मुख्य विकास अधिकारी हरिद्वार श्रीमती आकांक्षा कोण्डे के निर्देशों के क्रम में जनपद हरिद्वार के समस्त विकासखंडों में अल्ट्रा पूवर सपोर्ट, एंटरप्राइजेज (फॉर्म & नॉन फॉर्म), सीबीओ लेवल के एंटरप्राइजेज की स्थापना की गई है। इसी कड़ी में, ग्रामोत्थान (रीप) परियोजना के सहयोग से, नारसन ब्लॉक के सिकंदरपुर मवाल गांव के ‘माही स्वयं सहायता समूह’ की महिलाओं ने दुग्ध उत्पादन के क्षेत्र में एक नई मिसाल कायम की है।
पहले, ‘माही स्वयं सहायता समूह’ की महिलाएं अत्यंत सूक्ष्म स्तर पर दुग्ध उत्पादन का कार्य कर रही थीं। उनकी आर्थिक स्थिति बहुत निम्न थी और वे जीवन की आधारभूत आवश्यकताओं को भी पूरा नहीं कर पा रही थीं। इसी दौरान, राष्ट्रीय ग्रामीण आजीविका मिशन (एन.आर.एल.एम.) की टीम उनके पास पहुँची और उन्हें समूह से जुड़ने के लाभों के बारे में बताया गया, जिसके परिणामस्वरूप ‘माही स्वयं सहायता समूह’ का गठन हुआ। समूह से जुड़ने के पश्चात् उन्हें आर्थिक व सामाजिक सहयोग प्राप्त हुआ, और दुग्ध उत्पादन को व्यावसायिक ढंग से करने का प्रशिक्षण भी मिला, जिसने उनकी सफलता की यात्रा प्रारंभ की।
ग्रामोत्थान परियोजना द्वारा ‘माही स्वयं सहायता समूह’ को ग्राम मुंडलाना में स्थापित ‘श्री राधे कृष्णा सी.एल.एफ.’ से जोड़ा गया। वर्ष 2023-24 में, समूह को इंडियन ओवरसीज बैंक द्वारा 3,00,000 रुपये का ऋण दिलाया गया। इसके अतिरिक्त, समूह ने स्वयं के 1,00,000 रुपये और ग्रामोत्थान परियोजना द्वारा 6,00,000 रुपये का अंशदान व्यवसाय को बढ़ाने के लिए किया। इस वित्तीय सहायता से समूह के पास कार्यशील पूंजी और स्थायी पूंजी का अभाव समाप्त हो गया, जो उनके व्यवसाय के विस्तार में बाधा बन रहा था।
आज, ‘माही स्वयं सहायता समूह’ पूरे उत्साह के साथ अपने व्यवसाय को बढ़ा रहा है। वर्तमान में उनका दुग्ध उत्पादन 250 लीटर प्रतिदिन से बढ़कर 450 लीटर प्रतिदिन हो गया है। समूह द्वारा आंचल डेयरी तथा रुड़की, मंगलौर व मोहम्मदपुर स्थित 5 स्थानीय डेयरियों पर प्रतिदिन 350 लीटर दूध का विक्रय किया जा रहा है। इसके साथ ही, समूह ने मंगलौर में ‘माही डेयरी’ के नाम से एक सफल आउटलेट भी शुरू किया है, जहाँ प्रतिदिन 100 लीटर दूध का उपयोग विभिन्न उत्पादों जैसे दही (25 लीटर), लस्सी (25 लीटर), पनीर, मावा, मक्खन आदि बनाने में किया जाता है, तथा 25 लीटर दूध का विक्रय स्थानीय लोगों में किया जाता है। ‘माही मिल्क बार’ आउटलेट द्वारा प्रतिदिन 5,000-7,000 रुपये की बिक्री प्राप्त की जा रही है।
व्यवसायिक विवरण के अनुसार, समूह प्रतिदिन 450 लीटर दूध ₹50 प्रति लीटर की दर से खरीदता है, जिसकी लागत ₹22,500 आती है। वे इसे ₹55 प्रति लीटर की दर से बेचते हैं, जिससे ₹24,750 की बिक्री होती है। इस प्रकार, उन्हें प्रतिदिन ₹2,250 का सकल लाभ होता है, जो प्रतिमाह ₹67,500 हो जाता है। सभी खर्चों (मासिक परिवहन खर्च ₹7,500, मासिक लेबर खर्च ₹10,000, मासिक बिजली खर्च ₹1,000) को घटाने के बाद, समूह को प्रतिमाह ₹49,000 का शुद्ध लाभ हो रहा है। वर्तमान में, समूह के लाभार्थी अपने परिवार की सभी मूलभूत आवश्यकताओं को आसानी से पूर्ण कर पा रहे हैं, और बच्चे अच्छी शिक्षा व भरपूर पोषण प्राप्त कर रहे हैं। ‘माही स्वयं सहायता समूह’ की यह सफलता ग्रामीण उद्यम वेग वृद्धि परियोजना, उत्तराखण्ड ग्राम्य विकास समिति और जिला प्रशासन हरिद्वार के प्रयासों का एक उत्कृष्ट उदाहरण है, जो ग्रामीण क्षेत्रों में लोगों को आत्मनिर्भर बनाने के लिए प्रतिबद्ध है।

By Shashi Sharma

Shashi Sharma Working in journalism since 1985 as the first woman journalist of Uttarakhand. From 1989 for 36 years, she provided her strong services for India's top news agency PTI. Working for a long period of thirty-six years for PTI, he got her pen ironed on many important occasions, in which, by staying in Tehri for two months, positive reporting on Tehri Dam, which was in crisis of controversies, paved the way for construction with the power of her pen. Delivered.

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *