लक्ष्य का भी स्पष्ट रूप से पता होता है और अपने उस लक्ष्य से भी वो कभी नहीं भटकता*

*पांचवां आशीर्वाद है परमात्मा के प्रति समर्पण :- जागृत मूलाधार वाला व्यक्ति परमात्मा के प्रति शीघ्रता से परमात्मा के प्रति पूर्ण समर्पित हो जाता है , जैसे श्री गणेश केवल अपनी माँ श्री गौरी के प्रति ही समर्पित रहते हैं और किसी अन्य देवी देवता उनके लिए उनकी माँ के बाद ही कोई मायने रखते हैं वैसे ही जागृत मूलाधार वाला व्यक्ति परमात्मा के ही प्रति समर्पित रहता है , पूर्ण समर्पण आध्यात्मिक उन्नति के बहुत ही आवश्यक शर्त है और ये स्तिथि केवल मूलाधार चक्र की जाग्रति के बाद ही आती है*

*छठा आशीर्वाद है दिव्य सुरक्षा :- जिस प्रकार किसी छोटे बच्चे को किसी तकलीफ में देख हर कोई उसकी सहायता के लिए भाग कर आता है बिना ये सोचे की ये बच्चा किस का है, किस जाति का है , किस देश का है ,उसी प्रकार सभी देवी देवता जागृत मूलाधार वाले व्यक्ति जोकि एक छोटे बालक सम ही अबोध होता और उसमे श्री गणेश जी जागृत होते है उस श्री गणेश सम व्यक्ति की रक्षा के लिए तत्पर रहते है , श्री महाकाली ,श्री दुर्गा ,श्री कार्तिकेय श्री शिव श्री भैरवनाथ ,ये सभी ऐसे व्यक्ति की सुरक्षा निरंतर करते रहते हैं , क्यूंकि श्री महाकाली तो अपने बालक श्री गणेश की रक्षा करेंगी ही चाहे वो जहाँ भी हो*

*मूलाधार चक्र को कैसे बाधित होता है :-*
*९९% तो मूलाधार चक्र तो सभी का जन्म से ही जागृत होता है क्यूंकि इस चक्र के जो मूलभूत गुण हैं वो तो हर बच्चे में होते ही है पर जैसे जैसे हम लोग बड़े होने लगते हैं तो जाने अनजाने हम ऐसे कार्य करने लगते हैं जो मूलाधार चक्र के देवता श्री गणेश को नाराज करते हैं जैसे*
*१. जब हम कुछ भी अश्लील फिल्म किताब ,बातचीत या कर्मों को पसंद करने लगते है तो , हमारी पवित्रता आहात होने लगती है और हमारा मूलाधार चक्र बाधित होने लगता है*
*२. जब हम ये समझने लगतें है की हमें संसार में रहने के लिए चालाक होना है , अपना मतलब निकालने के लिए अनैतिक तरीको से भी हमें परहेज नहीं रहा जाता तो हमारी अबोधिता आहात होने लगती है और मूलाधार चक्र बाधित होता है*
*३. जब हम मृत आत्माओं की पूजा करते है या उनका उपयोग किसी भी प्रकार से करते है तो भी मूलाधार चक्र सुप्त हो जाता है क्यूंकि मृत आत्मा का प्रभाव किसी पर पूरी तरह तभी आ सकता है जब उसके अंदर श्री गणेश सुप्त हो जाएँ और जैसे ही श्री गणेश सुप्त हो जाते हैं वैसे ही श्री महाकाली शक्ति भी उस व्यक्ति के अंदर सो जाती हैं और श्री महाकाली के सोने पर ही कोई मृत आत्मा किसी व्यक्ति पर अपना प्रभाव डाल सकती है*
*४. फैशन का भूत भी मूलाधार चक्र को आहत करता है क्यूंकि फैशन का लक्ष्य दूसरों को आकर्षित करना ही होता है और ये आकर्षण आखिर में जाकर व्यक्ति को अनैतिक यौन गतिविधियों में ले जाता है*
*मूलाधार चक्र पर आक्रमण करने के लिए बहुत बड़ा षड्यंत्र चल रहा है , टीवी , सोशल मीडिया , फिल्मो के माध्यम से ऐसी बहुत सी चीजे बहुत ही चालाकी से बच्चों के सामने दिखाई जाती हैं जिस से छोटे छोटे बच्चों का मूलाधार बचपन में ही चौपट हो जाता है ,*

*मूलाधार चक्र की खराबी के दुष्परिणाम :-*
*मूलाधार चक्र की खराबी का सबसे पहला दुष्परिणाम ये होता है की ऐसा व्यक्ति दैवीय कृपा से वंचित हो जाता है , हमारा जीवन कई देवी देवताओं की कृपा से चलता है और उनकी कृपा का अदृश्य कवच हमेशा मानव के साथ रहता है पर जब व्यक्ति मूलाधार के विरोध में कार्य करने लगता है तो उस व्यक्ति से श्री गणेश नाराज हो जातें है और जिस से प्रथम पूजनीय श्री गणेश नाराज हो उसकी मदद कोई देवता नहीं कर सकतें*

*कमजोर मूलाधार चक्र वाले व्यक्ति की कुण्डलिनी का जागरण बहुत मुश्किल होता है और ये बहुत बड़ा नुकसान है किसी भी मानव के लिए*

