religion,धर्म-कर्म और दर्शन – 12
religion and philosophy- 12
परमात्मा की प्राप्ति का साधन,भक्ति है – ऋषि अंड्गिरा
प्रस्तुतकर्ता
डॉक्टर रमेश खन्ना
वरिष्ठ पत्रकार
परमात्मा की प्राप्ति का साधन : भक्ति-ऋषि अङ्गिरा कहते हैं—’सृष्टेरतीतो भक्ति भगवान् की आह्लादिनी शक्ति है। वह शिव की पाँच शक्तियों में आनन्द शक्ति है। भक्ति आनन्द की मन्दाकिनी है। भक्ति-साधना,आनन्द की साधना है।
भक्ति की उपासना शिव की पराशक्ति की उपासना है या उनकी आनन्दाख्या शक्ति की उपासना है। बगलासमाम्नाय में कहा गया है कि भगवती बगला की पूजा भक्तिपूर्वक की जानी चाहिए-
(१) ‘पञ्जरं यः पठेत् भक्त्या स विघ्नैर्नाभिभूयते ।
अतो भक्तैः कौलिकैश्च स्वरक्षार्थं सदैव हि ।। पठनीयं प्रयत्नेन सर्वानर्थविनाशनम् ॥ १२.
(२) ‘भक्त्या वामकरे निधाय च मनुं मन्त्री मनोज्ञाक्षरम्’ । (३) ‘बगलाहृदयस्तोत्रमिदं भक्तिसमन्वितः’ ।
वे भगवती ‘ध्येया ध्यानस्वरूपिणी’ बनकर ज्ञानियों की आराध्या तो हैं ही किन्तु साथ ही वे भक्तों की भक्तिसुलभा देवी भी है। इसीलिए उनके स्तोत्रों, पटलों, हृदयों, सहस्रनामों, कवचों आदि में उन्हें माता, दयारूपा, भक्तों की भव्यदा, विश्वमाता आदि कहा गया है और अपने को दास कहा गया है। यह भी कहा गया है कि उनकी उपासना भक्ति से की जानी चाहिए।
वे ‘जगदानन्दकारी च जगदाह्लादकारिणी’ भी हैं और ‘सर्वानन्दप्रदा देवी ब्रह्मानन्दप्रदायिनी’ भी हैं। वे ‘सर्वानन्दमयी चैव सर्वसिद्धिप्रदायिनी’ भी हैं और भजनीया (भवानीम् भजाम्यहम्) तथा दिगम्बरा दयारूपा भी है। वे ‘भीषयन्तीम्भीमशत्रून्भजे भक्तस्य भव्यदाम्’ भी हैं और ‘आराध्या जगदम्ब दिव्य- कविभि:’ भी हैं। वे माता हैं— (क) ‘मातस्त्वदीयं वपुः’; (ख) ‘मातर्भैरवि भद्रकालि विजये’। आराधक उनके दास हैं- ‘दासोऽहं शरणागतः करुणया विश्वेश्वरि ! त्राहि माम्’ । वे त्रिलोकजननी हैं— ‘त्वं विद्या परमा त्रिलोकजननी’; ‘त्रिजगतामानन्दसंवर्धिनी’ और वे – ‘भवति परमसिद्धा लोकमाता पराम्बा’ भी हैं। ‘देवी ! त्वच्चरणाम्बुजार्चनकृते यः पीतपुष्पाञ्जलिम्