Senior citizens in trouble, कांवड़ियों के दिन रात फुल वॉल्यूम डीजे सीनियर सिटीजन की दिल की धड़कनों को बढ़ा रहे है, सुनने वाला कोई नहीं

Senior citizens in trouble, Day and night full volume DJs of Kanwadis are increasing the heartbeats of senior citizens, there is no one to listen

वरिष्ठ पत्रकार
डॉक्टर रमेश खन्ना

Senior citizens in trouble,हरिद्वार में कावड़ मेला प्रतिवर्ष लगातार समस्या बनता जा रहा है। इन 15 दिनों में हरिद्वार पूरी तरह से कांवड़ियों की गिरफ्त में रहता है।

पूरे प्रदेश की पुलिस फोर्स तथा आर ए एफ की तैनाती के बावजूद भी कावड़ वेश धारी और हिंसक प्रवृत्ति के आगे पुलिस और प्रशासन विवश है।

Senior citizens in trouble, इन 15 दिनों में जो अराजकता का तांडव होता है। उसमें उसमें कहीं भी शिव भक्ति की झलक नहीं दिखती। हरिद्वार से दिल्ली तक सड़क किनारे लगे बड़े-बड़े दानवीर सेठों के भंडारे जहां सभी लजीज व्यंजन तथा लग्जरी सुविधाएं उपलब्ध होती हैं। वह भी इस गंभीर समस्या का एक अंग है।

कहीं वाहनों में तोड़फोड़ कहीं ड्यूटी पर तैनात पुलिसकर्मियों से बदसलूकी की कहानी दुकानदारों से गलत व्यवहार बीमार और गंभीर हालत के रोगियों को ले जा रही एंबुलेंस को रास्ता ना देना हरिद्वार से दिल्ली तक हाईवे यातायात बंद कर हाईवे इन उद्दंड कथित कांवड़ियों के हवाले इनकी निरंतर हौसला अफजाई कर रहा है।

Senior citizens in trouble, कावड़ के दौरान बच्चे स्कूल नहीं जा सकते मा बहन बेटियां घर से बाहर नहीं निकल सकती अपने परिजनों की अस्थियां लेकर आने-जाने वाले अपने कुल पुरोहितों के ठिकाने पर नहीं पहुंच पाते।

व्यवस्था में उनकी अस्थियां नियत स्थान पर ना प्रभावित कर कहीं भी प्रभावित कर उनकी भावनाएं बुरी तरह से आहत होती हैं। कुछ परिजन तो रास्तों की पाबंदी के कारण अपने पंडित पुरोहितों से भी नहीं मिल पाते।

शिव भक्ति का यह कौन सा स्वरूप है।
हरिद्वार के धर्माचार्य की इस पर चुप्पी भी सबको आहत कर रही है। राजनीति के दलों के इस मामले में मोनी बाबा बने रहना इन पर पुष्प वर्षा करना आला अधिकारियों द्वारा इनके चरण पकड़ना तो राजनीतिक दलों के वोट बैंक का एक अहम पहलू है।

Senior citizens in trouble, फिर प्रतिवर्ष गंभीर हो रही इस विकराल कावड़ मेले से हरिद्वार के बाशिंदे कब तक उत्पीड़ित होकर 15 दिनों तक घरों में बंधक रहेंगे इस सवाल का जवाब हरिद्वार का प्रत्येक नागरिक पूछ रहा है, कांवड़ के रास्ते पर बने अस्पतालों में गम्भीर रोगों से ग्रस्त मरीजों के लिए ये पन्द्रह दिन गम्भीर सजा भुगतने जैसे होते हैं।

शासन प्रशासन भी इन 15 दिनो को कांवड़ियों की उद्दंडता के आगे नतमस्तक होकर दिन गिन गिन कर निकाल रहा है। सर्वोच्च न्यायालय के आदेशों की अवहेलना कर दिन रात फुल वॉल्यूम पर डीजे सीनियर सिटीजन की दिल की धड़कनों को बढ़ा रहा है। परंतु समस्या का समाधान किसी के पास नहीं है, इतना ही नहीं अवसर का लाभ उठा कर अपनी नेतागिरी चमकाने के चक्कर में, सनातनी – सनातनी का शोर मचाते गली नुक्कड़ के नेता, समाज में भय का वातावरण बनाने पर आमादा है, आम नागरिक दोनों ओर से बुरी तरह पिसने पर मजबूर‌ है।
भाजपा के वरिष्ठ नेताओं को इस ओर संज्ञान लेना सख्त जरुरी है , क्योंकि ऐसी नेतागिरी समाज में वैमनस्य बढ़ाने के साथ ही भाजपा की जड़ों में पलीता लगाने का काम कर रही है।

इसके अलावा,वादकारी न्यायालयों में नहीं जा सकते। शासन प्रशासन महीना पहले कावड़ मेले की तैयारी को लेकर बैठकों का दौर चलाता है,कई निर्णय तथा कई कानून बनाए जाते हैं परंतु कावड़ मेले में सारी व्यवस्थाएं बुरी तरह धराशाही हो जाती है।

यदि इस पर गंभीरता से कोई ठोस निर्णय न लिया गया तो आने वाले वर्षों में यह समस्या बेहद विकराल हो जाएगी और धर्म पर निष्ठा भी सवालों के घेरे में होगी,केंद्र व राज्य सरकारों को इस पर गंभीरता से विचार कर ठोस निर्णय लेने ही होंगे। Senior citizens in trouble, कांवड़ियों के दिन रात फुल वॉल्यूम डीजे सीनियर सिटीजन की दिल की धड़कनों को बढ़ा रहे है, सुनने वाला कोई नहीं

