Bhavishya,भविष्यवाणी हर दिन हरिद्वार से

🙏 हर-हर महादेव 🙏

*🌞~ धर्म रक्षा पंचांग ~🌞*

आचार्य नितिन शुक्ल हरिद्वार

*⛅दिनांक – 04 नवम्बर 2023*
*⛅दिन – शनिवार*
*⛅विक्रम संवत् – 2080*
*⛅शक संवत् – 1945*
*⛅अयन – दक्षिणायन*
*⛅ऋतु – शरद*
*⛅मास – कार्तिक*
*⛅पक्ष – कृष्ण*
*⛅तिथि – सप्तमी रात्रि 12:59 तक तत्पश्चात अष्टमी*
*⛅नक्षत्र – पुनर्वसु सुबह 07:67 तक तत्पश्चात पुष्य*
*⛅योग – साध्य दोपहर 01:03 तक तत्पश्चात शुभ*

*⛅राहु काल – सुबह 09:35 से 10:59 तक*

*⛅सूर्योदय – 06:35*
*⛅सूर्यास्त – 05:34*

*⛅दिशा शूल – पूर्व दिशा में*

*⛅ब्राह्ममुहूर्त – प्रातः 05:04 से 05:55 तक*

*⛅निशिता मुहूर्त – रात्रि 11:58 से 12:49 तक*

*⛅व्रत पर्व विवरण -*
*⛅विशेष – सप्तमी को ताड़ का फल खाया जाय तो वह रोग बढ़ानेवाला तथा शरीर का नाशक होता है । (ब्रह्मवैवर्त पुराण, ब्रह्म खंडः 27.29-34)*

*🔹दूध के शत्रु अथवा दूध के विरोधी द्रव्य🔹*

*🔸मूंग, मूली, गुड़, मछली, मांस के साथ लिया हुआ दूध कोढ़ उत्पन्न करता है । प्रत्येक सब्जी, जामुन, शराब के साथ लिया हुआ दूध अज्ञानी मानव को सर्प की तरह मार डालता है ।*

*🔸प्रवाही या प्रवाही न हो ऐसे प्रत्येक गरम पदार्थ को दूध के साथ मिला कर नहीं खाना चाहिये । उसी तरह से हरे शाकभाजी, तेल, तल की खली, सरसव, कोठफल जामुन, नींबू, कटहल, विजोरु, बांस का फल, बोर, खट्टा अनार ऐसा दूसरा कोई भी फल खास करके खट्टे आम जैसा फल तथा बिल्व फल दूध के साथ विरोधी होने से एक साथ खाया नहीं जाता । अगर ये चीजें दूध के साथ खाई जायें तो बहरापन, अंधापन, शरीर में विवर्णता फीकापन, मूकपन आदि आते है और किसी समय मृत्यु भी होती है। पीसे हुए आटे के पदार्थ, आचार के साथ दूध का सेवन नहीं करना चाहिये ।*

*🔹दूध के मित्र🔹*

*🔸शहद, घी, मक्खन, अदरक, पीपर, कालीमिर्च, मिश्री या शक्कर, चूड़ा, परवल, सौंठ और हरड़े इतने द्रव्य में से कोई भी एक द्रव्य दूध के साथ लिया जाय तो यह उत्तम है ।*

*🔹दूध कैसे पियें🔹*

*🔸दूध को खूब फेंटकर झाग पैदा करके धीरे-धीरे घूँट-घूँट पीना चाहिए । इसका झाग त्रिदोष नाशक, बलवर्धक, तृप्ति कारक व हलका होता है । ये विशेषताएँ केवल देशी गाय के दूध में ही होती हैं । जर्सी गाय, भैंस अथवा बकरी आदि के दूध से उपरोक्त लाभ नहीं होते ।*

*🔹दूध कब न पीना ?🔹*

*🔸नया बुखार, कमजोर पाचन शक्ति मन्दाग्नि में, आंव के दोष में, कोढ़ के रोगी को, चर्मरोग वाले को, कफ के रोग में, खाँसी में, अतिसार (दस्त) वाले रोगी को दूध नहीं पीना चाहिये । प्रत्येक प्रकार का दूध कृमि-दोष उत्पन्न करता है । अतः कृमि रोग वाले व्यक्ति को मुख्यतः दूध का सेवन नहीं करना चाहिये ।*

*🔹 ग्रहदोष निवारण के लिए 🔹*

*🔹 शनिवार के दिन पीपल के वृक्ष का दोनों हाथों से स्पर्श करते हुए ‘ॐ नमः शिवाय’ मंत्र का 108 बार जप करने से दुःख, कठिनाई एवं ग्रहदोषों का प्रभाव शांत हो जाता है । (ब्रह्म पुराण)*

*🔸 हर शनिवार को पीपल की जड़ में जल चढ़ाने और दीपक जलाने से अनेक प्रकार के कष्टों का निवारण होता है । (पद्म पुराण)*

*🔹आर्थिक कष्ट निवारण हेतु🔹*

*🔹एक लोटे में जल, दूध, गुड़ और काले तिल मिलाकर हर शनिवार को पीपल के मूल में चढ़ाने तथा ‘ॐ नमो भगवते वासुदेवाय’ मंत्र जपते हुए पीपल की ७ बार परिक्रमा करने से आर्थिक कष्ट दूर होता है ।*
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आचार्य नितिन शुक्ला हरिद्वार
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