स्पर्श हिमालय महोत्सव-2025
अन्तर्राष्ट्रीय साहित्य, संस्कृति एवं कला उत्सव लेखक गांव, थानो, देहरादून, हिमालय में आयोजित
परमार्थ निकेतन के अध्यक्ष, स्वामी चिदानन्द सरस्वती जी का पावन सान्निध्य
माननीय कानून एवं न्याय मंत्री, भारत सरकार, श्री अर्जुन राम मेघवाल जी और माननीय पूर्व राष्ट्रपति माॅरिशस, श्री पृथ्वीराज सिंह रूपन जी की गरिमामयी उपस्थिति
डा रमेश पोखरियाल निशंक जी के मार्गदर्शन में आयोजित स्पर्श हिमालय महोत्सव में निदेशक, आई आई टी, रूड़की, प्रो कमल किशोर पंत जी, अध्यक्ष, गुजरात साहित्य अकादमी, डा भाग्येश झा जी, कुलाधिपति टाटा सामाजिक विज्ञान संस्थान, श्री प्रो डी पी सिंह जी और कई लेखक, राजनीतिज्ञ, समाज सेवी, कवि, गायक, विशिष्ट विभूतियों की गरिमामयी उपस्थिति
ऋषिकेश। हिमालय की पवित्र गोद में स्थित लेखक गाँव, थानो में ‘‘स्पर्श हिमालय महोत्सव-2025’’ का भव्य शुभारंभ हुआ। अंतर्राष्ट्रीय साहित्य, संस्कृति और कला को समर्पित यह तीन दिवसीय विशिष्ट महोत्सव पूज्य संतों, प्रख्यात लेखकों, विचारकों, कलाकारों, संगीत साधकों और अनेक ज्ञान साधकों की गरिमामयी उपस्थिति में प्रारम्भ हुआ।
यह महोत्सव स्वामी चिदानंद सरस्वती जी के पावन सान्निध्य में पूर्व केंद्रीय मंत्री डॉ. रमेश पोखरियाल ‘निशंक’ जी के स्नेहिल मार्गदर्शन और संरक्षण में आयोजित किया गया जिसमें माननीय कानून एवं न्याय मंत्री, भारत सरकार, श्री अर्जुन राम मेघवाल जी, निदेशक, आई आई, रूड़की, प्रो कमल किशोर पंत जी, अध्यक्ष, गुजरात साहित्य अकादमी, डा भाग्येश झा जी, कुलाधिपति टाटा सामाजिक विज्ञान संस्थान, श्री प्रो डी पी सिंह जी साथ ही अनेक प्रख्यात लेखक, राजनीतिज्ञ, समाजसेवी, कवि, गायक एवं विभूतियों की उपस्थिति ने कार्यक्रम की शोभा को बढ़ाया।
यह धर्म, संस्कृति, साहित्य और माँ प्रकृति के संगम का अनूठा उत्सव है। कार्यक्रम को संबोधित करते हुए स्वामी चिदानंद सरस्वती जी ने कहा कि उत्तराखंड़ लेखन, गायन और शास्त्र की जननी है। आदिकाल से महर्षि व्यास से लेकर भगवान श्री गणेश तक हिमालय की इन दिव्य वादियों में बैठकर लेखन कर भारत की संस्कृति, अध्यात्म और ज्ञान की विरासत को समृद्ध किया है। गंगा जी ने उस लेखनी को निर्मलता, पवित्रता और जीवन की शाश्वत दृष्टि प्रदान की है।

उन्होंने कहा कि यहाँ केवल नदियाँ ही नहीं, बल्कि छोटी-छोटी गदेरे और जलधारायें भी शास्त्र, शस्त्र और संगीत की ध्वनि को सतत प्रवाहित करती रही हैं। यह भूमि केवल भौगोलिक क्षेत्र नहीं, बल्कि चेतना का केंद्र, आध्यात्मिक ऊर्जा का स्रोत और संस्कृति का अखंड आधार है।
स्वामी जी ने आगे कहा स्पर्श हिमालय महोत्सव केवल एक उत्सव नहीं, बल्कि साहित्य, संस्कृति और प्रकृति के संरक्षण का संकल्प है। हिमालय हमें केवल सुरक्षा ही नहीं, बल्कि विचार, ज्ञान, कला और जीवन की दिशा भी प्रदान करता है। इसलिए हमें हिमालय को बचाना है, और साथ ही उसकी मूल चेतना को विश्व तक पहुँचाना है।
महोत्सव में कैलाश खेर जी ने अपनी अनूठी आध्यात्मिक और ऊर्जावान प्रस्तुति से वातावरण को भक्तिमय बना दिया। साहित्य और विचार-आधारित सत्रों में प्रख्यात लेखकों, दार्शनिकों और विद्वानों ने भारतीय संस्कृति को समृद्ध करने वाले महत्वपूर्ण विषयों पर सारगर्भित विचार रखे।
यह उत्सव केवल ज्ञान और मनोरंजन का माध्यम नहीं, बल्कि युवा पीढ़ी को अपने संस्कारों, अपनी जड़ों, और अपने हिमालय से जोड़ने का सशक्त प्रयास है। इससे भारतीय भाषाओं का संवर्धन होगा, हिमालयी संस्कृति एवं लोक धरोहर का संरक्षण होगा, मां गंगा एवं हिमालय की सुरक्षा का संदेश प्रसारित किया जायेगा, योग, संगीत और ध्यान को जीवनशैली में समावेश का अवसर प्राप्त होगा। सतत विकास और प्रकृति संतुलन युवाओं को प्राप्त होगा।
यह आयोजन ‘‘पर्यावरण-आधारित सांस्कृतिक पुनर्जागरण’’ को प्रोत्साहित करने वाली महत्वपूर्ण वैश्विक पहल है।
महोत्सव के आयोजक श्री रमेश पोखरियाल जी ने कहा कि हिमालय केवल भारत की शान नहीं, बल्कि सम्पूर्ण विश्व की आध्यात्मिक रीढ़ है। इसे बचाना, इसकी महिमा को आगे बढ़ाना और आने वाली पीढ़ियों तक पहुँचाना हम सभी का धर्म है।
लेखक गाँव, थानो में प्रकृति की गोद में संपन्न यह आयोजन आने वाले समय में अंतर्राष्ट्रीय साहित्यिक एवं सांस्कृतिक यात्राओं का प्रमुख केंद्र बनने की दिशा में एक महत्वपूर्ण कदम है। स्पर्श हिमालय महोत्सव-2025 संस्कृति का उत्सव, साहित्य की साधना, प्रकृति का स्पर्श का अनुपम संगम है।


By Shashi Sharma

Shashi Sharma Working in journalism since 1985 as the first woman journalist of Uttarakhand. From 1989 for 36 years, she provided her strong services for India's top news agency PTI. Working for a long period of thirty-six years for PTI, he got her pen ironed on many important occasions, in which, by staying in Tehri for two months, positive reporting on Tehri Dam, which was in crisis of controversies, paved the way for construction with the power of her pen. Delivered.

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