religion,धर्म-कर्म और दर्शन -68
religion and philosophy- 68
🌼 बगलामुखी ३३ कोटि देवताओं में से कोई व्यक्तिगत देवता नहीं 🌼
भगवती बगलामुखी ३३ कोटि देवताओं में से कोई व्यक्तिगत देवता नहीं हैं,वे सर्वशक्तिरूप, सर्वरूप, सर्वाकार पराशक्ति है अतः वे भैरवी, मातङ्गी, त्रिपुरा, कामेशी, श्रीविद्या, भद्रकाली आदि सभी कुछ हैं-
‘मातर्भैरवि, भद्रकालि विजये,
वाराहि, विश्वाश्रये !
श्रीविद्ये, समये, महेश, बगले,
कामेश, वामे, रमे !
मातङ्गि, त्रिपुरे, परात्परपरे,
स्वर्गापवर्गप्रदे!
दासोऽहं शरणागतोऽस्मि कृपया
विश्वेश्वरि त्राहि माम्’ ।।
वे परब्रह्मरूपा हैं—
‘ब्रह्मरूपा विष्णुरूपा परब्रह्ममहेश्वरी’ ।
शक्तिशास्त्र एवं शक्त्युपासना का प्रमुख विषय है-शक्ति का स्वरूप और स्वरूपानुकूल उसकी उपासना।
हमें प्रथमतः शक्ति के स्वरूप पर विचार करना चाहिए। भगवती बगला परात्पर शक्ति हैं
-उनका क्या स्वरूप है, इसको जानने के पूर्व यह भी जानना चाहिए कि भारतीय दार्शनिकों की शक्ति के विषय में क्या दृष्टियाँ हैं। इसके अतिरिक्त यह भी जानना चाहिए कि शक्तितत्त्व के विषय में शाक्तदर्शन की क्या दृष्टि है। इसके बाद ही यह जानना चाहिए कि परात्पर शक्ति भगवती बगलामुखी के विषय में दार्शनिकों की क्या दृष्टि है।शक्तितत्त्व का स्वरूप क्या है ?
शक्तितत्त्व-
शाक्त दार्शनिकों ने शक्तितत्त्व को उसके सारे पक्षों एवं स्वरूपों (समस्त गुणों, धर्मों, रूपों, शक्तियों, सामर्थ्यो, स्वभावों एवं प्रकृतियों) का साक्षात्कार करके उसके सारे स्वरूपों का आलोचन, पर्यालोचन, समीक्षण, विश्लेषण एवं विवेचन किया है।
शाक्त दार्शनिक हयग्रीवाचार्य की दृष्टि-आचार्य हयग्रीव ने अपनी दृष्टि ‘शाक्तदर्शनम्’ नामक अपने ग्रन्थ में इस प्रकार प्रस्तुत की है—
‘अथातः शक्तिजिज्ञासा’
(शाक्तदर्शनम् १|१|१)