religion,धर्म-कर्म और दर्शन -93
religion and philosophy- 93
🏵️श्री राम का वो कौन सा मंत्र है, जिसका जाप ब्रह्मा और भोलेनाथ भी करते हैं।🏵️
भगवान परब्रम्ह इस कलीकाल ⁴के दुखों को दूर करने के लिए भगवान श्री राम के नाम मात्र का स्मरण करने से व्यक्ति भवसागर से पार हो जाता है भगवान राम के मंत्र का जाप करने वाला व्यक्ति किसी भी क्षेत्र में पराजित नहीं हो सकता इस कलयुग का अंत साक्षात भगवान श्री राम के अवतार अर्थात श्री भगवान विष्णु के अवतार कल्कि द्वारा अधर्मियों का नाश होगा और सत्य और धर्म की पुनः स्थापना होगी भगवान कलकी इस संपूर्ण विश्व को पाप मुक्त करने के लिए अवतरित होंगे इसी क्रम में मैं आज आप सभी को भगवान राम के कुछ दिव्य मंत्रों की प्रदान कर रहा हूं इन मंत्रों के जाप और हवन इत्यादि कर्म से व्यक्ति देवताओ के पद को प्राप्त कर लेता है देवताओं से भी ऊंचा पद प्राप्त करके सभी सुखों को प्राप्त करते हुए मोक्ष को प्राप्त करता है भगवान श्रीं राम के मंत्र का जाप करने वाला व्यक्ति ब्रह्मास्त्र तक को निगल लेने की क्षमता प्राप्त कर सकता है।
१). राम रामाया नमः!🌼
जपकर्ता– ब्रह्मा जी, यदि इस मंत्र का जाप निरंतर ब्रम्हा जी कर रहे है, तो आप खुद विचार कर सकते हो की यह मंत्र कितना शक्तिशाली है, इस मंत्र के ऋषि भी खुद ब्रम्हा जी ही है, साधक पांच वर्ष तक केवल स्नान और ध्यान करके शुद्ध मन और तन के द्वारा एकांत में एक निश्चित समय अनुसार एक आसान पर एक बैठक में पांच हजार मंत्र का जाप पांच वर्ष करे, तो समस्त प्रकार की मनोकामना सहज में ही पूर्ण हो जाती है!
२). क्लीम रामाया नमः!🌼
जपकर्ता– ब्रह्मऋषि विश्वामित्र जी ने इसी मंत्र की उपासना करके विश्व सम्मोहन की सिद्धि प्राप्त की थी विश्वामित्र जी की इस मंत्र की सिद्धि प्राप्त होने पर, सुर, असुर अप्सराये, देव कन्या, नाग कन्या, इत्यादि समस्त प्रकार की योनियां विश्वामित्र जी के अधीन होने लग गई थी यदि विश्वामित्र जी इस मंत्र की उपासना की है तो आप खुद विचार कीजिए कि यह मंत्र सम्मोहन शक्ति देने के लिए कितना महानतम मंत्र कहलाएगा इसका जाप करके राजनीति के क्षेत्र में भी सफलता अर्जित की जा सकती है और शत प्रतिशत सफलता प्राप्त भी होगी, एक साधक निरंतर 5 वर्ष तक तन मन से शुद्ध होकर एक आसान और एक निश्चित समय के अनुसार नित्य ग्यारह हजार मंत्रों का जाप यदि करता है तो उसे सम्मोहन शक्ति प्राप्त हो जाती है वह पशु पक्षी, जीव, जंतु, सुर, असुर सभी को सम्मोहित कर सकता है!
३). ह्रीम रामाया नमः!🌼
जपकर्ता– इस मंत्र की उपासना शाक्त संप्रदाय के लोग करते हैं इस मंत्र की इतनी शक्ति है कि यदि साधक इस मंत्र का निरंतर बीस वर्ष तक जप करता है तो उसे मनवांछित वरदान की प्राप्ति हो जाती है तथा साधक अमरत्व की प्राप्ति भी कर लेता है इस मंत्र के द्वारा निर्बल से निर्बल मनुष्य भी संपूर्ण शक्ति और सिद्धियों को धारण करने की योग्यता और शक्ति प्राप्त कर लेता है यदि कोई साथ निरंतर 20 वर्ष तक अथवा 10 वर्ष तक इस मंत्र का एक आसान और एक बैठक में ग्यारह हजार मंत्रों का जाप तन और मन शुद्ध करके ध्यान योग विधि के द्वारा निरंतर करता है तो उसको मनवांछित वरदान तथा संपूर्ण अष्ट सिद्धि और नवनिधि की प्राप्ति हो जाती है इसमें किसी प्रकार का कोई संदेह करने की आवश्यकता नहीं है!
४). ऐम रामाया नमः!🌼
जपकर्ता– इस मंत्र का जाप दक्षिणामूर्ति भैरव जी ने भी किया है और इसके ऋषि भी यही कहलाते हैं यदि कोई साधन इस मंत्र का जाप निरंतर 5 वर्ष से लेकर 10 वर्ष तक लगातार कर लेता है तो यदि वह परम मूढ़ भी है अज्ञानी है कमजोर बुद्धि का है पागल है शक्तिहीन है भक्तिहीन है संपदा और धनहीन है वह तुच्छ से तुच्छ प्राणी भी परम मेधावी परम प्रकांड ज्ञानी बनाकर संपूर्ण प्रकार से तीनों लोकों पर प्रशासन करने की शक्ति प्राप्त कर लेता है! यदि किसी व्यक्ति को संपूर्ण प्रकार से योग्य ज्ञानी और त्रिकालदर्शी सिद्धि प्राप्त करने की इच्छा है तो वह व्यक्ति दस दस वर्ष का दो अनुष्ठान कर सकता है।
यदि 10 वर्ष तक भी आप इस मंत्र का निरंतर एक आसन पर और शुद्ध तन मन से 5000 से लेकर 11000 मंत्रों का जाप करते हैं तो आपको त्रिकाल दर्शी की सिद्धि तथा परम मेधावी की स्थिति प्राप्त हो जाती है फिर साधक से कुछ भी अछूता नहीं रह जाता साधक समय के किसी भी छोर पर आ जा सकता है समय की गति को माप सकता है और समय यात्रा भी कर सकता है!
