religion,धर्म-कर्म और दर्शन – 14
religion and philosophy- 14
इस लेख के लेखक वरिष्ठ पत्रकार रमेश खन्ना हैं, खन्ना जी देवी के उपासक हैं ये सर्वविदित है,उनका दावा है कि निम्न लेख उन्होंने महान तांत्रिक कामराज के विभिन्न ग्रंथों के अध्ययन के बाद लिखा है, रमेश खन्ना जी विद्वान और सुलझे हुए पत्रकार भी हैं और धर्म कर्म में उनकी गहरी रुचि है, उनके विशेष आग्रह पर ये लेख प्रकाशित किया जा रहा है,उनका दावा है कि ये लेख तंत्र को लेकर सामाजिक विकृतियों पर रौशनी डालने में कामयाब होगा,लेख से जुड़े विचार लेखक के अपने विचार और दायित्व है।
संपादक शशि शर्मा।
मशान :: मसान
*मसान क्या होता है-*
साधनाये कई प्रकार की होती है। कुछ साधनाये तो इंसान के लिये ठीक होती है लेकिन कुछ साधनाये ऐसी होती है जो कि एक गृहस्थ और साधारण इंसान के लिये जानलेवा हो सकती है जैसे कि कर्णपिशाचिनी साधना, शव साधना, शमशान साधना इत्यादि बहुत तरह की साधनाये होती है।
जो लोग गृहस्थ है और साधारण जीवन जीने वाले व्यक्ति है वो लोग इन साधनाओ को गलती से भी करने की कोशिश न करें और यदि आप करना ही चाहते है तो किसी योग्य गुरू की तलाश करके ही करें नही तो आपकी जान भी जा सकती है।
जो लोग साधना मे सफलता प्राप्त कर लेते है उन्हे किसी बात का डर नही होता वो कही भी निर्भय होकर घूम सकते है। भूतप्रेत और आत्माये सभी उसके अधीन हो जाते है।
जो लोग शमशान साधना को सफलतापूर्वक कर लेते है उन्हे काम, क्रोध, भय, घृणा, जुगुप्सा कभी भी परास्त नही कर सकते है।
इस साधना के पश्चात व्यक्ति को आत्मज्ञान प्राप्त हो जाता है।
शमशान सफेदा, यमदंड, सुकिया, फुलिया, हल्दिया, कामेदिया, मिचमिचिया, किकदिया, सिलासिलया, पिलिया :: ये दस प्रकार के शमशान होते है।
यह एक प्रकार की दस प्रेत शक्तियां होती है जो कि काफी उग्र होती है।
इन्ही दस शक्तियों से
प्रेत, पिचाश, भैरव, बेताल आदि के मंत्र सिद्ध किये जाते है तथा इन्हे मसान जगाना भी कहा जाता है।
शमशान का अधिष्ठाता धूम्रलोचन को माना जाता है। जो कि प्रेत पिण्ड चिता से पकता हुआ मांस भोजन के रूप मे लेते है।
मसान जगाना
यह काफी कठिन कार्य है और बहुत ही ज्यादा खतरनाक है क्योकि यदि पूरा मसान जाग गया तो इसे कोई भी वस मे नही कर सकता है ।
इसीलिये गृहस्थ और साधारण जीवन जीने वाले व्यक्ति इसके चक्कर मे बिल्कुल भी न पडे तो ज्यादा बेहतर होगा।
शमशान साधना कब से शुरू करना चाहिये-
शमशान साधना को
0अष्टमी चर्तुदशी, अमावस्या, पूर्णिमा, शनिवार और मंगलवार से करनी चाहिये। यदि पूर्णिमा, अमावस्या के दिन शनिवार या मंगलवार हो तो सबसे उत्तम माना जाता है।
यदि कोई अघोरी इस साधना को करना चाहता है तो उसे मुहूर्त से कोई लेना देना नही है। लेकिन यदि कोई सामान्य साधक इस साधना को करना चाहता है तो मुहूर्त मे ही करना चाहिये तो ज्यादा बेहतर होता है। साधना मे आमिष और निरामिष कोई भी भोग लिया जा सकता है।
ऐसा कहा जाता है कि शमशान साधना करने के लिये शमशान मे जाते समय सभी प्रकार की आसुरी शक्तियों और गुरू गणेश बटुक योगिनी आदि से आज्ञा ले और प्रणाम करना चाहिये।
जो साधक शमशान मे आसन ले लेता है तो पूर्व की ओर शमशान अधिपति को, दक्षिण मे भैरव, पश्चिम मे कालभैरव और उत्तर मे महाकाल को रखकर ही साधना प्रारंभ करना चाहिये
