Magh Amavasya, माघ अमावस्या युगादि तिथि है इस दिन कलयुग का प्रारंभ माना जाता है।
Magh Amavasya, is Yugadi Tithi, this day is considered to be the beginning of Kaliyuga.
पवित्र गंगा स्नान कर श्रद्धालुओं ने पित्रों के निमित्त यज्ञ पूजन किया।
Magh Amavasya, माध अमावस्या पर आज हरिद्वार में बड़ी संख्या में श्रद्धालुओं ने पवित्र गंगा में डुबकी लगाई, और श्राद्ध कर्म आदि किये।
शास्त्रों और पुराणों के अनुसार माघ मास की अमावस्या युगादि तिथि हैअर्थात इस तिथि को चार युगों में से एक युग का आरम्भ हुआ था।
Magh Amavasya, स्कंदपुराण के अनुसार “माघे पञ्चदशी कृष्णा द्वापरादिः स्मृता बुधैः” द्वापर की आदि तिथि हैं जबकि कुछ विद्वान इसको कलियुग की प्रारम्भ तिथि मानते हैं।
माघ मास की अमावस्या ,Magh Amavasya को लेकर महाभारत में कहा गया है कि इस दिन प्रयाग में गंगा स्नान करने से तीन करोड़ से अधिक तीर्थों में स्नान करने का पुण्य मिलता है कहा गया है कि
“दशतीर्थसहस्राणि तिस्रः कोटयस्तथा पराः॥ समागच्छन्ति मध्यां तु प्रयागे भरतर्षभ। माघमासं प्रयागे तु नियतः संशितव्रतः॥ स्नात्वा तु भरतश्रेष्ठ निर्मलः स्वर्गमाप्नुयात्। (महाभारत, अनुशासन पर्व 25 । 36 -38)*”
➡ *अर्थात माघ मास की अमावस्या को प्रयाग राज में तीन करोड़ दस हजार अन्य तीर्थों का समागम होता है। जो नियमपूर्वक उत्तम व्रत का पालन करते हुए माघ मास में प्रयाग में स्नान करता है, वह सब पापों से मुक्त होकर स्वर्ग में जाता है।*
ऐसा माना जाता है इस दिन ब्रह्मा जी ने स्वयंभुव मनु को उत्पन्न कर सृष्टि का निर्माण कार्य आरम्भ किया था इसलिए भी इस अमावस्या को मौनी अमावस्या कहा जाता है,Magh Amavasya
‘पद्म पुराण’ के अनुसार माघ मास के कृष्णपक्ष की अमावस्या को सूर्योदय से पहले जो तिल और जल से पितरों का तर्पण करता है, वह स्वर्ग में अक्षय सुख भोगता है। जो उक्त तिथि को तिल की गौ बनाकर उसे सब सामग्रियों सहित दान करता है, वह सात जन्म के पापों से मुक्त हो स्वर्गलोक में अक्षय सुख का भागी होता है। ब्राह्मण को भोजन के योग्य अन्न देने से भी अक्षय स्वर्ग की प्राप्ति होती है। जो उत्तम ब्राह्मण को अनाज, वस्त्र, घर आदि दान करता है, उसे लक्ष्मी कभी नहीं छोड़ती।*
Magh Amavasya, इस दिन पितृ पूजा, श्राद्ध, तर्पण, पिण्ड दान, नारायणी आदि कर्म किए जाते हैं,वैसे तो प्रत्येक अमावस्या पितृ कर्म के लिए विशेष होती है परंतु युगादि तिथि तथा मकरस्थ रवि होने के कारण मौनी अमावस्या का महत्व कहीं ज्यादा है।
अगर कोई पितृदोष से पीड़ित हैं अथवा उसे लगता है की उनके पिता, माता अथवा गुरु के कुल में किसी को अच्छी गति प्राप्त नहीं हुई है तो आज तर्पण (विशेषतः गंगा किनारे) किया जाता है
इसी क्रम में आज बहुत बड़ी संख्या में लोगों ने पूजा अर्चना पित्रृ तर्पण आदि किया।
पंडित नितिन शुक्ल की उपस्थिति में यजमानों ने अपने पित्रों के निमित्त पूजन हवन यज्ञ किया,Magh Amavasya. देखें वीडियो 👇