५). श्रीम रामाया नमः!🌼
जपकर्ता– इस मंत्र का जाप करता अगस्त ऋषि जी है यदि कोई साधक धनहीन है श्रीहीन है और अत्यंत ही निर्धन है युगो युगो से उसकी जन्म की स्थिति निर्धनता की बनी रही है वह व्यक्ति अत्यंत पापी है उसके घर में ग्रह कलेश नित्य प्रति तांडव करता रहता है धन हानि हो रही है। उसका कोई भी कारोबार, व्यवसाय, चल नहीं रहा है उस स्थिति में साधक इसका ऊपर लिखित बताई गई विधि अनुसार एक आसन पर बैठकर तन मन की शुद्ध करके योग अभ्यास करके स्नान और ध्यान करके मृग चरम पर बैठकर यदि साधक 5000 मंत्रों का जाप एक आसन पर बैठकर नित्य 10 वर्ष तक कर देता है तो उसके जन्म जन्मों की निर्धनता का नाश हो जाता है और उसके जन्म जन्म के पापो का नाश हो जाता है यदि वह संतानहीन है शक्तिहीन है भक्ति है तो उसे समस्त प्रकार के आप्रप्य रत्न, गुण, की भी प्राप्ति हो जाती है और साक्षात महालक्ष्मी उसके गृह में वाश करने लगती है उसके जिहवा पर साक्षात सरस्वती का वास हो जाता है वह युगादि युग तक उसके पीढ़ी दर पीढ़ी श्री संपदा का वास बना रहता है। यदि कोई साधक करता है तो निरंतर इसका जाप करना आवश्यक है!
६). ओउम् रामाया नमः!🌼
जपकर्ता– यह मंत्र भगवान शंकर का प्रिय जप मंत्र है भगवान शंकर ने इस मंत्र का कई युगों तक जप करके इसकी प्रामाणिकता व्यक्त की है और इसके ऋषि भी भगवान शंकर ही हैं यदि कोई साधक मोक्ष की प्राप्ति की इच्छा रखता है तथा भगवान श्री हरि के उसे परम बैकुंठ में वास करने की अभिलाषा रखता है तो इस मंत्र का जाप करने से व्यक्ति को भगवान श्री हरि के लोक में वास करने की परमिशन यानी की आज्ञा प्राप्त हो जाती है लेटर प्राप्त हो जाता है भगवान शिव इस मंत्र के ऋषि हैं अर्थात या मंत्र कोई साधारण मंत्र नहीं है।
इस मंत्र का 30 से 40 वर्ष तक जप करने वाला व्यक्ति स्वयं अपने आप को इतना योग्य बना लेता है कि वह इंद्रात्व के पद को प्राप्त कर लेता है वह साक्षात देवराज इंद्र के सिंहासन पर विराज करने की योग्यता प्राप्त कर लेता है वह व्यक्ति नई सृष्टि की रचना करने का समर्थ प्राप्त कर लेता है ऐसा व्यक्ति किसी भी निर्जीव ग्रह पर भी जीवन स्थापित करने की शक्ति प्राप्त कर लेता है और वह व्यक्ति किसी को भी श्राप तथा इच्छित वरदान प्रदान कर सकता है।
ऐसा व्यक्ति मृत्य जीव को भी जीवित कर देने की शक्ति रखता है और प्रकृति के किसी भी नियम में परिवर्तन करने की भी योग्यता अर्जित कर लेता है इससे यह स्पष्ट होता है कि समस्त सिद्धियां शक्तियों का निर्माण आप स्वयं करने में सक्षम हो जाते हैं इस मंत्र का प्रभाव कभी भी शून्य नहीं होता कभी भी खत्म नहीं होता यह तो एक बार कर लेने वाले व्यक्ति को निरंतर कल्पवृक्ष के समान बना देता है और वह व्यक्ति अजर अमर होकर श्री हरि के उन समस्त बनाए गए नियमों का संरक्षक बन जाता है और वह व्यक्ति किसी को भी मोक्ष प्राप्त करने का मार्ग प्रशस्त कर सकता है यानी की समस्त प्रकार की अभिलाषाओं की पूर्ति इस मंत्र से हो जाती हैं अब इसका जाप कैसे करना है यह सब कुछ ऊपर बताए अनुसार है।
एक आसन पर आप सभी को मृग चरम पर बैठकर मन और तन को शुद्ध करके योग करके ध्यान करके 11000 मंत्रों का जाप नित्य एक बैठक में करना आवश्यक है इस तरह से 21, 21 वर्ष का दो अनुष्ठान कर देने के बाद व्यक्ति स्वयं ही अपने आप में इंद्रित्व को प्राप्त कर लेता है फिर उसके लिए कुछ भी असंभव नहीं रहता यह फलदायक मंत्र है।
Dr.Ramesh Khanna.
Senior Journalist
Haridwar.(U.K.)