religion,धर्म-कर्म और दर्शन -91
religion and philosophy- 91
🌺कुल देवताओं के नाम होता है पूरा आषाढ़ मास🌺
आषाढ़ का महीना शुरू हो गया।
गुप्त नवरात्रि भी 6 जुलाई से शुरू हो जाएगी।
दशमहाविद्या के साथ साथ कुलदेवी को प्रसन्न करने का सर्वोत्तम समय।
विशेष शक्ति ऊर्जा हासिल करने का समय।
कुलदेवताओं को अपने अनुकूल करने का समय।
जो कुलदेवताओं को मानते हैं, वह जानते हैं कि कुलदेवताओं का कितना महत्व है हमारे जीवन में।
कुलदेवता यानी हमारे रक्षक, हमारा कवच।
हर तरह से जीवन के पथ के सर्वोत्तम मार्गदर्शक।
कई परिवार में तो इस माह में उनके दरबार बड़े गाजे बाजे के साथ लगाए जाते हैं।
इस समय हर मुमुक्षु को अपने कुलदेव की कृपा का उपाय करना ही चाहिए। यदि पता न हो तो पता करके उनकी सेवा करनी चाहिए।
आषाढ़ का समय साधकों के लिए उपयुक्त होता।
यही से तन्त्र क्षेत्र की पढ़ाई शुरू की जाती है।
पहला चरण होता है।
कुलदेवता को जानना।
उनकी कृपा प्राप्त करने का तरीका सीखना।
कब उनको क्या देना है।
कैसे पूजन करना है।
सब कुछ आपको पता करना होगा।
क्योंकि यदि किसी शक्ति को आने जाने की इजाजत आपके कुल के देव ही प्रदान करेंगे।
इसीलिए सबसे पहले आप अपने घर के बुजुर्ग से अपने कुलदेवता के बारे में जानकर उनका सेवा करना शुरू कर दें।
जिनको नहीं पता वह पता कर लें।
जिनको पता है वह अपने बच्चों को जानकारी दें। हर पूजन कर्म में साथ खड़ा रखें।
अभी देर नहीँ हुई।
भाई आपके पूर्वज या कुलदेवी या देवता आपके माँ पिता के समान ही होते हैं। उनकी कृपा प्राप्त किये बगैर आप कही चले जाएं। कोई तीर्थ कर लें, भले ही गंगा स्नान कर लें। कोई फायदा नही।
मै कई बार पितृदोष और कुलदेवताओं पर लिख चुका हूं। फिर एक बार आपको बताता हूँ, अगर आपको अपने घर मे शांति अनुभव न हो रही हो, और हमेशा कोई न कोई अड़चन आ रही हो। शारीरिक और आर्थिक परेशानी का दौर शुरू हो चुका हो, घर मे कलह का वातावरण बन रहा हो, हर कार्य असफलता की तरफ अग्रसर हो, तो निश्चय ही यह कुलदेवताओं का साथ न देना। इससे पित्र कुपित होकर पितृदोष जैसे प्रभाव देते है।
इसीलिए अपने कुलदेवताओं की सेवा रखे अपने पूर्वजों को खुश कीजिये, अपने माँ पिता का शुभाशीष प्राप्त कीजिये। फिर देखिए कैसे आपके मन को शांति नही मिलती है। कैसे कोई कठिनाई आपके आड़े आती है।
दरअसल हमारे विघ्न तो हमारे पूर्वज ही पैदा करते हैं, जब हम अधर्म या कुमार्ग को पकड़ लेते हैं। कुलदेवताओं को भुला देते हैं, अपने बुजुर्ग, माँ पिता का सम्मान, उनकी सेवा नही करते हैं। उनकी इच्छाओं को तृप्त नही करते हैं। हर आत्मा तब तक नया जन्म या मुक्त नही होती जब तक कि उनके इच्छीत कार्य पूर्ण नही हो जाते, या उनकी मुक्ति के लिए हम सत्कार्य नही करते।
इसीलिए उनकी मुक्ति का उपाय करना सीखना चाहिए, न कि उनको कहीँ स्थापित करके उनको उस जगह से बांध देना चाहिए। ऐसा करने से वह पीढ़ियों को मुक्ति के लिए परेशानी पैदा करेंगे।
आजकल अपने कुलदेवताओं और पित्रों की उपेक्षा कर जगह जगह के दरबार के चक्कर लगाने से कुलदेवताओं और पित्रों के कोप का भागी बनना पड़ता है।
सीधी सी बात है जब कुलदेवता घर बैठे हैं और आप जा रहे दूसरे दर तो कुलदेवता कुपित तो होंगे ही।
जब यह किसी क्रिया या श्राप वश बंधन में होते हैं तो भी आपका साथ नहीं दे पाते हैं।
आप सबसे पहले इनकी जानकारी कर इनको मुक्त करने का उपाय खोजकर अपना रास्ता सरल बनाइये।
इसीलिए वह कृत्य कीजिये, की पित्र संतुष्ट होकर मुक्त हो सकें, और आपको शुभाशीष प्रदान कर मुक्ति पाएं। ताकि आप दिन दूनी तरक्की करें।
इसीलिए पहले माता पिता, फिर परिवार फिर समाज , फिर कुलदेवता, फिर पूर्वज, फिर बाद में आते हैं अन्य देवी या देवता।
एक बार आप अन्य देव या देवी को नही पूजिये पर कुलदेवता को कभी मत भूलिए।
आज के तथाकथित गुरु और दरबार लगाने वाले दुनिया भर के मंत्र विधान और क्रियाएं टोटके देकर मुमुक्षु का बेड़ा गर्क कर देते हैं।
सही जानकारी लगाने में अक्षम होते हुए खुद को ज्ञानी बताकर तरह तरह के वादे प्रलोभन देकर मुमुक्षु को गलत रास्ते पर धकेल देते हैं।
योग्य गुरु या साधक की शरण आपको सही रास्ते पर ले जा सकती है।
आषाढ़ का महीना पूरा कुलदेवताओं के नाम, फिर त्योहार, फिर देवउठनी ग्यारस और हर अमावस जो कि मुख्य दिन हैं। इन सब पर अपने पूर्वजों को अर्ध्य देकर उनको स्मरण कीजिये।
तँत्र सीखने वालों के लिए
अभी जो माह चल रहा है। इस माह मे तंत्र मंत्र की विध्या सीखी जाती है।
गुप्त नवरात्रि से विशेष साधनाओ द्वारा खुद को ऊर्जावान बनाया जा सकता है।
*डॉ रमेश खन्ना*
*वरिष्ठ पत्रकार* *हरिद्वार उत्तराखंड*