religion,धर्म-कर्म और दर्शन -160

religion and philosophy- 160

🌺महालक्ष्मी का महाशक्ति शाली स्तोत्र 🌺

श्री महालक्ष्मी ह्रदय स्तवः
लक्ष्मीजी का ह्रदय है यह स्तोत्र
किसी भी शुक्रवार की रात्रि को इस स्तोत्र के सिर्फ सौ बार पाठ करने
से पाठक धनवान होता है |

religion,धर्म-कर्म और दर्शन -160
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पाठ एक बार में न कर सके तो इसे अपनी सुविधानुसार संख्या तय करके भी कर सकते हैं।
श्री महालक्ष्मी ह्रदय स्तवः
श्रीमत् सौभाग्य जननीं स्तौमि लक्ष्मीं सनातनीम् |
सर्वकाम फलावाप्ति साधनैक सुखावहाम् ||

श्रीवैकुण्ठ स्थितेलक्ष्मी समागच्छ ममाग्रतः |
नारायणेंन सह माँ कृपा दृष्टयावलोकय ||

सत्यलोक स्थितेलक्ष्मी त्वं समागच्छ सन्निधिम् |
वासुदेवेन सहिता प्रसीद वरदा भव ||

श्वेतद्वीप स्थितेलक्ष्मी शीघ्रमागच्छ सुव्रते |
विष्णुना सहिते देवि जगन्मातः प्रसीद में ||

क्षीराब्धि संस्थिते लक्ष्मी समागच्छ स माधवे |
त्वत् कृपा दृष्टि सुधया सततं मां विलोकय ||

रत्नगर्भ स्थिते लक्ष्मि परिपूर्णं हिरण्मयी |
समागच्छ समागच्छ स्थित्वा सु पुरतो मम ||

स्थिरा भव महालक्ष्मी निश्चला भव निर्मले |
प्रसन्ने कमले देवि प्रसन्ना वरदा भव ||

श्रीधरे श्रीमहाभूते त्वदन्तस्य महानिधिम् |
शीघ्रमुद् धृत्य पुरतः प्रदर्शय समर्पय ||

वसुन्धरे श्रीवसुधे वसुदोघ्रे कृपामयि |
त्वत् कुक्षिगतं सर्वंस्वं शीघ्रं में त्वं प्रदर्शय ||

विष्णुप्रिये रत्नगर्भे समस्त फलदे शिवे |
त्वत् गर्भ गत हेमादीन् सम्प्रदर्शय दर्शय ||

अत्रोपविश्य लक्ष्मि त्वं स्थिरा भव हिरण्मयी |
सुस्थिरा भव सुप्रीत्या प्रसन्ना वरदा भव ||

सादरे मस्तकं हस्तं मम तव कृपयाऽर्पय |
सर्वराज गृहेलक्ष्मी त्वत् कलामयि तिष्ठतु ||

यथा वैकुण्ठ नगरे यथैव क्षीरसागरे |
तथा मद्भवने तिष्ठ स्थिरं श्रीविष्णुना सह ||

आद्यादि महालक्ष्मि विष्णु वामाङ्क संस्थिते |
प्रत्यक्षं कुरु में रूपं रक्ष मां शरणागतम् ||

समागच्छ महालक्ष्मि धन धान्य समन्विते |
प्रसीद पुरतः स्थित्वा प्रणतं मां विलोकय ||

दयासु दृष्टिं कुरुतां मयि श्रीः |
सुवर्ण दृष्टिं कुरु में गृहे श्रीः ||

फलश्रुतिः
महालक्ष्मी समुद्दिश्य निशि भार्गव वासरे |
इदं श्रीहृदयँ जप्त्वा शतवारं धनी भवेत् ||

श्री लक्ष्मीहृदयँ स्तवः सम्पूर्णं

*डॉ रमेश खन्ना*
*वरिष्ठ पत्रकार*
*हरीद्वार (उत्तराखंड)*

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