religion,धर्म-कर्म और दर्शन – 35
religion and philosophy- 35
आज 23 april
*हनुमान जयंती पर विशेष*
🌼🏵️श्री हनुमान वडवानल स्तोत्र🏵️🌼
इस स्तोत्र के रचयिता ,रावण के छोटे भाई राम भक्त विभीषण जी है इसके पाठ से जातक नाना प्रकार की समस्याओं से मुक्ति पा लेता है।
श्री हनुमान वड्वानल स्तोत्र का प्रयोग अत्याधिक बड़ी विपत्ति आने पर ही किया जाता है। इसके जाप से बड़ी से बड़ी समस्या भी टल जाती है और सब संकट दूर होकर सुख-समृद्धि प्राप्त होती है। श्री हनुमान वड्वानल स्तोत्र के प्रयोग से शत्रुओं द्वारा किए गए पीड़ाकारक कृत्य, अभिचार, तन्त्र-मन्त्र, बन्धन, मारण प्रयोग व भूत- बाधा आदि शान्त होते हैं और समस्त प्रकार की बाधाएँ समाप्त होती हैं।
इस स्तोत्र के नियमित पाठ से बड़े से बड़ा शत्रु भी नष्ट हो जाता
है।(सात्विक नियमों का पालन करें गुरु आज्ञा से करें तो सर्वोत्तम )
श्रीगणेशाय नमः ।
ॐ अस्य श्रीहनुमद्वडवानलस्तोत्रमन्त्रस्य
श्रीरामचन्द्र ऋषिः, श्रीवडवानलहनुमान् देवता,
(श्रीहनुमान् वडवानल देवता)
ह्रां बीजं, ह्रीं शक्तिः, सौं कीलकं, मम समस्तविघ्नदोषनिवारणार्थे,
सर्वशत्रुक्षयार्थे, सकलराजकुलसंमोहनार्थे,
मम समस्तरोगप्रशमनार्थे, आयुरारोग्यैश्वर्याभिवृद्ध्यर्थे,
समस्तपापक्षयार्थे, श्रीसीतारामचन्द्रप्रीत्यर्थे
हनुमद्वडवानलस्तोत्रजपे विनियोगः (सङ्कल्पः) ॥
अथ ध्यानम् ।
मनोजवं मारुततुल्यवेगं जितेन्द्रियं बुद्धिमतां वरिष्ठम् ।
वातात्मजं वानरयूथमुख्यं श्रीरामदूतं शरणं प्रपद्ये ॥
ॐ ह्रां ह्रीं ॐ नमो भगवते श्री महाहनुमते प्रकटपराक्रम
सकलदिङ्मण्डलयशोवितानधवलीकृतजगत्त्रितय वज्रदेह
रुद्रावतार लङ्कापुरीदहन उमा-अमल-मन्त्र (उमा-अर्गल-मन्त्र)
उदधिबन्धन दशशिरःकृतान्तक सीताश्वसन वायुपुत्र
अञ्जनीगर्भसम्भूत श्रीरामलक्ष्मणानन्दकर कपिसैन्यप्राकार
सुग्रीवसाह्यरण पर्वतोत्पाटन कुमारब्रह्मचारिन् गभीरनाद
सर्वपापग्रहवारण सर्वज्वरोच्चाटन डाकिनीविध्वंसन
ॐ ह्रां ह्रीं ॐ नमो भगवते महावीरवीराय सर्वदुःखनिवारणाय
ग्रहमण्डलसर्वभूतमण्डलसर्वपिशाचमण्डलोच्चाटन
भूतज्वरएकाहिकज्वरद्व्याहिकज्वरत्र्याहिकज्वरचातुर्थिकज्वर-
सन्तापज्वरविषमज्वरतापज्वरमाहेश्वरवैष्णवज्वरान् छिन्धि छिन्धि
यक्षब्रह्मराक्षसभूतप्रेतपिशाचान् उच्चाटय उच्चाटय (स्वाहा) ।
ॐ ह्रां ह्रीं ॐ नमो भगवते श्रीमहाहनुमते
ॐ ह्रां ह्रीं ह्रूं ह्रैं ह्रौं ह्रः आं हां हां हां हां ॐ सौं एहि एहि एहि
ॐ हं ॐ हं ॐ हं ॐ हं ॐ नमो भगवते श्रीमहाहनुमते
श्रवणचक्षुर्भूतानां शाकिनीडाकिनीनां विषमदुष्टानां
सर्वविषं हर हर आकाशभुवनं भेदय भेदय
छेदय छेदय मारय मारय शोषय शोषय मोहय मोहय
ज्वालय ज्वालय प्रहारय प्रहारय सकलमायां भेदय भेदय (स्वाहा) ।
ॐ ह्रां ह्रीं ॐ नमो भगवते महाहनुमते सर्वग्रहोच्चाटन
परबलं क्षोभय क्षोभय सकलबन्धनमोक्षणं कुरु कुरु
शिरःशूलगुल्मशूलसर्वशूलान्निर्मूलय निर्मूलय
नागपाशानन्तवासुकितक्षककर्कोटककालियान्
यक्षकुलजलगतबिलगतरात्रिञ्चरदिवाचर सर्वान्निर्विषं
(यक्षकुलजगत् रात्रिञ्चर दिवाचर सर्पान्निर्विषं)
कुरु कुरु स्वाहा ॥
राजभयचोरभयपरमन्त्रपरयन्त्रपरतन्त्रपरविद्याश्छेदय छेदय
स्वमन्त्रस्वयन्त्रस्वतन्त्रस्वविद्याः प्रकटय प्रकटय
सर्वारिष्टान्नाशय नाशय सर्वशत्रून्नाशय नाशय
असाध्यं साधय साधय हुं फट् स्वाहा ॥
॥ इति श्रीविभीषणकृतं हनुमद्वडवानलस्तोत्रं सम्पूर्णम् ॥
हनुमान जी की साधना उपासना में पवित्रता सात्विकता
का बिशेष ध्यान रखना चाहिए खानपान और आचरण शुद्ध
रखना चाहिए।
यहां दिए स्तोत्र केवल जानकारी हेतु दिए जाते हैं
कोई प्रयोग या अनुष्ठान करने पहले गुरु या विद्वान से परामर्श कर
करें। गुरु मुख से सुनकर अथवा कर्मकांडी विद्वान ब्राह्मण को
कुछ भेंट देकर सुनकर करें।
*डॉ रमेश खन्ना*
वरिष्ठ पत्रकार
हरिद्वार (उत्तराखण्ड)