religion,धर्म-कर्म और दर्शन – 41
religion and philosophy- 41
🏵️किसी भी देवी की साधना भैरव स्थिति के बिना अपूर्ण होती है 🏵️
आज वरिष्ठ पत्रकार डॉक्टर रमेश खन्ना ने ब्रह्मलीन परम सम्मानित जूना अखाड़े के आचार्य लोकेशानंदगिरि जी के बारे में अपने विचार व्यक्त किये हैं।
आचार्य लोकेशानंदगिरि जी परम श्रेष्ठ संत थे , अति विनम्र, परम ज्ञानी संत थे, जब हरिद्वार के वर्तमान सुप्रसिद्ध हरिहर आश्रम को कुछ असामाजिक तत्वों से मुक्त कराने के बाद वहां पारद शिवलिंग की स्थापना और विशाल सांस्कृतिक समारोह का आयोजन किया जा रहा था तो मैं भी उस पूरे आयोजन को सम्पन्न कराने में भागीदार थी, शर्मा बंधुओं की भजन संध्या के आयोजन को उनके आवास पर जाने से लेकर दिल्ली में तत्कालीन राष्ट्रपति ज्ञानी जैल सिंह जी के आगमन तक कई दायित्व उन्होंने मुझे सौंपे थे।
इस दौरान उनकी सादगी और धर्मनिष्ठता से भरी दिनचर्या को निकट से देखने के अवसर मिले, सचमुच अद्भुत संत थे, ओज टपकता था उनके व्यक्तित्व से उनकी साधनाओं के बारे में तो मुझे अधिक जानकारी नहीं है लेकिन वो ऐसे संत थे कि व्यक्ति खुद ही नतमस्तक हो जाता था,जानिए आज के धर्म कर्म और दर्शन में
श्रीमती शशि शर्मा
संपादक
Newsok24.com
🪷🙏🪷
ओम श्री गुरुवे नमःपरमहंस परिव्रजकाचार्य क्षत्रिये ब्रह्म निष्ठ अनंत श्री विभूषित ब्रह्मलीन आचार्य महामंडलेश्वर 1008 श्री गुरु लोकेशानंदगिरि जी को दंडवत प्रणाम कर यह भैरव स्तुति लिख रहा हूं।
पुनः सद्गुरु जी को साष्टांग दंडवत प्रणाम।
गुरु महाराज के अनुसार श्री भैरव जी को प्रसन्न करने के लिए स्वान (कुत्ता) को ना दुत्कारे नफरत करें यथासंभव भोजन करवाएं फिर चमत्कार देखें भैरव जी का।
डॉ रमेश खन्ना
वरिष्ठ पत्रकार
हरिद्वार (उत्तराखण्ड )
भैरव आराधना से शनि शांत : एकमात्र भैरव की आराधना से ही शनि का प्रकोप शांत होता है। आराधना का दिन रविवार और मंगलवार नियुक्त है। पुराणों के अनुसार भाद्रपद माह को भैरव पूजा के लिए अति उत्तम माना गया है। उक्त माह के रविवार को बड़ा रविवार मानते हुए व्रत रखते हैं। आराधना से पूर्व जान लें कि कुत्ते को कभी दुत्कारे नहीं बल्कि उसे भरपेट भोजन कराएं। जुआ, सट्टा, शराब, ब्याजखोरी, अनैतिक कृत्य आदि आदतों से दूर रहें। दांत और आंत साफ रखें। पवित्र होकर ही सात्विक आराधना करें। अपवित्रता वर्जित है।
🏵️🌸 भैरव साधना 🌸🏵️
सामान्य पूजन सामुग्री जैसे आचमनी पात्र ,हल्दी ,कुमकुम ,चंदन ,अष्टगंध ,अक्षत , फूल , माला ,नैवेद्य ,फल ,दीपक (तेल या घी का ),अगरबत्ती आदि
सबसे पहले गुरु ,गणेश इन्हे वंदन करे
ॐ गुं गुरुभ्यो नम:
ॐ श्री गणेशाय नम:
ॐ भं भैरवाय नम:
फिर आचमन करे
ॐ आत्मतत्वाय स्वाहा
ॐ विद्या तत्वाय स्वाहा
ॐ शिव तत्वाय स्वाहा
ॐ सर्व तत्वाय स्वाहा
फिर गुरु स्मरण करे और पुजन के लिये पुष्प अक्षत अर्पण करे
ॐ श्री गुरुभ्यो नम:
ॐ श्री परम गुरुभ्यो नम:
ॐ श्री पारमेष्ठी गुरुभ्यो नम:
गणेश जी के लिये पुष्प अक्षत अर्पण करे
वक्रतुंड महाकाय सुर्यकोटी समप्रभ
निर्विघ्नम कुरु मे देव सर्व कार्येषु सर्वदा
अब आप हाथ मे जल ,अक्षत ,पुष्प लेकर संकल्प करे की आप आज काल भैरव जयंती के पर्व पर भैरव साधना कर रहे है और आपकी जो समस्या है उसका निवारण हो ..
अब आप भैरव जी सात्विक ध्यान का जो मंत्र है उसे पढे और उनका आवाहन करे
” वन्दे बालं स्फटिक सदृशम ,
कुंतलोल्लासि वक्त्रम !
दिव्याकल्पैर्नवमणिमयै ,
किंकिणी नुपुराढ्यै: !!
दीप्ताकारं विशद वदनं ,
सुप्रसन्नं त्रिनेत्रम !
