religion,धर्म-कर्म और दर्शन -71

religion and philosophy- 71

🌺दुर्गा सप्तशती साधनोक्त महामंत्रात्मक देवी लीला है🌺

श्री दुर्गा सप्तशती एक महान मंत्र सिद्ध ब्रह्मास्त्र से 1000 गुना प्रभावशाली अस्त्र है। इसका पाठ अपनी इच्छा अनुसार अपने मनमुताबिक स्वर छंद अनुसार अपनी व्यक्तिगत समस्या का समाधान करने में न ले।

सप्तशती का एक गलत उच्चारण जानलेवा है। इस बात का हमेशा ध्यान रखें। यह कोई श्रीमद भागवत गीता नही है की जिसका अर्थ या अनुवाद अपने अपने हिसाब से कर के पढ़ा जाए। जहां इसका पाठ होता है देवी वहां साक्षात प्रत्यक्ष उपस्थित होकर एक लय में इसका श्रवण करती है पाठक के सामने ही।

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इसलिए बहुत यत्न और सावधानी पूर्वक इसका पाठ होना चाहिए वरना परिणाम बेहद सुखद होना सुनिश्चित है।

इसका पाठ केवल और केवल देवी के श्रवण और प्रसन्नता के लिए ही होनी चाहिए। आज कल नए फैशन में इसका पाठ cd dvd youtube और माइक में होने लगे हैं जो की संपूर्णतः गलत है। इसका पाठ बहुत ही धैर्य पूर्वक सम्पूर्ण समर्पण निष्काम भावसे पूर्णतः शास्त्रोक्त अगामोक्त निगमोक्त रूप से सुस्पष्ट एकाग्र चित्त से एक ही लय पूर्वक होना अत्यंत जरूरी है।

इसके पाठ k समय किसी भी प्रकार का हिलना डोलना सिर हिलना या दूसरा किसी भी चीज पर ध्यान भटकाना जानलेवा हो सकता है। पाठ के दौरान किसी भी स्त्री का कायिक वाचिक मानसिक स्तर पर अपमान या कुविचार या कु दृष्टि अत्यंत घातक होता है जिसका संसार में कोई प्रतिकार नही है।

आज कल बहुत से ग्रंथाकार और social मीडिया वाले इसके पाठ को पार्ट by पार्ट पाठ करने को भी कहते है जो की एकदम गलत है। उनके अनुसार अगर आप इसका पूरा पाठ एक बार में नही कर पाते ही है तो नवरात्रि जैसे समय में daily split कर के पाठ को यानी k 13 अध्याय को 9 दिनों में पूर्ण कर सकते है जो की संपूर्णतः गलत है।

श्री सप्तशती का पाठ हमेशा एक बार में ही पूरा किया जाने का विधान है। श्री सप्तशती का पाठ पुस्तक को हाथ में पकड़कर नही किया जाता है। यह परम अपराध होता है। श्री सप्तशती को मंत्रों से किलित या lock किया गया है जिसे पाठ से पहले खोलना और पाठ के बाद बंद करना भी पड़ता है जिसकी सही प्रक्रिया केवल एक एक्सपर्ट सद गुरु ही बता सकते हैं और उस दौरान होने वाली त्रुटि और त्रुटी से होने वाले दंड का काफी हद तक भी शमन करने में सक्षम है।

श्री सप्तशती कोई उपनास्य नही जो थोड़ा थोड़ा कर पूरा पढ़ा जाए। यह एक साधनोक्त महामंत्रात्मक देवी लीला है जिसका स्वाध्याय बहुत ही पुण्यप्रद और सिद्धीप्रद है। परंतु इसके लिए पूर्ण विधान का ज्ञान अत्यंत आवश्यक है।

इसलिए सभी नवनीत साधकों और पाठको से नम्र निवेदन है कि श्री शप्तशती का अनुष्ठान किसी उच्चकोटी के सुयोग्य पाठकर्ता के द्वारा ही करवाएं। अथवा यदि खुद को पाठ करने का मन हो तो गुरु चरणों के आश्रित बनकर इसका पूर्ण ज्ञान और प्रोफिशिएंसी प्रैक्टिस गुरु से प्राप्त कर देवी आराधना में पाठ करे। इससे आपके 14 generation का उद्धार मुक्ति और विकास सुनिश्चित है जिसमे कोई संदेह नहीं है।

जय भगवती अम्बे

डॉ रमेश खन्ना
वरिष्ठ पत्रकार
हरीद्वार (उत्तराखंड)

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