religion,धर्म-कर्म और दर्शन

religion and philosophy

🏵️🌼क्यों ज्येष्ठ मास शुक्ल पक्ष की दशमी तिथि कहलाती है “गंगा दशहरा “🌼🏵️

लेख-श्रीमती शशि शर्मा

ब्रह्मा जी की तपस्या कर गंगा को धरती पर ले जाने का वरदान प्राप्त करने के बाद,पुण्य प्रतापी राजा भगीरथ गंगा को धरती पर ले जाने को निवेदन रत हुए, लेकिन गंगा को धरती पर जाने में आपत्ति थी पापियों के पाप हरण करने और अशुद्ध की परिकल्पना से क्रोधित थी और उन्होंने ब्रह्मा जी को धरती पर जाने से इनकार कर दिया देवी भागवत पुराण के नवम् स्कंद में वर्णन है कि भगवान विष्णु ने गंगा को भागीरथ की तपस्या के फल स्वरुप धरती पर जाने के लिए राजी कर लिया, लेकिन गंगा ने धरती पर जाने की एक शर्त रखी कि यदि धरती पर कोई उनका वेग संभालने की समर्थ नहीं रख पाया, तो वह सीधे पाताल में समा जाएंगी।

गंगा की इस ज़िद पर और सभी देवताओं के निवेदन पर भगवान शिव ने गंगा को अनादि काल के लिए अपने शीश पर धारण करना स्वीकार कर लिया, मेरु पर्वत पर शिव की जटाओं में उतरते हुए गंगा ने क्रोध और अभियान से मन ही मन अपने वेग से भगवान शिव को भी अपने वेग से बहा ले जाने की धारणा की जिसे भगवान शिव ने पहचान लिया और गंगा के वेग को अपनी जटाओं में बांध लिया पुराण कहते हैं की गंगा जिस दिन स्वर्ग से सुमेरु पर्वत पर भगवान शिव की जटाओं में उतरी उस दिन कार्तिक शुक्ल पक्ष की पूर्णिमा थी।
अभिमान के कारण गंगा भगवान शिव की जटाओं में पूरी 100 साल तक बंदी रही भागीरथ के पुनः तप के बाद और गंगा की क्षमा प्रार्थना पर भगवान शिव ने अपनी जटा की एक लट खोल दी और गंगा का “धरती पर अवतरण हो गया जिस दिन गंगा धरती पर उतरी उस दिन ज्येष्ठ मास शुक्ल पक्ष की दशमी तिथि थी जिसे आज युगों बाद भी गंगा अवतरण दिवस के रूप में गंगा दशहरा कहते हुए मनाया जाता है।
सुमेरु पर्वत पर गंगा का उतरना युगों पूर्व की घटना है, युगों से निरंतर बहती गंगा धरती पर कितना बड़ा वरदान है इसका अंदाजा तो केवल भारत ही नहीं पूरे विश्व को है।
गंगा हमारा अध्यात्म है, हमारी संस्कृति है, हमारा धर्म है, पूंजी है कुल मिलाकर हमारा जीवन है ।
मनुष्य के दैहिक और मानसिक दस तरह के पापों को हरनेवाली गंगा को दश- हरा भी कहा जाता है।

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