religion,धर्म-कर्म और दर्शन – 32
religion and philosophy- 32
कुलदेवी देवता ही कर सकते हैं ,आपकी पारिवारिक समस्याओं का समाधान ।
आज हरिद्वार के वरिष्ठ पत्रकार डॉक्टर रमेश खन्ना जी एक बहुत ही उपयोगी जानकारी आपके लिए लेकर आए हैं, हम सभी के कुल देव होते हैं लेकिन हमें इसकी जानकारी नहीं होती कैसे पता करें हमारे कुल देवों के बारे में , ये अद्भुत जानकारी के साथ पढ़े ये लेख।
शशि शर्मा संपादक
दिव्य कुलेश्वरी प्रयोग-1(अपने ज्ञात अज्ञात कुल देवी को प्रसन्न करने का एक अद्भुत प्रयोग जो अपने आप में अचूक तथा अद्वितीय है)
मैं जो अनुष्ठान आप लोगों को देने जा रहा हूं यह अपने आप में अद्भुत तथा अद्वितीय है । आप में से बहुत लोग ऐसे हैं जिनको अपने कुलदेवी के बारे में पता है….. पर आप में से ऐसे भी बहुत सारी व्यक्ति विशेष हैं जिनको अपने कुलदेवी के बारे में कुछ भी पता नहीं है….. और मैं आपको एक बात बता देना चाहता हूं कि आपके पूरे अस्सी परसेंट समस्या का हल केवल आप की कुलदेवी ही कर सकते हैं इसमें कोई द्विमत नहीं है..
तो आज मैं आप सभी को जिनको अपने कुलदेवी के बारे में पता है और जिनको पता नहीं है आप सभी को एक अद्वितीय और अचूक तथा सरल अनुष्ठान देने जा रहा हूं जिसको करने मात्र से आपके जो कुलदेवी हैं वह आपके ऊपर सदा प्रसन्न रहेंगे ।
डाक्टर रमेश खन्ना
वरिष्ठ पत्रकार हरिद्वार
कुलदेवी सदा कुल की रक्षा करते हैं, विवाद में विजय दिलाते हैं, अकाल मृत्यु जैसे महाभय से कुल की सदा सुरक्षा करते हैं, यहां तक कि नवग्रहों की पीड़ा से भी मुक्ति देने की क्षमता घर की कुलदेवी के पास होती है । हो चाहे निसंतान को संतान देने की बात हो, अथवा अपने घर की अविवाहित लड़की की शादी करने की बात हो, अथवा जीवन में ऐसा कोई मोड़ आए जिसके जरिए व्यक्ति का भाग्य में उन्नति हो जाए…. व्यक्ति का जीवन सौभाग्य से परिपूर्ण हो जाए……. इन सभी का एक ही मूलतत्व है मां कुलदेवी का आराधना….. । मां कुलदेवी की असीम कृपा कटाक्ष आपके जीवन को धनसंपदाओं से परिपूर्ण करने के साथ-साथ आपको एक संपन्न व्यक्ति बनाने में संपूर्ण रूप से समर्थ है । आपके भौतिक जीवन में अगर कोई कार्य आपको असंभव लग रहा है और आप उसे संभव करना चाहते हैं तो इसका एक ही मात्र कुंजी है मां कुलदेवी की आराधना और उनकी प्रसन्नता ।
अब हम घर पर मां कुलदेवी के अनुष्ठान कैसे करेंगे इसके बारे में जानते हैं… यह उनके लिए भी है जो अपने कुलदेवी को जानते हैं और यह उनके लिए भी है जो अपने कुलदेवी को नहीं जानते हैं….. बस जो अपने कुलदेवी को जानते हैं इस अनुष्ठान पर को अपने कुलदेवी को ही चिंतन करें और जो अपने कुलदेवी का नाम निशान तक नहीं जानते हैं वह मां दुर्गा को ही अपना कुलदेवी की प्रसन्नता के लिए प्रसन्न करें
क्योंकि ब्रह्मांड में जितने भी कुलदेवी हैं यह सब के सब मां दुर्गा का ही अंशीभूत हैं
अगले मां कुलदेवी का अनुष्ठान का सबसे सरल विधान और अचूक अद्वितीय विधान यहां पर उपस्थापित करने जा रहा हूं
