religion,धर्म-कर्म और दर्शन -59

religion and philosophy- 59

🪷ध्यान का चमत्कार🪷

*तुम कौन हो , और तुम्हारी क्षमता क्या है | आओ मेरे साथ मैं तुम्हें एक यात्रा पर ले चलता हूँ जो की बाहर की यात्रा नही है , ये यात्रा है भीतर की |

सबसे पहले तुम मुझसे जुड़े कैसे हो जरा मनन करो चिन्तन करो | तुम अभी यह पढ़ रहे हो जो लिखा हुआ है यह कैसे | असल में जो तुम आँख से देख रहे हो वही पढ़ रहे हो | ध्यान रहे पांच इन्द्रियों में से आँख भी एक इन्द्रिय है और इस वक्त आँख रूपी इन्द्रिय के माध्यम से तुम मुझसे सीधे जुड़ गये हो वर्ना मैं कहाँ बैठा हूँ और तुम कहाँ हाँ ये भी सत्य है की इसमें तकनीक और विज्ञान का भी योगदान है जैसे इन्टरनेट का , लेकिन अगर तुम मेरी लिखी कोई पुस्तक पढ़ रहे होते तो ? ईश्वर सर्व व्यापी है तुम ऐसा कोई भी स्थान कल्पना नहीं कर सकते जो वगैर ईश्वर के हो |

वह परम चेतना है | जब जब भी तुम इश्वर को भुलाते हो तुम बेकार के कष्ट उठाते हो रोते रहते हो हर समय जबकि अपना खजाना तुम्हारे पास भरा पड़ा हुआ | अपने भीतर हीं है यह खज़ाना | और इस खजाने की चाबी है “ ध्यान “ हाँ मैं सत्य बोल रहा हूँ तुम ध्यान में उतरोगे तो आनन्द का खजाना तुम्हें हाथ लगेगा |

तो ध्यान के द्वारा अपने भीतर उतरने की कोशिश करो | ध्यान में उतरते हुए कभी भी घबराना नहीं , और दूसरी बात उबना मत ध्यान से | प्रारम्भ में जब तुम ध्यान में उतरने की कोशिश करते हो तो दो बातें तुम्हें बहुत परेशान करती है मुझे मालूम है पहला तो विचारों की बाढ़ उसी समय आक्रमण करती है बस ये समय सावधान हो जाने का है सिर्फ विचारों के प्रति सावधान हो जाओगे अलर्ट हो जाओगे तो तुम देखोगे की विचार गायब होने लगते हैं |

लेकिन तुम तो तुम्हीं हो तुम लगते हो विचारों के मजे लेने तुम ध्यान के समय भी विचारों में कल्पनाओं में डूबने लगते हो और शिकायत करते हो गुरु जी ध्यान के समय विचार बहुत तंग करते है | अरे विचारों का क्या मजाल जो तुम्हें तंग करें,तंग करने का सामर्थ्य विचारों में नहीं, बस तुम विचारों के मजे लेना छोड़ दो विचारों के प्रति अलर्ट रहो और विचार छू मंतर | दूसरी बात थोड़ी देर ध्यान में उतरने के बाद तुम उबने लगते हो सोचते हो कुछ हुआ क्यों नहीं | तुम सोचते हो अपने भीतर तो अँधेरा हीं अँधेरा है अरे ! याद रखो इस अँधेरे के पार हीं गहन प्रकाश है जो ध्यान में गहरे उतरते हैं वे बताते हैं बहुत हीं तेज प्रकाश | जैसे जैसे ध्यान में गहरे उतरोगे संतुष्ट होते जाओगे अपने आप से हीं परम सुख की अनुभूति उतरने लगेगी जिसे तुम बाहर मेहनत करके या पैसे से कभी नहीं खरीद सकते याद रखना |

समय समय पर ध्यान विधियाँ मैं पोस्ट करता रहता हूँ उन विधियों के द्वारा ध्यान में उतरो परम आनन्द का स्वाद थोडा चखो तो सही | ध्यान का चमत्कार यह है की यह तुम्हें पूर्ण रूप से बदल देगा |

अगर तुम नित्य ध्यान करने लगो तो तुम्हारा व्यक्तित्व बदलने लगेगा | और जब तुम बदलने लगोगे तो परिस्थितियाँ भी तुम हीं बदलने लगोगे | सभी चीज तुम्हारे अनुकूल होने लगेगा मेरा विश्वास करो | जीवन में चमत्कार घटित होने लगेंगे | ध्यान को साधारण मत समझो यह हमारे ऋषि मुनियों के द्वारा दी गई अनमोल धरोहर है अनमोल खजाना है | इसके द्वारा कुछ भी संभव है |*

डॉ रमेश खन्ना
वरिष्ठ पत्रकार
हरीद्वार (उत्तराखंड)

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