religion,धर्म-कर्म और दर्शन -121

religion and philosophy- 121

🏵️*तंत्र शास्त्र में भैरवजी का स्थान*🏵️

भैरवजी, भगवान शिव के प्रथम अनुचर तथा स्वयं उन्हीं के स्वरुप हैं। जो अपनी क्रिया-शक्ति से मिल कर अपने स्वभाव से सम्पूर्ण जगत का विमर्श करता हैं वह भैरव हैं। जो समस्त विश्व को अपने ही समान तथा अभिन्न समझकर अपने भक्तों को सर्व प्रकार से भय मुक्त करते हैं वे भैरव कहलाते हैं।

भगवान शिव के अन्य अनुचर जैसे भूत-प्रेत, पिशाच आदि के वे अधिपति हैं। ईस लिए तो भैरवजी की उपासना, डाकीनी, शाकिनी, वैताल, राक्षस जैसे क्लिष्ट (Un Controlable) तत्वो को ठीक करने या वशमे करने के लिए की जाती है.

भैरव मत के दो संप्रदाय हैं। प्रथम काल भैरव तथा द्वितीय बटुक भैरव, जो क्रमशः काशी और उज्जैन के द्वारपाल हैं। दक्षिण भारत में भैरव ‘शास्ता’ के नाम से तथा महाराष्ट्र में ‘खंडोबा’ के नाम से जाने जाते हैं।

मुख्य रूप से भैरव आठ स्वरूप वाले जाने जाते हैं; १. असितांग भैरव, २. रुद्र भैरव, ३. चंद्र भैरव, ४. क्रोध भैरव, ५. उन्मत्त भैरव, ६. कपाली भैरव, ७. भीषण भैरव, ८. संहार भैरव, यह आठों मिलकर अष्ट-भैरव समूह का निर्माण करते हैं। इनकी उपासना से सदैव भक्तों का कल्याण होता है..

भैरव की उपासना का स्थान श्मशान ही है इसके अतिरिक्त अन्य जगहों पर भैरव के अंश प्राप्त होंगे उनका आशिर्वाद मिलेगा वे स्वयं दर्शन नही देंगे उनके दर्शनों के लिए शमशानी साधना जरूरी है…

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वही ये भी जानिए की सात्विक रीति यानी मांस मंदिरा मैथून नशा निराशा ये पंच मकार यानी ये पांच बुरी बाते है जोकि भैरव को पसदं नही इसके बिना साधना करने वाले को भैरव दर्शन देते है…

परंतु इस बात भी सही है कि… भी सात्विक रीति से शमशाम में जाकर साधना करने वाले उपासक के , भैरवजी अनुचर हो जाते है अधीनस्थ हो जाते है । हमारे बुजुर्ग साधक समेत अनगिनत उम्रदराज इसलिए है कि उसपर भैरव की कृपा हो चुकी है। मेरे पूजनीय गुरजी कहा करते थे कि… “सिर्फ भैरवजी की कृपा से ही त्रिकाल दर्शन होता है, इसलिए तो लगभग सभी ज्योतिष शास्त्री या भविष्य द्रष्टा भैरवजी के उपासक होते हैं..!”

भैरव साधना आसान नहीं है.! अपितु, निष्ठावान साधक को, और सिरपर सिध्ध गुरुपरंपरा है तो इतना मुश्किल भी नहीं होता. जैसे गणेशजी और हनुमानजी की आराधना, भक्त को सुख शांति और ऐश्वर्य प्रदान करती है, वैसे ही भैरवजी की साधना सुख स्वास्थ्य और ऐश्वर्य देने वाली होती है. तंत्र शास्त्र के अनुसार तीनों साधना लगभग एक जैसी शक्ति प्रदान करती है.

भैरवजी की साधना के लिए एक विशेष लेख तैयार हो रहा है.
तब तक इन्तज़ार किजिए.

*ॐभाम् भीम् भूम् भैरवाय आपद् उध्धारणाय हूम् फट्

Dr. RAMESH KHANNA.

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