religion,धर्म-कर्म और दर्शन -60

religion and philosophy- 60

🌼🔆घर में हल्दी का स्वास्तिक बनाने से मिलते है 11 चमत्कारिक फायदे🔆

*बिना स्वास्तिक बनाए कोई भी पूजा, वि‍धान और यज्ञ पूर्ण नहीं माना जाता है। प्रत्येक शुभ कार्य की शुरुआत में और त्योहारों पर हर घर के मुख्य द्वार पर स्वास्तिक लगाना अतिशुभ फलदायी माना जाता है। स्व‍ास्तिक कई चीजों से बनाए जाते हैं, जैसे कुंमकुंम, हल्दी, सिंदूर, रोली, गोबर, रंगोली तथा अक्षत का स्वास्तिक। आओ जानते हैं हल्दी का स्वास्तिक कब बनाते हैं और क्या है इसके फायदे।*

*ॐ स्वस्ति नऽइन्द्रो वृद्धश्रवाः, स्वस्ति नः पूषा विश्ववेद्राः।*
*स्वस्ति नस्ताक्षर्योऽअरिष्टनेमिः, स्वस्ति तो बृहस्पतिर्दधातु॥- यजुर्वेद*

*•अर्थात-* यह चार वेदों में से एक है। इसके *•पूर्व दिशा में वृद्धश्रवा इंद्र, दक्षिण में वृहस्पति इंद्र, पश्चिम में पूषा-विश्ववेदा इंद्र तथा उत्तर दिशा में अरिष्टनेमि इंद्र व्यवस्थित हैं। ऋग्वेद में स्वास्तिक के देवता सवृन्त का उल्लेख है।* यजुर्वेद की इस कल्याणकारी एवं मंगलकारी शुभकामना, स्वस्तिवाचन में स्वास्तिक का निहितार्थ छिपा है।

एकादशी के दिन घर के उत्तर या ईशान दिशा की दीवार पर हल्दी से स्वास्तिक बनाएं और उस पर थोड़े से चावल रखें। इससे घर में सुख और शांति बनी रहती है।

. वैवाहिक जीवन की कठिनाइयों को दूर करने के लिए पूजा करते समय हल्दी से स्वास्तिक बनाना चाहिए।

. धार्मिक कार्यों में रोली, हल्दी या सिंदूर से बना स्वास्तिक आत्मसंतुष्‍टी देता है। गुरु पुष्य या रवि पुष्य में बनाया गया स्वास्तिक शांति प्रदान करता है।

प्रत्येक त्योहार जैसे नवरात्रि में कलश स्थापना, दीपावली पर लक्ष्मी पूजा आदि अवसरों पर हल्दी का स्वस्तिक बनाकर ही देवी की मूर्ति या चित्र को स्थापित किया जाता है। इससे देवता प्रसन्न होते हैं। एक कांस्य या ताम्र कलश में जल भरकर उसमें कुछ आम के पत्ते डालकर उसके मुख पर नारियल रखा होता है। कलश पर रोली, स्वास्तिक का चिन्ह बनाकर उसके गले पर मौली बांधी जाती है। इसे मंगल कलश कहते हैं। यह घर में रखने से धन, सुख, समृद्धि और शांति बनी रहती है। घर स्थापना के समय भी मिट्टी के घड़े पर स्वास्तिक बनाया जाता है।

. बहुत से लोग किसी देव स्थान, तीर्थ या अन्य किसी जागृत जगह पर जाते हैं तो मनोकामना मांगते वक्त वहां पर हल्दी से उल्टा स्वास्तिक बना देते हैं और जब उनकी उनकी मनोकामना पूर्ण हो जाती है तो पुन: उक्त स्थान पर आकर सीधा स्वस्तिक मनाकर धन्यवाद देते हुए प्रार्थना करते हैं और प्रसाद चढ़ाते हैं। ध्यान रखें कभी भी मंदिर के अलावा कहीं और उल्टा स्वास्तिक नहीं बनाना चाहिए।

द्वार पर और उसके बाहर आसपास की दोनों दीवारों पर स्वास्तिक को चिन्न लगाने से वास्तुदोष दूर होता है और शुभ मंगल होता है। इसे दरिद्रता का नाश होता है। ग्रामीण घरों के द्वार पर हल्दी से या गेरूए स बना स्वास्तिक चिन्न होता है।

. मुख्‍य द्वार की देहलीज पर दोनों ओर हल्दी का स्वास्तिक बनाने से माता लक्ष्मी प्रसन्न होती हैं और घर में उनके आगमन के साथ ही सकारात्मकता का आगमन भी होता है। इसे बनाने से देवी और देवता घर में प्रवेश करते हैं।

मुख्‍य द्वार पर हल्दी का स्वास्तिक बनाने से सभी रोग दोष से मुक्ति मिलती है और घर में अच्‍छी उर्जा का प्रवेश होता है। घर या आंगन के बीचोबीच मांडने के रूप में स्वास्तिक बनाया जाता है। इसे बनाने से घर की नकारात्मक ऊर्जा बाहर चली जाती है। स्वास्तिक के चिह्न को भाग्यवर्धक वस्तुओं में गिना जाता है।

. हल्दी का स्वास्तिक बनाकर उसके ऊपर (शिवजी और उनके अवतारों को छोड़कर) जिस भी देवता की मूर्ति रखी जाती है वह तुरंत प्रसन्न होता है। यदि आप अपने घर में अपने ईष्‍टदेव की पूजा करते हैं तो उस स्थान पर उनके आसन के ऊपर स्वास्तिक जरूर बनाएं। देव स्थान पर स्वास्तिक बनाकर उसके ऊपर पंच धान्य या दीपक जलाकर रखने से कुछ ही समय में इच्छीत कार्य पूर्ण होता है।

. यदि आपके व्यापार या दुकान में बिक्री नहीं बढ़ रही है तो 7 गुरुवार को ईशान कोण को गंगाजल से धोकर वहां सुखी हल्दी से स्वास्तिक बनाएं और उसकी पंचोपचार पूजा करें। इसके बाद वहां आधा तोला गुड़ का भोग लगाएं। इस उपाय से लाभ मिलेगा। कार्य स्थल पर उत्तर दिशा में हल्दी का स्वास्तिक बनाने से बहुत लाभ प्राप्त होता है।

अक्सर लोग तिजोरी पर स्वास्तिक बनाते हैं क्योंकि स्वास्तिक माता लक्ष्मी का प्रतीक है। तिजोरी में हल्दी की कुछ गांठ एक पीले वस्त्र में बांधकर रखें। साथ में कुछ कोड़ियां और चांदी, तांबें आदि के सिक्के भी रखें। कुछ चावल पीले करके तिजोरी में रखें।

डॉक्टर रमेश खन्ना
वरिष्ठ पत्रकार हरिद्वार

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *