Mahatripursundari, महात्रिपुरसुन्दरी ही हैं भगवती बगला मुखी

Mahatripursundari is the goddess Bagla Mukhi

Mahatripursundari, भगवती बगलामुखी के दिव्य स्वरूप का वर्णन करना असंभव है। परंतु तंत्र ग्रंथों एवं भगवती के स्तोत्र,मंत्रों के मध्य में भगवती के स्वरूप का बहुत सुंदर वर्णन किया गया है जिसके आधार पर ऋषि-मुनियों ने माना है कि सतोगुण ,रजोगुण और तमोगुण की अधिष्ठात्री देवी भगवती बगलामुखी ही है।
भगवती बगला के विभिन्न स्वरूप – (१) श्रीविद्यार्णव के अनुसार भगवती बगला — स्तम्भिनी, जम्भिनी, मोहिनी, वश्या एवं चलाचला हैं। वे वर्णरूपिणी हैं ५१ पीठों में बगला भी एक पीठ हैं। बगलामुखी मातृका श्रीविद्या के अन्तर्गत ही है।,Mahatripursundari

(२) भगवती बगलामुखी विष्णुवनिता भी हैं और विष्णुशंकरभामिनी भी—बगला ‘विष्णुवनिता विष्णुशङ्करभामिनी’ । (अष्टोत्तरशतनाम)

(३) भगवती बगलामुखी वेदमाता एवं महाविष्णु की माता भी हैं— ‘बगला ‘वेदमाता च महाविष्णुप्रसूरपि’ । (ब. अष्टोत्तर.)

(४) भगवती बगलामुखी मत्स्यावतार भी हैं और कूर्मावतार भी — ‘महामत्स्या महाकूर्मा” ।

(५) भगवती महात्रिपुरसुन्दरी एवं भगवती बगला में अभिन्नता है। प्रचण्ड वातप्रकोप से सृष्टि को नष्ट-भ्रष्ट होते हुए देखकर भगवान् विष्णु ने भगवती महात्रिपुरसुन्दरी के दर्शनार्थ तप किया। महात्रिपुरसुन्दरी का ही भगवती बगला के रूप में स्वरूप प्रकट हुआ। अतः दोनों सत्ताओं को अभिन्न कहा जा सकता है,Mahatripursundari

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