अथ प्रयोग विधानं-: किसी भी महीना की शुक्ल पक्ष की प्रतिपदा से लेकर नवमी तिथि के अंदर ही यह दिव्य अनुष्ठान को संपन्न करें । शुक्ल पक्ष की प्रतिपदा तिथि में अपने घर की पूजन गृह की पूर्व दिशा में थोड़ी सी जगह को गोबर से लिप दें । एक कटहल के पेड़ का बनी पिठिका,अथवा आम के पेड़ के बनी पिठिका को गंगाजल आदि में शुद्ध कर दें और उसके ऊपर लाल कपड़ा बिछा दें
उसके बाद वहां 3 पान के पत्ते स्थापित करें… उनमें से पहला पान का पत्ता हल्दी से रंगा होना चाहिए
। दूसरा पान का पत्ता सिंदूर से रंगा होना चाहिए । तथा तीसरा पान का पत्ता कुमकुम से रंगा होना चाहिए । उसके बाद पान के पत्तों के ऊपर…₹1 का एक एक सिक्का स्थापित करें । उसके बाद चावल में हल्दी मिलाकर उस हल्दी मिश्रित चावल का एक ढेरी पीले रंग वाली पान के पत्ते के ऊपर जो ₹1 का सिक्का है उसके ऊपर स्थापित करें ।उसके बाद चावल में सिंदूर मिलाकर उस सिंदूर मिश्रित चावल का एक ढेरी सिंदूर रंग वाली पान के पत्ते के ऊपर जो ₹1 का सिक्का है उसके ऊपर स्थापित करें । और उसके बाद चावल में कुमकुम मिलाकर उस कुमकुम मिश्रित चावल का एक ढेरी कुमकुम रंग वाली पान के पत्ते के ऊपर जो ₹1 का सिक्का है उसके ऊपर स्थापित करें । और उसके बाद पान के पत्तों में जो तीन ढेरी चावल है उन सब में एक-एक अखंडित सुपारी स्थापित करें । उनके सम्मुख भाग में तीन दीपक स्थापित करें । और साथ ही साथ जैसे अन्य अनुष्ठान में कलश स्थापना किया जाता है यहां पर भी आम्र पल्लव देकर एक कलश स्थापना करें कलश के ऊपर नारियल अवश्य रखें नारियल को लाल वस्त्र से अवश्य ढकें । उसके बाद पीले रंग के पान के पत्ते पर जो अखंडित सुपारी है उसके ऊपर हल्दी डालें ….. जो पान का पत्ता सिंदूर में रंगा हुआ है वहां पर जो अखंडित सुपारी है उसके ऊपर सिंदूर डालें । और जो पान का पत्ता कुमकुम में रंगा हुआ है उसके ऊपर जो अखंडित सुपारी है उसके ऊपर कुमकुम डालें । पूरे अनुष्ठान में घी का दीपक का ही प्रयोग करें ।
“ॐ ह्रीं त्रिधायै नित्यतृप्तायै कुलदेवै कुलानन्दायै नमः “इस दिव्य मंत्र के द्वारा कुलदेवी का जो आप 3स्वरुप बिठाए हैं उन तीनों को पूजा करें । यह मंत्र बोलती हुए जो तीन अखंडित सुपारी है कुलदेवी के नाम पर उन तीनों पर जल,अक्षत, पुष्प धूप दीप सिंदूर कुमकुम, हल्दी आदि अर्पित करें और परिसेष में देवी को भोग लगाएं। पीले पान के पत्ते पर जो अखंडित सुपारी है वहां पर केला आदि का भोग दें, जहां कुमकुम का पान का पत्ता है वहां पर नारियल आदि का भोग दें , तथा जहां सिंदूर चढ़ाया गया है वहां पर काली उड़द के द्वारा तैयार किया गया पीठा भोग के रूप में अर्पित करें, नारियल का जल को काशी की पात्र में रखकर वहां पर एक जायफल डालकर भी अर्पित करें । और उसके बाद सत्व रज तम यह तीनों गुणों के आधार पर आप एक ही कुल देवी का जो तीन स्वरुप तैयार किए हैं उन सभी को एकत्र चिंतन करके मां दुर्गा के स्वरूप में चिंतन करके उनके सम्मुख में हाथ में जल लेकर निम्न उक्त मंत्र का विनियोग पढ़ें और विनियोग पढ़ने के बाद जल को भूमि में गिरा दें……
ॐ अस्य श्री ॐ ह्रीं कुलेश्वर्यै नमः ईति मन्त्रस्य श्रीनारद ऋषिः ।
