lunar eclipse,शरद पूर्णिमा पर इस बार चंद्रग्रहण का साया रहेगाः श्रीमहंत नारायण गिरिlunar eclipse,शरद पूर्णिमा पर इस बार चंद्रग्रहण का साया रहेगाः श्रीमहंत नारायण गिरि

lunar eclipse,शरद पूर्णिमा पर इस बार चंद्रग्रहण का साया रहेगाः श्रीमहंत नारायण गिरि

lunar eclipse,Sharad Purnima will be under the shadow of lunar eclipse: Shri Mahant Narayan Giri

28 अक्टूबर को श्री दूधेश्वर नाथ मठ महादेव मंदिर समेत सभी मंदिरों के कपाट दोपहर बाद बंद हो जाएंगे

 

 चंद्रग्रहण के कारण इस बार खीर को चंद्रमा की रोशनी में भी नहीं रखा जा सकेगा
हिंदू धर्म में आश्विन माह के शुक्ल पक्ष की पूर्णिमा तिथि का बहुत अधिक महत्व है। इस दिन देवी लक्ष्मी की पूजा की पूजा का बहुत महत्व है। शरद पूर्णिमा की रात देवी लक्ष्मी पृथ्वी पर भ्रमण करती हैं और घर-घर जाकर यह देखती हैं कि शरद पूर्णिमा पर कौन जाग रहा है। इस कारण से शरद पूर्णिमा को को जागर पूर्णिमा के नाम से जाना जाता है। इस दिन खीर बनाकर चंद्रमा की रोशनी में रखी जाती है। रात भर चंद्रमा की रोशनी में रहने से उसमें औषधीय गुण आ जाते हैं।

गाजियाबाद,श्री दूधेश्वर पीठाधीश्वर, श्री पंच दशनाम जूना अखाडा के अंतरराष्ट्रीय प्रवक्ता, दिल्ली संत महामंडल के राष्ट्रीय अध्यक्ष व हिंदू यूनाइटिड फ्रंट के अध्यक्ष श्रीमहंत नारायण गिरि महाराज ने कहा कि शनिवार 28 अक्टूबर को साल का आखिरी चंद्र ग्रहण पडेगा।

lunar eclipse,उस दिन आश्विन माह की पूर्णिमा तिथि भी है, जिसे शरद पूर्णिमा के नाम से भी जाना जाता है। चंद्र ग्रहणlunar eclipse, भारत में भी रहेगा, जिसके चलते इसका सूतक काल मान्य होगा इस कारण 28 अक्टूबर को सिद्धपीठ श्री दूधेश्वर नाथ मठ महादेव मंदिर के कपाट दोपहर 3.30 बजे से बंद हो जाएंगे और अगले दिन 29 अक्टूबर को प्रातः आरती के बाद ही भगवान के दर्शन होंगे।

lunar eclipse,शहर के अन्य मंदिरों के कपाट भी शनिवार 28 अक्टूबर को संध्याकाल में बंद रहेंगे। श्रीमहंत नारायण गिरि ने बताया कि चंद्र ग्रहण भारत में 28 अक्तूबर को रात्रि 01 बजकर 06 मिनट से शुरू होगा रात रात्रि 2 बजकर 22 मिनट तक चलेगा।lunar eclipse, चंद्र ग्रहण का सूतक काल ग्रहण के 9 घंटे पहले शुरू हो जाता है। ऐसे में शनिवार 28 अक्तूबर को शाम 4 बजकर 44 मिनट से सूतक लग जाएगा जो ग्रहण की समाप्ति तक चलेगा।

हिंदू धर्म में आश्विन माह के शुक्ल पक्ष की पूर्णिमा तिथि का बहुत अधिक महत्व है। इस दिन देवी लक्ष्मी की पूजा की पूजा का बहुत महत्व है। शरद पूर्णिमा की रात देवी लक्ष्मी पृथ्वी पर भ्रमण करती हैं और घर-घर जाकर यह देखती हैं कि शरद पूर्णिमा पर कौन जाग रहा है। इस कारण से शरद पूर्णिमा को को जागर पूर्णिमा के नाम से जाना जाता है। इस दिन खीर बनाकर चंद्रमा की रोशनी में रखी जाती है। रात भर चंद्रमा की रोशनी में रहने से उसमें औषधीय गुण आ जाते हैं।lunar eclipse,

इस खीर का अगले दिन सेवन करना स्वास्थ्य के लिए बहुत अच्छा माना जाता है। खीर खाने से कई बीमारियों से छुटकारा मिलता है, मगर इस बार शरद पूर्णिमा पर ही चंद्रग्रहण पड रहा है ऐसे में खीर को चंद्रमा की रोशनी में रखना सही नहीं होगा, श्रीमहंत नारायण गिरि ने बताया कि lunar eclipse,चंद्र ग्रहण की समाप्ति के बाद ही खीर बनाना ज्यादा शुभ रहेगा।

मान्यता है कि ग्रहण और सूतक काल के दौरान न तो खाना बनाया जाता है और न ही खाना खाया जाता है क्योंकि ग्रहण के कारण वह दूषित हो जाता है। ग्रहण के दौरान न ही खाना खाया जाता है क्योंकि ग्रहण के कारण वह दूषित हो जाता है। ग्रहण के दौरान खाने की सभी चीजों में तुलसी के पत्ते डालने से वह दूषित नहीं हो पाता है।

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