*दूसरा दुष्परिणाम ये होता है की ऐसा व्यक्ति आसानी से मृत आत्माओं के चुंगल में फंस सकता है क्योंकि जैसा मैंने पहले बताया की मूलाधार के तीन देवता श्री गणेश , श्री कार्तिकेय और श्री भैरव नाथ भी ख़राब मूलाधार वाले व्यक्ति में सुप्त हो जाते हैं ,*
*इड़ा नाड़ी भी मूलाधार चक्र से निकलती है इसलिए इस नाड़ी की अधिस्ठात्री श्री महाकाली भी सुप्त हो जाती हैं , अब आप खुद ही सोचिये जिस व्यक्ति के अंदर ये रक्षा करने वाली सभी शक्तिया ही सो जाएँ तो उस व्यक्ति का क्या हाल होगा , श्री कार्तिकेय हमें राक्षसों से बचाते है तो भैरव और श्री महाकाली हमें भूत प्रेतों से बचाते हैं*

*तीसरा दुष्परिणाम ये होता की ऐसे व्यक्ति की इम्युनिटी बहुत ही कमजोर हो जाती है और वो आसानी से बिमारियों का शिकार हो जाता है , हमारे अंदर श्री महाकाली शक्ति ही हमारी इम्युनिटी शक्ति है और एंटीबाडी ही गण है और जब श्री गणेश रुष्ट हो जातें है तो उनके गण भी निष्क्रिय हो जातें हैं*

*चौथा दुष्परिणाम ये होता है की ऐसे व्यक्ति मानसिक रोग भी शीघ्रता से होते है क्यूंकि श्री गणेश का एक स्वरुप हमारे सर के पीछे की तरफ जहाँ महिलाएं जुड़ा बांधती है उस स्थान पर होता है , इस चक्र को सहजयोग में बैक आज्ञा चक्र या आज्ञा चक्र का पिछला भाग कहा जाता है , ये चक्र हमारे दिमाग को नियंत्रित करता है ,*
*तो जिसका मूलाधार चक्र ख़राब होता है उसका आज्ञा चक्र भी ख़राब हो जाता है और जिसका आज्ञा चक्र ख़राब हो जाता है उसका मूलाधार चक्र ख़राब हो जाता है , यदि ये खराबी ज्यादा हो तो ऐसा व्यक्ति पागल भी हो जाता है , उसको सही गलत का ध्यान नहीं रहता , उसका विवेक मर जाता है , कई मामलों में ऐसा व्यक्ति अँधा भी हो सकता है*

*जब मूलाधार चक्र अहंकार के कारन ख़राब होता है तो ऐसा व्यक्ति खुद को ऐसे प्रस्तुत करता है जैसे उस से बढ़िया इंसान इस धरती पर कोई दूसरा नहीं हो पर लोग पीठ पीछे उसका मजाक उड़ाते है*

*मूलाधार चक्र को ठीक करने के उपाय :-*

*कोई भी नकरात्मकता सबसे पहले या आसानी से हमारी आंखों के माध्यम से हमारे अंदर प्रवेश करती है , इसलिए किसी को अपवित्र नज़रों से देखना , अश्लील चित्रों या फिल्मो या किताबों को पड़ना सीधे सीधे हमारे मूलाधार और आज्ञा चक्र को बाधित करता है , इसलिए उत्तम मूलाधार चक्र की इच्छा रखने वाले व्यक्ति को मनसा वाचा कर्मणा पवित्रता धारण करनी चाहिए*

*छोटे बच्चों में अबोधिता और पवित्रता सबसे अधिक होती है इसलिए उन्हें परमात्मा का रूप कहा जाता है , छोटे बच्चों के साथ निष्काम मन से समय बिताने से भी मूलाधार चक्र को ठीक रखने में सहायता मिलती है*

*धरती माता पर नगें पांव चलने से , धरती माता का सम्मान करने से भी मूलाधार चक्र उत्तम होता है क्यूंकि मूलाधार चक्र का तत्व पृथ्वी है*
*देवी को सुंगंधित पुष्प अर्पित करने से भी मूलाधार चक्र ठीक होता है अबोधिता और पवित्रता ऐसे गुण है जो कभी भी नष्ट हो सकतें इसलिए यदि व्यक्ति के अंदर परमात्मा से जुड़ने की शुद्ध इच्छा जागृत हो जाए तो उसके अंदर मूलाधार चक्र को दुबारा से ठीक किया जा सकता है और उसकी कुण्डलिनी शक्ति की जाग्रति उसकी परमतमा से मिलने की शुद्ध इच्छा को पूर्ण करने के लिए उसके मूलाधार चक्र को अपनी विशेष कृपा से ठीक कर सकती हैं*

*मूलाधार चक्र का वास्तविक ज्ञान और आशीर्वाद तो कुण्डलिनी जाग्रति के बाद ही प्राप्त होता है फिर भी आप सभी के लिए मूलाधार चक्र पर कुछ बिंदुओं को लिखने का प्रयास किया है , आशा है आपको मेरा ये प्रयास सार्थक लगेगा

*डॉ रमेश खन्ना*
*वरिष्ठ पत्रकार*
*हरीद्वार (उत्तराखंड)*

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