गायत्री छन्दः । श्रीकुलेश्वरी स्वरुपीणी दुर्गा देवता । दुं बीजम् । ह्रीं शक्तिः
ॐ कीलकम् । श्रीकुलेश्वरी स्वरुपीणी दुर्गा देवता प्रीत्यर्थं जपे विनियोगः ॥
उसके बाद इस मंत्र का कम से कम एक माला जाप करें । श्रद्धा अनुसार आप तीन माला पांच माला साथ माला 9 माला या 11 माला भी जाप कर सकते हैं यह आपके ऊपर निर्भर करता है । पर एक माला जाप करना अनिवार्य है ।
दिव्य मंत्र-: ॐ ह्रीं कुलेश्वर्यै नमः (मंत्र को इस प्रकार जापओम् ह्रीम् कुलेश्वर्यै नमः) केवल ही केवल रक्त चंदन की माला से ही जाप करें ।
मंत्र जाप के पश्चात हाथ में जल लेकर, निम्नोक्त श्लोक को बोलते हुए यह चिंतन करें कि मैं मां कुलदेवी के दाहिने हाथ में जाप को समर्पित कर रहा हूं । यह चिंतन करती हुई उस आम के पाटे में अथवा कटहल की जो पीठिका है वहां पर जल को छोड़ दें ।
गुह्यातिगुह्यगोप्त्री त्वं गृहाणास्मत्कृतं जपम्।
सिद्धिर्भवतु मे देवि त्वत्प्रसादात्सुरेश्वरि ।
इसी प्रकार रोज 9 दिन तक करें । 9वी दिन अपने घर की 10 साल के अंदर अगर कोई कुंवारी कन्या है तो उसे सजाकर, उसे मां दुर्गा का फोटो चित्र दिखाएं अथवा आपके अगर कोई कुलदेवी है जिनका नाम आदि आपको पता है तो उनका ही फोटो दिखाएं ,साक्षात कुलदेवी स्वरूप मानकर उस बालिका का पुष्प धूप दीप नैवेद्य आदि देकर निम्नोक्त मंत्र से उसका श्री चरण की पूजन करें । और उन्हें मन ही मन यह प्रार्थना करें कि अगर जाने अनजाने में भी अगर हमसे कोई गलती हो गई है तो हे माता हमें क्षमा कर दें… हमारी कुल के ऊपर हमारे वंश के ऊपर आप सदा दया दृष्टि बनाए रखें.. सभी प्रकार की अमंगल का नाश करें ।
ह्रीं कुलकुमारिकायै नम ।
अगर आप चाहें तो इसके पश्चात आप 9 दिनों में जितने भी जाप किए हैं उसका दशांश हवन अवश्य करें । हवन के लिए साधारण घि, मिश्री, सहद, काले तिल तथा बाजार में जो हवन सामग्री मिलती है उसका भी उपयोग कर सकते हैं ।
आसपास में अगर कोई लड़का मिल जाए तो उसे बुलाकर खाने के लिए अवश्य दें और खाना देते समय इस मंत्र का जाप कम से कम 7 से 21 बार अवश्य करें ह्री बटुकाय नमः
ध्यान रहे कुलदेवी के रूप में जिस कुमारी कन्या का पूजन की है तथा बटुक के रूप में जिसे बुलाए हैं…. उन्हें भरपेट भोजन दें
उसके बाद दसवे दिन समस्त पूजन सामग्री को बहते हुए जल में प्रवाहित कर दें या फिर किसी तालाब में या फिर किसी नदी में प्रवाहित कर दें । अगर आप अपने कुलदेवी को अपने घर में सदा सदा के लिए स्थापित करना चाहते हैं तो बहुत तीन अखंडित सुपारी को प्रवाहित ना करके घर के पूजन ग्रह में रखें और नित्य धूप दीप आदि देकर उनका पूजन करें साधारण रिति से । पीले कनेर का फूल तथा लाल गुड़हल का फूल मंगलवार तथा शनिवार को अर्पित करना ना भूलें ।
यह अपने आप में एक अद्भुत अद्वितीय और अचूक अनुष्ठान है जिसके जरिए आपके ज्ञात अज्ञात सभी प्रकार की कुलदेवी आपके ऊपर प्रसन्न हो जाते हैं और दया दृष्टि डालते हैं । कुलदेवी के रूप में आप जिस भी लड़की का पूजन करेंगे वह लड़की किसी बाहर का नहीं होना चाहिए अपि तु आपके घर की कोई लड़की होना चाहिए