हस्ताब्जाभ्याम बटुकनिशं
शूलदंडौ दधानम !!
फिर भैरव जी का पंचोपचार पूजन करे
भं भैरवाय नम: गंधं समर्पयामि
भं भैरवाय नम: पुष्पम समर्पयामि
भं भैरवाय नम: धुपम समर्पयामि
भं भैरवाय नम: दीपम समर्पयामि
भं भैरवाय नम: नैवेद्यम समर्पयामि
नीचे दिये हुये मंत्र पढकर पुष्प अक्षत अर्पण करते जाये
ॐ श्री असितांग भैरवाय नम:
ॐ श्री रुरु भैरवाय नम:
ॐ श्री चंड भैरवाय नम:
ॐ श्री क्रोधभैरवाय नम:
ॐ श्री उन्मत्त भैरवाय नम:
ॐ श्री कपाली भैरवाय नम:
ॐ श्री भीषण भैरवाय नम:
ॐ श्री संहार भैरवाय नम:
ॐ श्री बटुक भैरवाय नम:
ॐ श्री काल भैरवाय नम:
ॐ श्री स्वर्णाकर्षण भैरवाय नम:
ॐ श्री उमानंदभैरवाय नम:
ॐ श्री महाकाल भैरवाय नम:
अब जल मे कुंकुम मिलाकर अर्घय प्रदान करे
ॐ आपदुद्धारणाय विदमहे बटुकेश्वराय धिमहि तन्नो वीर: प्रचोदयात्
अब आप नीचे दिये हुये स्तोत्र का यथाशक्ती (१,५,११,२१,५१ बार जितनी संख्या मे कर सके ) पाठ करे
फिर मंत्र जाप करे
इसे आप नित्य साधना मे भी रोज कर सकते है ..
श्री बटुक भैरव अष्टोत्तर शतनाम स्तोत्र
ॐ भैरवो भूतनाथश्च , भूतात्मा भूतभावनः
क्षेत्रज्ञ: क्षेत्रपालश्च , क्षेत्रदः क्षत्रियो विराट !!1 !!
श्मशानवासी मांसाशी , खर्पराशी स्मरान्तकृत !
रक्तप: पानप: सिद्ध:, सिद्धिदः सिद्धिसेवित: !!2 !!
कंकाल: कालशमन: , कलाकाष्ठातनु: कवि:
त्रिनेत्रों बहुनेत्रश्च तथा पिंगललोचन: !!3 !!
शूलपाणि: खड्गपाणि: , कंकाली धूम्रलोचनः
अभिरु भैरवीनाथो , भूतपो योगिनीपति: !!4!!
धनदो अधनहारीच , धनवान प्रतिभागवान
नागहारो नागकेशो , व्योमकेश: कपालभृत !!5!!
काल: कपालमाली च , कमनीयः कलानिधी:
त्रिनेत्रो ज्वलनेत्र त्रिशिखी च त्रिलोकभृत !!6!!
त्रिवृत्त तनयो डिंभ:, शांत: शांतजनप्रियः
बटुको बटुवेषश्च , खट्वांग वर धारक: !!7 !!
भूताध्यक्ष: पशुपति भिक्षुकः परिचारकः
धूर्तो दिगंबर: शौरि: हरिण: पांडुलोचन: !!8 !!
प्रशांत: शांतिद: शुद्ध: शंकरप्रियबान्धवः
अष्टमूर्ति: निधिशश्च, ज्ञानचक्षु तपोमय: !!9!!
अष्टाधारः षडाधारः , सर्पयुक्त: शिखीसख:
भूधरो भूधराधीशो , भूपतिः भूधरात्मजः !!10!!
कपालधारी मुन्डीच , नागयग्योपवीतवान
ज्रुम्भणो मोहन: स्तंभी, मारण: क्षोभण: तथा !!11 !!
शुद्धनीलांजन प्रख्यदेह: मुण्डविभूषण:
बलिभुग बलिभुंगनाथो , बालो बालपराक्रम: !!12 !!
सर्वापत तारणो दुर्गो , दुष्ट भूत निषेवितः
कामी कलानिधि: कान्त:, कामिनी वश कृदवशी !!13 !!
जगदरक्षाकरो अनंतो , मायामन्त्रौषधीमय:
सर्वसिद्धिप्रदो वैद्य: प्रभविष्णु रीतिव हि !!14 !!
इस स्तोत्र मे जो १०८ नाम दिये है
अब नीचे दिये हुये किसी भी एक मंत्र का रुद्राक्षमाला से ज्यादा से ज्यादा जाप करे ..
मंत्र
१.भं भैरवाय नम:
२ . ॐ ह्रीम बटुकाय आपदुद्धारणाय कुरु कुरु बटुकाय ह्रीम
३. भ्रं भैरवाय नम:
मंत्र जाप होने के बाद जो नैवेद्य दिखाया उसमे से कुछ अलग निकालकर किसी कुत्ते को खिलाये .. कुत्ते ने अगर उसे ग्रहण किया तो आपकी साधना सफल समझे .. आप रात्री मे साधना करे तो दुसरे दिन भी कुत्ते को खिला सकते है ..संभव हो सके तो पूजन मंत्र जाप के बाद काले तील से हवन और निंबु काटकर निंबु बलि दे ..
*डॉ रमेश खन्ना*
*वरिष्ठ पत्रकार*
*हरिद्वार( उत्तराखण्ड*)