निर्जला एकादशी पर हरिद्वार में भारी संख्या में गंगा स्नान

हरकी पैड़ी क्षेत्र में दिन भर दान पुण्य का क्रम जारी रहा।

आज निर्जला एकादशी पर हरिद्वार में भारी संख्या में श्रद्धालुओं ने गंगा स्नान कर दान पुण्य किया।
हिंदू धर्म में एकादशी का सम्बंध सीधे भगवान् विष्णु से है हर वर्ष में चौबीस एकादशियाँ होती हैं। जब अधिकमास या मलमास आता है तब इनकी संख्या बढ़कर २६ हो जाती है। यूं तो सभी एकिदशीयां यानी प्रत्येक पन्द्रह दिनों का एक पक्ष होता है, अमावस्या से अगले दिन से शुक्ल पक्ष शुरू हो जाता है, और पूर्णिमा से चन्द्रमा की घटती कलाओं के साथ कृष्ण पक्ष प्रारम्भ होता है,इन दोनों पक्षों की ग्यारहवीं तिथि एकादशी कहलाती है जो भगवान विष्णु का प्रिय दिवस माना जाता है। धर्म शास्त्रों के अनुसार इस दिन चावल
खाना और तुलसी दल तोड़ना निशिद्ध होता है।
ज्येष्ठ मास की शुक्ल पक्ष की एकादशी को निर्जला एकादशी कहते है इस दिन को पितरों को जल और फल दान से जोड कर देखा जाता है।

माना गया है कि अपने पूर्वजों को इसदिन झलने का हाथ पंखा, पानी भरी सुराही,फल,खास तौर पर बीज वाले फल दान किए जाते हैं, शास्त्रों में बीज वाले फल के दान को वंश वृद्धि से जोड कर देखा जाता है।

निर्जला एकादशी का व्रत रखने वाले पूरे दिन जल गृहण नहीं करते किंतु जो लोग व्रत नहीं करते उन्हें पितरों के निमित्त जल फल हाथ पंखा देना हिन्दू धर्म में अनिवार्य है इस दान के बाद ही पुत्र पौत्र पिता महिलाएं भी सभी जल ग्रहण कर सकते हैं।

इस पर्व को सिखों के पांचवें गुरु अर्जुन देव की स्मृति से भी जोड़ा गया है बैसाखी के बाद चालिस दिनों तक गुरद्वारों में ठंडा मिठा शर्बत उनकी शहादत की स्मृति में वितरित किया जाता है और निर्जला एकादशी को समापन की बात कही गई है।
इस दिन निर्जल रह कर महिलाएं तुलसी के पौधे पर मौली चावल और धूप-दीप दान करती हैं, पीपल वृक्ष पर भी सफेद सूत बांधे जाने की परम्परा है। इस दिन को भीम एकादशी भी कहा जाता है भोजन से विरत न रह पाने के कारण भगवान कृष्ण ने भीम को निर्जला एकादशी व्रत करने की सलाह दी थी।

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