religion,धर्म-कर्म और दर्शन
religion and philosophy
religion, आज हम आपको बता रहे हैं मां कुरकुल्ला देवी और कापालिक सम्प्रदाय के बारे में।
प्रस्तुतकर्ता डॉक्टर रमेश खन्ना –
ऊं नमो कापालिके चैतन्य गुरु कानिफनाथाय नमः
जय मां डाकिनी जय मां काली जय मां तारा
श्री सर्व कुलेश्वरी भगवती महामाया कुरुकुल्ला देवी मां
प्रथम बात यह है कापालिक सम्प्रदाय में मंत्र हमेशा गुप्त रखे जाते हैं
सिद्ध धर्म के अनुसार मंत्रों के उत्पादन हेतु कुल्लूका का उपयोग होता है
माता कुरुकुला का कंकण नाग और कौलांतक नाथ जी का सिंहासन कंकण नाग का मतलब है कि
जब सदाशिव ईश्वर महादेव कैलाश पर सकल विद्याओं का ज्ञान माता पार्वती को दे रहे थे इसके कारण उनकी सिद्धियां जाग्रत होने लगी तथा उनको दिव्य दृष्टि प्राप्त हुई
इसी दौरान जब महादेव मां पार्वती को समझाया कि मां पार्वती ने स्वयं को पार्वती माना हुआ है तथा मां पार्वती को स्वयं की खोज कर अपने योगमाया स्वरुप को जानने के लिए प्रेरित किया उसके बाद मां पार्वती ने योगमाया स्वरुप धारण किया तथा स्वयं को अनेक स्वरुपों में प्रकट किया जब मां पार्वती ने माता कुरुकुल्ला स्वरुप धारण किया तब महासिदध योगी मत्स्येंद्रनाथ जी के मन में उनके स्वरूप के प्रति भक्ति उत्पन्न हुई
माता कुरुकुला को मत्स्येंद्रनाथ जी की भक्ति तुरंत महसूस हुई फ़िर मां ने उनको अपना कंकण नाग वरदान रुप में दिया
माता कुरुकुला रुपी मां पार्वती ने मत्स्येंद्रनाथ से कहा कि वह उनकी भक्ति से प्रसन्न हैं तथा माता ने उनको आगम और निगमों के ज्ञाता बनने का आशीर्वाद दिया मां ने कहा कि मत्स्येंद्रनाथ ज्ञान के प्रचार प्रसार हेतु जगत में भ्रमण करेंगे
जब मत्स्येंद्रनाथ जगत में भ्रमण कर रहे थे तब उन्होंने उतर दिशा में स्थित योगिनी तंत्र पीठ में प्रवेश किया जब माता कुरुकुल्ला की मूर्ति देखी तब उन्होंने कंकण नाग को वहां स्थापित किया फिर वो माता के दिये कंकणनाग के आसन पर विराजमान हुए
मत्स्येंद्रनाथ उतरी दिशा में उन्होंने ने शिव शक्ति के ज्ञान का प्रचार प्रसार किया
योगिनी तंत्र का ज्ञान देते हुए निधि नाथ को इस ज्ञान की दिक्षा दी और इस परंपरा आगे बढ़ाया इस परंपरा का नाम है योगिनी तंत्र यानि कौल पंथ इन साधकों के हाथ में हमेशा एक काले नाग स्वरुप में काल दंड रहता है
ईस पंथ के मुख्य पीठाधीश्वर मुक्त भैरव है
मत्स्येंद्रनाथ ने नेपाल में भी इस पंथ की स्थापना की
इसमें वाममार्ग से साधना होती है इसमें स्वतंत्र भैरव, मुक्त भैरव,आनंद भैरव की उपासना की जाती है,religion
*डॉ रमेश खन्ना*
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