गूढ़ रहस्यों से निकल कर योग उच्च शिक्षा का विषय कैसे बना ?

योग की उच्च शिक्षा के पितामह डाक्टर ईश्वर भारद्वाज से न्यूज ओके 24 की संपादक शशि शर्मा का एक साक्षात्कार

योग रहस्यों के घेरे से बाहर निकल कर आज हर घर द्वार तक पहुंच कर छोटे बड़े हर किसी की प्राथमिकता बन गया है।
अब से कुछ समय पूर्व तक योग एक रहस्य था, केवल ऋषि-मुनियों की तपस्या, साधना, ईश्वर की प्राप्ति, और मोक्ष जैसे गहन विषयों से जुडा था।
योग के रहस्यों को आम नहीं होने दिया गया था या फिर लोग ही योग तक पहुंचना नहीं चाहते थे, क्योंकि योग गृहस्थों के लिए अनासक्ति का विषय था और गृहस्थ जीवन भोग और विलासिता का दूसरा नाम है।
महर्षि पतंजलि ने योग के 195 सुलभ सूत्रों की स्थापना की और योग को सरल बनाया।
आज योग वसुधैव कुटुंबकम् का पर्याय बन कर वन वर्ल्ड वन हैल्थ के लक्ष्य के साथ अन्तर्राष्ट्रीय योग दिवस के आसन पर बैठ अपने विश्वगुरू होने के नौंवे वर्ष का उल्लास मना रहा है।
आज योग वैश्विक कार्य योजना में शामिल है, विश्व स्वास्थ्य संगठन का चहेता है,खेल मंत्रालय के पटल पर शामिल है,कई व्यवसायिक पाठ्यक्रमों का विषय है,कौशल विकास योजना में भी प्रवेश कर चुका है,इस योग को बाबा रामदेव ने घर घर पहुंचाया,तो भारत के प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी ने पूरे विश्व का चहेता बनाया, लेकिन योग को काॅलेज तक कौन लाया आईये जानते हैं योग के उच्च शिक्षा के पितामह के बारे में और उनके विचारों से परिचित होते हैं,इस नौंवे अंतरराष्ट्रीय योग महोत्सव के अवसर पर।

आश्रमों से निकल कर आज योग उच्च शिक्षा का विषय बन गया है और योग को उच्च शिक्षा का गौरव दिलवाने में जिन महापुरुष ने मात्र तीन छात्रों के साथ गुरुकुल कांगड़ी विश्वविद्यालय जैसे सम्मानित शिक्षण संस्थान से योग के उच्च शिक्षा की यात्रा शुरू की,जो योग के यूजीसी के पहले पेरोल प्रोफेसर बने, और योग की उच्च शिक्षा के पितामह कहलाये आज हम उन्हीं डाक्टर ईश्वर भारद्वाज जी जो गुरुकुल के योग विज्ञान विभाग के पूर्व विभागाध्यक्ष हैं और वर्तमान में देव संस्कृति विश्वविद्यालय के डीन शैक्षणिक हैं उनसे आज योग की यात्रा पर बात कर रहे हैं आईये सुनते हैं उन्होंने क्या कहा। देखें वीडियो:-

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