Rakshabandhan time, जाने कब मनाए रक्षाबंधन
Rakshabandhan time, Know when to celebrate Rakshabandhan
भागवताचार्य पंडित पवन कृष्ण शास्त्री-
Rakshabandhan time, भाई और बहन के पवित्र त्यौहार रक्षा बंधन पर इस वर्ष भी भद्रा की छाया है,पंचांग के अनुसार, इस साल सावन माह के शुक्ल पक्ष की *पूर्णिमा तिथि 19 अगस्त दिन सोमवार को प्रातः 03:04 से शुरू हो रही है. इस तिथि की समाप्ति 19 अगस्त को ही रात रात्रि 11:55 पर हो रही है*. ऐसे में उदयातिथि के आाधार पर रक्षाबंधन का त्योहार 19 अगस्त सोमवार को मनाया जाएगा.
इस साल रक्षाबंधन के दिन भद्रा का साया रहेगा. *रक्षाबंधन पर भद्रा के प्रारंभ का समय सुबह में 5 बजकर 53 मिनट पर है, उसके बाद वह दोपहर 1 बजकर 32 मिनट तक रहेगा*. इस भद्रा का वास पाताल लोक में है. हालांकि कई विद्वानों का मत है कि यदि भद्रा का वास स्थान पाताल या फिर स्वर्ग लोक में है तो वह पृथ्वी पर रहने वाले लोगों के लिए अशुभ नहीं होती है. उसे शुभ ही माना जाता है, *लेकिन कई शुभ कार्यों में पाताल की भद्रा को नजरअंदाज नहीं करते हैं*.
Rakshabandhan time, रक्षाबंधन वाले दिन शाम के समय में पंचक भी लग रहा है. पंचक शाम 7 बजे से शुरू होगा और अगले दिन सुबह 5 बजकर 53 मिनट तक रहेगा. पंचक सोमवार को लग रहा है, जो राज पंचक होगा, *इसके अशुभ नहीं माना जाता है*. यह शुभ होता है.
*रक्षाबंधन 2024 मुहूर्त*
19 अगस्त को रक्षाबंधन का मुहूर्त दोपहर में 1 बजकर 30 मिनट से लेकर रात 9 बजकर 8 मिनट तक है. उस दिन भाइयों को राखी बांधने के लिए 7 घंटे 38 मिनट तक का समय मिलेगा.
*रक्षाबंधन पर 3 शुभ योग*
इस साल रक्षाबंधन पर 3 शुभ योग बन रहे हैं. उस दिन *शोभन योग* पूरे दिन रहेगा. वहीं *सर्वार्थ सिद्धि* योग प्रात: 05:53 एएम से 08:10 एएम तक है, वहीं *रवि योग* 05:53 एएम से 08:10 एएम तक है.
*रक्षाबंधन का महत्व*
रक्षाबंधन का त्योहार भाई और बहन के प्रेम का प्रतीक है. इस दिन बहनें अपने भाई को राखी बांधकर अपनी रक्षा का वचन लेती हैं. बदले में भाई अपनी प्यारी बहना को दक्षिणा और उपहार देते हैं……
Rakshabandhan time, कहा जाता है कि रावण की बहन सरुपनखा ने भद्रा काल में अपने भाई को राखी बांधी थी,रावण की परिणति के बाद से मान्यता बन गई कि भद्रा काल में बहने भाई को राखी नहीं बांधती।
भद्रा क्या है, कहां से आई और क्यों इस काल में शुभकार्य वर्जित है, शास्त्रों के अनुसार भद्रा सुर्य देव की पुत्री और शनि देव की बहन हैं, भद्रा का जन्म असुरों के वध के लिए हुआ किन्तु भद्रा यज्ञ हवन में भी बाधा पहुंचाने लगी,तब ब्रह्माजी ने भद्रा के लिए पंचांग में एक समय निश्चित किया और कहा कि इस काल में यदि कोई शुभकार्य करे तो उसमें अपना प्रभाव दिखाना तभी से भद्रा काल को शुभकार्य के लिए वर्जित माना गया है।,Rakshabandhan time