और यदि साधक चिता के समक्ष साधना करता है तो साधक को काली, महाकाली और कालरात्रि का ध्यान रखकर ही मंत्र जाप करना चाहिये तथा भोग लगाना चाहिये।
मसान को जगाने के लिये साधक को किसी ऐसे शव को लाना पडता है जो कि नौजवान हो और जलाया न गया हो तो उसे ज्यादा उत्तम माना जाता है।
जिस दिन शमशान जगाना होता है उस दिन जहाँ बकरा काटा जाता है वहाँ से एक सामान लाना होता है लेकिन शमशान जगाने से एक दिन पहले शमशान से जाकर यह आज्ञा लेना पडता है कि कल तुम्हे जगाना है फिर उसके अगले दिन सभी सामग्री को लेकर शमशान मे जाना होता है और विधिवत साधना करना पडता है।
साधक को मसान जागृत मंत्र को 10000 बार सिद्ध करना पडता है और अमावस्या की रात को मुर्दे की खोपडी पर यंत्र लिखकर सिद्ध करना होता है।
साधना के समय जब मुर्दे की खोपडी से आवाज आने लगती है तो ऐसा समझा जाता है कि अब मंत्र सिद्ध हो चुका है।
आपने औघड तांत्रिक को जरूर देखा होगा तो आप जानते होगे कि इनके हाथ मे आधे हाथ की साइज का हड्डी का एक टुकडा रहता है। इस हड्डी को मसान बोला जाता है।
ऐसा कहा जाता है कि तांत्रिक लोग इस मसान से बातें करते है जो कि बिल्कुल सत्य है।
जब तांत्रिक लोग इस मसान को अपने कान के पास ले जाते है तो उसमे से एक सूक्ष्म ध्वनि निकलती है। जिसे सिर्फ वही औघड तांत्रिक ही सुन सकते है।
वह मसान उस तांत्रिक को वहाँ पर आये सभी व्यक्ति की समस्या का समाधान बताता है यही कारण है कि तांत्रिक सभी लोगो की परेशानी को दूर करने मे सक्षम रहता है।
आत्माओ को बुलाने के तरीके :: –
आप सभी इस बात को भलीभांति जानते है कि हर मनुष्य एक न एक दिन जरूर मरेगा। हिंदू धर्म शास्त्रों के अनुसार जिस मनुष्य की मृत्यु अकाल होती है या मृत्यु के समय जिनकी कुछ इच्छाये अधूरी रह जाती है।
ऐसे लोगो को मृत्यु के पश्चात मोक्ष नही मिलता है। ऐसे लोग प्रेतयोनि को प्राप्त हो जाते है और भटकते रहते है।
जैसे मनुष्य मे कुछ लोग अच्छे होते है तथा कुछ लोग बुरे होते है ठीक उसी तरह से अच्छी तथा बुरी दो तरह की आत्माये होती है। जो आत्माये अच्छी होती है वो आपकी हमेशा मदद करेगी लेकिन जो आत्माये बुरी होती है वो आपका हमेशा नुकसान ही करेगी।
आत्माओ को बुलाने के तरीके-
आपने देखा होगा कि लोग कैसे आत्माओ से संपर्क रहते है उन्हे बुलाते है तथा अपने मन मे चल रहे प्रश्नों का उत्तर जानने की कोशिश करते है।
कुछ तरीके जिससे की आत्माओ को आप अपने सामने बुला सकते है तथा उनसे अपने मन की समस्या से जुडे हल को भी जान सकते है।
प्लेनचिट
प्लेनचिट की मदद से आत्माओ को अपने सामने बुलाया जाता है। इसमे एक शीट पर अंग्रेजी के अक्षर तथा गिनतियाँ लिखी होती है। बीच मे एक सर्कल बना होता है। जिसके आसपास Yes और No लिखा होता है। सर्कल पर उल्टी कटोरी रखकर तीन लोग उसपर अपनी अंगुली रखते है और चारो तरफ अगरबत्ती जलाकर आत्मा का आवाहन करते है।
जब आत्मा आ जाती है तब यह कटोरी अपने आप ही चलने लगती है। फिर आपके मन मे जो सवाल है उसे आप पूछ सकते है जिससे आपके सवालों का जवाब आपको मिल जायेगा।
उइजा बोर्ड ::
प्लेनचिट और उइजा बोर्ड मे सिर्फ इतना अंतर होता है कि प्लेनचिट कागज की शीट होती है जब कि उइजा बोर्ड लकडी का बना होता है। उइजा बोर्ड के माध्यम से भी आत्माओं को बुलाया जाता है और अपने जीवन की परेशानी बताकर उनसे हल मागा जाता है।
