Pushkar Kumbh, पुष्कर ने की, पुष्कर कुंभ के शुभारंभ की विधिवत् घोषणा ।
Pushkar Kumbh, Pushkar formally announced the commencement of Pushkar Kumbh.
माणा में प्रति 12 वर्ष बाद लगने वाले पुष्कर कुंभ की शुरुआत,दूर दूर से पहुंचे श्रद्धालु।
तीर्थ स्थल न केवल हमारी धार्मिक आस्था के केंद्र हैं, बल्कि ये देश की एकता और सांस्कृतिक एकजुटता के भी प्रतीक हैं- मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी
Pushkar Kumbh,उत्तराखंड वैदिक और दैविक घटनाक्रमों का केंद्र है, महर्षि वेदव्यास द्वारा रचित पौराणिक ग्रंथ महाभारत की रचना के संदर्भ में उत्तराखंड के चमोली जिले की सीमा पर बद्रीनाथ धाम के निकटवर्ती गांव माणा में प्रति 12 वर्ष बाद लगने वाले पुष्कर कुंभ की शुरुआत की विधि वत् घोषणा आज उत्तराखंड के मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी ने की।
महाकुंभ के समानांतर ही ग्रहों की विशिष्ट परिस्थितियों में इस पुष्कर कुंभ का आयोजन किया जाता है, मान्यता है कि
जब प्रत्येक 12 वर्षों में बृहस्पति ग्रह मिथुन राशि में प्रवेश करता है, तो माणा गांव स्थित अलकनंदा और सरस्वती नदियों के संगम पर स्थित केशव प्रयाग में पुष्कर कुंभ का आयोजन होता है।मान्यता है कि यहीं महर्षि वेदव्यास ने गणेश जी को महाभारत युद्ध का आंखों देखा वर्णन किया था जिसे गणेशजी ने लिखा था , महाभारत ग्रंथ लिखते हुए गणेश जी की कलम टूट जाने पर उन्होंने अपने एक दांत को तोड़ कर उसकी कलम बना कर महाभारत ग्रंथ को पूरा किया था तभी से गणेश एक दंत कहलाये ये वर्णन पुराणों में मिलता है।
यही नहीं तीव्र गर्जना करती सरस्वती नदी के कारण महाभारत के लेखन में आ रही बाधा के कारण महर्षि वेदव्यास के श्राप से सरस्वती नदी के विलुप्त होने का प्रसंग भी यहीं से जुड़ता है।
इस पुष्कर कुंभ का बृहस्पति ग्रह और मिथुन राशि से क्या सम्बन्ध है ये तो पुराणों में कहीं स्पष्ट नहीं है लेकिन सम्भवतःकिसी भी धार्मिक कार्यों की स्थापना में बृहस्पति की गति की विवेचना प्राथमिक रूप से की जाती है और बृहस्पति देवताओं के गुरु एवं वैदिक आराध्य हैं, इन्हीं कारणों से महाभारत के रचयिता महर्षि वेदव्यास ने महाभारत के लेखन के प्रारंभ करने में इन ग्रहों की परिस्थितियों का ध्यान रखा हो और तभी से बृहस्पति ग्रह मिथुन राशि में प्रवेश करने पर इस पुष्कर कुंभ के आयोजन की परम्परा स्थापित हो

इन दिनों पुष्कर कुंभ के चलते माणा गांव स्थित अलकनंदा और सरस्वती नदियों के संगम केशव प्रयाग कहलाता है यहीं पुष्कर कुंभ का आयोजन किया जाता है।
पुष्कर कुंभ के आयोजन को लेकर जिला प्रशासन के साथ पुलिस प्रशासन की ओर से यहां तीर्थयात्रियों की सुविधा के लिए पुख्ता इंतजाम किए गए हैं।

मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी ने प्रदेश वासियों और देशवासियों को पुष्कर कुंभ की शुभकामनाएं देते हुए कहा, कि तीर्थ स्थल न केवल हमारी धार्मिक आस्था के केंद्र हैं, बल्कि ये देश की एकता और सांस्कृतिक एकजुटता के भी प्रतीक हैं।
विभिन्न स्थानों से आने वाले श्रद्धालु इन स्थलों पर एकत्र होकर ‘एक भारत, श्रेष्ठ भारत’ की भावना को साकार करते हैं। इसी क्रम में माणा गांव में आयोजित पुष्कर कुंभ, उत्तर को दक्षिण से जोड़ रहा है।
जिलाधिकारी संदीप तिवारी ने बताया कि माणा गांव के केशव प्रयाग में आयोजित पुष्कर कुंभ को लेकर पैदल मार्ग का सुधारीकरण किया गया है।
यहां पैदल मार्ग पर श्रद्धालुओं की सुविधा के लिए विभिन्न भाषाओं में साइन बोर्ड लगाए गए हैं।
इसके साथ ही कुंभ के सुचारु संचालन के लिए जहां पैदल मार्ग पर पुलिस की तैनाती की गई है, वहीं संगम तट पर एसडीआरएफ के जवानों की तैनाती भी की गई है।
उन्होंने बताया कि तहसील प्रशासन को पुष्कर कुंभ के आयोजन को लेकर व्यवस्थाओं को सुचारु बनाए रखने के लिए नियमित मॉनीटरिंग करने के निर्देश दिए गए हैं।
इस आयोजन में मुख्य रुप से दक्षिण भारत के वैष्णव मतावलम्बी प्रतिभाग करते हैं।
हिन्दू धार्मिक मान्यताओं के अनुसार, माणा गांव के पास स्थित केशव प्रयाग में महर्षि वेदव्यास ने तपस्या करते हुए हिन्दू धर्म के पौराणिक ग्रंथ महाभारत की रचना की थी।
यह भी कहा जाता है कि दक्षिण भारत के महान आचार्य रामानुजाचार्य और माध्वाचार्य ने इसी स्थान पर मां सरस्वती से ज्ञान प्राप्त किया था, जिसके चलते अपनी पौराणिक परंपराओं के संरक्षण के लिए बदरीनाथ धाम के समीप स्थित माणा गांव पहुंच कर केशव प्रयाग में स्नान कर पूजा अर्चना करते हैं।
मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी ने प्रदेश वासियों और देशवासियों को पुष्कर कुंभ की शुभकामनाएं दी।