Senior citizens in trouble, Day and night full volume DJs of Kanwadis are increasing the heartbeats of senior citizens, there is no one to listen

वरिष्ठ पत्रकार
डॉक्टर रमेश खन्ना

Senior citizens in trouble,हरिद्वार में कावड़ मेला प्रतिवर्ष लगातार समस्या बनता जा रहा है। इन 15 दिनों में हरिद्वार पूरी तरह से कांवड़ियों की गिरफ्त में रहता है।

पूरे प्रदेश की पुलिस फोर्स तथा आर ए एफ की तैनाती के बावजूद भी कावड़ वेश धारी और हिंसक प्रवृत्ति के आगे पुलिस और प्रशासन विवश है।

Senior citizens in trouble, इन 15 दिनों में जो अराजकता का तांडव होता है। उसमें उसमें कहीं भी शिव भक्ति की झलक नहीं दिखती। हरिद्वार से दिल्ली तक सड़क किनारे लगे बड़े-बड़े दानवीर सेठों के भंडारे जहां सभी लजीज व्यंजन तथा लग्जरी सुविधाएं उपलब्ध होती हैं। वह भी इस गंभीर समस्या का एक अंग है।

कहीं वाहनों में तोड़फोड़ कहीं ड्यूटी पर तैनात पुलिसकर्मियों से बदसलूकी की कहानी दुकानदारों से गलत व्यवहार बीमार और गंभीर हालत के रोगियों को ले जा रही एंबुलेंस को रास्ता ना देना हरिद्वार से दिल्ली तक हाईवे यातायात बंद कर हाईवे इन उद्दंड कथित कांवड़ियों के हवाले इनकी निरंतर हौसला अफजाई कर रहा है।

Senior citizens in trouble, कावड़ के दौरान बच्चे स्कूल नहीं जा सकते मा बहन बेटियां घर से बाहर नहीं निकल सकती अपने परिजनों की अस्थियां लेकर आने-जाने वाले अपने कुल पुरोहितों के ठिकाने पर नहीं पहुंच पाते।

व्यवस्था में उनकी अस्थियां नियत स्थान पर ना प्रभावित कर कहीं भी प्रभावित कर उनकी भावनाएं बुरी तरह से आहत होती हैं। कुछ परिजन तो रास्तों की पाबंदी के कारण अपने पंडित पुरोहितों से भी नहीं मिल पाते।

शिव भक्ति का यह कौन सा स्वरूप है।
हरिद्वार के धर्माचार्य की इस पर चुप्पी भी सबको आहत कर रही है। राजनीति के दलों के इस मामले में मोनी बाबा बने रहना इन पर पुष्प वर्षा करना आला अधिकारियों द्वारा इनके चरण पकड़ना तो राजनीतिक दलों के वोट बैंक का एक अहम पहलू है।

Senior citizens in trouble, फिर प्रतिवर्ष गंभीर हो रही इस विकराल कावड़ मेले से हरिद्वार के बाशिंदे कब तक उत्पीड़ित होकर 15 दिनों तक घरों में बंधक रहेंगे इस सवाल का जवाब हरिद्वार का प्रत्येक नागरिक पूछ रहा है, कांवड़ के रास्ते पर बने अस्पतालों में गम्भीर रोगों से ग्रस्त मरीजों के लिए ये पन्द्रह दिन गम्भीर सजा भुगतने जैसे होते हैं।

शासन प्रशासन भी इन 15 दिनो को कांवड़ियों की उद्दंडता के आगे नतमस्तक होकर दिन गिन गिन कर निकाल रहा है। सर्वोच्च न्यायालय के आदेशों की अवहेलना कर दिन रात फुल वॉल्यूम पर डीजे सीनियर सिटीजन की दिल की धड़कनों को बढ़ा रहा है। परंतु समस्या का समाधान किसी के पास नहीं है, इतना ही नहीं अवसर का लाभ उठा कर अपनी नेतागिरी चमकाने के चक्कर में, सनातनी – सनातनी का शोर मचाते गली नुक्कड़ के नेता, समाज में भय का वातावरण बनाने पर आमादा है, आम नागरिक दोनों ओर से बुरी तरह पिसने पर मजबूर‌ है।
भाजपा के वरिष्ठ नेताओं को इस ओर संज्ञान लेना सख्त जरुरी है , क्योंकि ऐसी नेतागिरी समाज में वैमनस्य बढ़ाने के साथ ही भाजपा की जड़ों में पलीता लगाने का काम कर रही है।

इसके अलावा,वादकारी न्यायालयों में नहीं जा सकते। शासन प्रशासन महीना पहले कावड़ मेले की तैयारी को लेकर बैठकों का दौर चलाता है,कई निर्णय तथा कई कानून बनाए जाते हैं परंतु कावड़ मेले में सारी व्यवस्थाएं बुरी तरह धराशाही हो जाती है।

यदि इस पर गंभीरता से कोई ठोस निर्णय न लिया गया तो आने वाले वर्षों में यह समस्या बेहद विकराल हो जाएगी और धर्म पर निष्ठा भी सवालों के घेरे में होगी,केंद्र व राज्य सरकारों को इस पर गंभीरता से विचार कर ठोस निर्णय लेने ही होंगे।, Senior citizens in trouble,

 

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