इसमे आप तीर पैरो वाली एक टेबल लीजिये तथा उस टेबल के नीचे एक लकडी का गुटका रख दीजिये। दोस्तो इस विधि को टेबल टर्निंग विधि भी कहते है। फिर आप अपने दोस्तो की टीम के साथ उसके चारो तरफ कुर्सी लगाकर बैठ जाइये। सभी लोग अपने हथेलियों को टेबल पर रख दीजिये।
अब आप जिस भी व्यक्ति की आत्मा को बुलाना चाहते है उसका नाम लेकर उसकी आत्मा का आवाहन करें। जैसे ही उस व्यक्ति की आत्मा आ जायेगी वैसे सी टेबल मे कंपन होने लगेगा। यह आत्मा के आगमन की सूचना होती है। उसके बाद आपके मन मे जो भी प्रश्न है आप उसे पूछ सकते है। इसमे आपको सांकेतिक तौर पर आपके प्रश्नों का उत्तर मिलता है।
इसमे आपको दिल के आकार वाला लकडी का एक टुकड़ा लेना है। इसमे पीछे की तरफ सभी ओर घूमने वाले पहिये लगे होते है। इसकी नोक की तरफ एक छेद होता है जिसमे एक पेंसिल लगा दी जाती है। मेज पर एक सादा कागज रखकर उसके ऊपर यंत्र को रखा जाता है।
इसके बाद आप जिसकी आत्मा को बुलाना चाहते है आप बुला सकते है। जैसे ही आत्मा आ जाती है यह यंत्र अपने आप चलने लगता है। यंत्र मे लगे पेंसिल से आत्मा पूछे गये प्रश्नों के उत्तर देने लगती है।
आप सभी अपने आस पास के घरो मे देखिये आपको कोई ऐसी महिला या पुरूष जरूर मिलेगा जिसके ऊपर कोई देवी या देवता जरूर आते है। देवी या देवता व्यक्ति के शरीर के माध्यम से लोगो से जुडकर उनकी समस्या का समाधान करते है। इसका मतलब यह है कि आप किसी संवेदनशील व्यक्ति को माध्यम बनाकर आत्मा से बात कर सकते है।
इसमे व्यक्ति खुद ही आत्मा का माध्यम बन सकता है मतलब आप अपने शरीर पर किसी आत्मा को बुला सकते है। इसके लिये आप एक टेबल लगी कुर्सी पर बैठ जाइये। उसके बाद आप टेबल पर एक कटोरी शीट रख ले फिर अपने हाथ मे एक पेंसिल हल्के से पकडकर रखे।
इसके बाद आप जिस व्यक्ति की आत्मा से बात करना चाहते है आप उसका नाम लेकर उसका आवाहन करिये। कुछ ही देर मे आपके हाथ पर भारीपन लगने लगेगा तथा पेंसिल अपने आप हिलने लगेगी। हाथ मे रखी पेंसिल खुद ही कागज पर चलने लगेगी और आपके प्रश्नों का उत्तर मिलने लगेगा।
कुछ लोग दर्पण के सामने खडे हो जाते है। जहाँ पर उन्हे आत्मा दिखाई देने लग जाती है।
कुछ तांत्रिक कांसे का थाल, मिट्टी की हांडी, कांच के गिलास, शीशा, मोमबत्ती, दीपक, तेल, और अनाज के ऊपर आत्माओं को बुलाते है।
इसके अलावा ऐसे और बहुत से तरीके है जिससे आत्माओं को बुलाया जाता है।
एक बात का ध्यान रखना कि यदि आपने किसी आत्मा को बुला लिया तो आपके सामने अच्छी की जगह बुरी आत्मा भी आ सकती है। ऐसा कहा जाता कि इन्हे बुलाना तो आसान है लेकिन इन्हे वापस अपने लोक भेजना बहुत मुश्किल है। इसीलिये आप इस पोस्ट को सिर्फ मनोरंजन की दृष्टि से ही पढें। जो जहा है उसे वही रहने दे किसी भी आत्मा को बुलाने की कोशिश बिल्कुल भी न करे वरना ये आपके लिये बेहद खतरनाक भी साबित हो सकता है।
क्या आत्मा को मारा जा सकता है?
आत्मा उस परमात्मा का एक अंश है जिस तरह से परमात्मा अजर, अमर, अविनाशी है। ठीक उसी तरह से हमारी यह आत्मा भी अजर, अमर, अविनाशी है। इसीलिये आत्मा को कोई भी नही मार सकता है।
प्रेत आत्माये कहाँ पर रहती है?
पुराणो के अनुसार प्रेत आत्माओं की भी अपनी एक दुनिया होती है। जिस तरह से हमारी यह दुनिया है जिसमे सभी मनुष्य रहते है। ठीक उसी तरह से इनकी भी एक दुनिया होती है जिसमे सभी प्रेत आत्माये निवास करती है।
*डॉ रमेश खन्ना*
वरिष्ठ पत्रकार
Jai Mata di