धर्म-कर्म और दर्शन
philosophy,religion and philosophy
कापालिक सम्प्रदाय कपाल तंत्र रहस्य
🏵️ऊं नमो कापालिके चैतन्य गुरु कानिफनाथा नमः🏵️
जय मां डाकिनी जय मां तारा जय मां काली
श्री सर्व कुलेश्वरी भगवती महामाया कुरुकुल्ला देवी मां
प्रस्तुति- डॉक्टर रमेश खन्ना
philosophy,मां पार्वती जी ने स्वयं को विभाजित करने के बाद निर्मित मां के इन तीनों रुपों ने स्वयं को और कुछ हजारों योगनियों डाकिनियों में विभाजित किया तथा भगवान शिव ने भी स्वयं को अनेकों भैरवों में विभाजित किया इस कारण अनेक परंपराओं का निर्माण हुआ
इन परंपराओं के भैरव व डाकिनी योगिनी ने माता कुरुकुल्ला ने उनको कलयुग के मध्य तक अन्य देवी देवताओं समेत हिमालय में रहने का वर दिया
कौलांतक शक्ति पीठ व सिद्ध परंपरा तथा शाकत सम्प्रदाय और कापालिक सम्प्रदाय के अनुसार ऐसा माना जाता है कि माता कुरुकुल्ला का कोई आदि-अंत नहीं है तथा वहीं परम ईश्वरी शक्ति है उनका जन्म नहीं हुआ है वह नित्य है माता ने ही सारे देवी देवता और ब्रह्मांड बनाया है तथा माता की शक्ति से ब्रह्मांड आगे बढ़ रहा है
प्रथम ध्वनि ऊं की उत्पत्ति हुई है ऊं की ध्वनि अविनाशी मानी गई है क्योंकि यह स्वर वर्ण से गुंजन से निर्माण हुआ है ब्रह्मांड में स्थित आवाज नित्य है तथा ध्वनि के गुंजन से ही ऊं की उत्पत्ति हुई है ईस कारण ऊं नित्य है
ऊं से ही सकल ब्रह्मांड निर्माण हुआ है ऊं की उत्पत्ति माता कुरुकुल्ला से ही हुई है इसी कारण माता सकल कारणों की कारण है तथा सारे मूल का मूल है
सभी कौलाचारी माता को महायोगिनी और कापालिक माता को महा डाकिनी मानते हैं ,philosophy

 
                     
  
                    
Jay Mata Di sab ke sab kam Sawar ro maa sb ko Tera Hi Aasra