राज्यपाल लेफ्टिनेंट जनरल गुरमीत सिंह (से नि) की पहल पर राजभवन में दून विश्वविद्यालय एवं राष्ट्रीय अनुसंधान विकास निगम (एनआरडीसी) के मध्य एक महत्वपूर्ण समझौता ज्ञापन (एमओए) पर हस्ताक्षर किए गए। यह राज्य में अपनी तरह की पहली साझेदारी है, जिसमें एनआरडीसी ने किसी राज्य विश्वविद्यालय से औपचारिक रूप से समझौता किया है। एनआरडीसी, भारत सरकार के विज्ञान एवं प्रौद्योगिकी मंत्रालय का एक उपक्रम है, जिसका उद्देश्य अनुसंधान एवं नवाचार को प्रोत्साहित करना तथा बौद्धिक सम्पदा का व्यावसायीकरण करना है।

इस अवसर पर राज्यपाल ने कहा कि यह पहल माननीय प्रधानमंत्री जी के ‘विकसित भारत-2047 के विजन की दिशा में एक महत्वपूर्ण कदम है। उन्होंने प्रसन्नता व्यक्त की कि यह ऐतिहासिक क्षण न केवल दून विश्वविद्यालय के लिए, बल्कि सम्पूर्ण उच्च शिक्षा जगत और राज्य के लिए एक मील का पत्थर सिद्ध होगा। राज्यपाल ने कहा कि विश्वविद्यालय केवल शिक्षण के केंद्र नहीं हैं, बल्कि उत्कृष्ट अनुसंधान, नवाचार और ज्ञान-आधारित विकास के प्रेरणास्थल होने चाहिए। उन्होंने यह भी कहा कि दून विश्वविद्यालय ने अन्य विश्वविद्यालयों एवं संस्थानों के लिए नई राह खोली है।

राज्यपाल ने कहा कि यह समझौता दून विश्वविद्यालय को एक ऐसा मंच प्रदान करेगा, जहाँ अनुसंधान कार्य अकादमिक दायरे से निकलकर उद्योगों, स्टार्टअप्स और राष्ट्रीय प्राथमिकताओं से जुड़ सकेगा। इससे विश्वविद्यालय आत्मनिर्भरता की ओर बढ़ेगा और बाहरी वित्तीय संसाधनों पर निर्भरता कम होगी।

इस अवसर पर एनआरडीसी के चेयरमैन एवं प्रबंध निदेशक कमोडोर अमित रस्तोगी ने राज्यपाल को आश्वस्त किया कि एनआरडीसी, दून विश्वविद्यालय को हर संभव सहयोग प्रदान करेगा। उन्होंने कहा कि एनआरडीसी विश्वविद्यालय के पेटेंट फाइलिंग कार्यों में सहायता करेगा और भविष्य में तकनीकी एवं ज्ञान के हस्तांतरण के माध्यम से उद्योगों से जुड़ाव को बढ़ाएगा, जिससे राज्य की आर्थिक प्रगति को बल मिलेगा। यह साझेदारी विद्यार्थियों एवं शिक्षकों के लिए उद्यमशीलता कौशल विकसित करने और स्टार्टअप की संभावनाओं को साकार करने का मार्ग भी प्रशस्त करेगी।

दून विश्वविद्यालय की कुलपति प्रो. सुरेखा डंगवाल ने बताया कि विश्वविद्यालय के विज्ञान संकाय एवं विभिन्न विभाग-विशेष रूप से पर्यावरण एवं प्राकृतिक संसाधन विद्यालय, भौतिकी, रसायन विज्ञान, गणित, कंप्यूटर विज्ञान, भूविज्ञान विभाग और डिजाइन स्कूल- अब अपने शोध कार्य को बौद्धिक सम्पदा निर्माण की दिशा में पुनर संरेखित कर रहे हैं। उन्होंने कहा कि इन विभागों के संकाय सदस्य मौलिक एवं अनुप्रयुक्त शोध में सक्रिय हैं और उन्होंने उच्च गुणवत्ता वाले अनेक शोध पत्र प्रकाशित किए हैं। अब एनआरडीसी के सहयोग से विश्वविद्यालय अनुसंधान, पेटेंट, ट्रेडमार्क, डिजाइन एवं अन्य बौद्धिक संपदाओं की सुरक्षा एवं व्यावसायीकरण की दिशा में ठोस कार्य करना है।

इस अवसर पर सचिव श्री रविनाथ रामन, अपर सचिव श्रीमती रीना जोशी श्री एन. जी. लक्ष्मीनारायण (उप महाप्रबंधक, एनआरडीसी), डॉ. अरुण कुमार (निदेशक, अनुसंधान एवं विकास प्रकोष्ठ, दून विश्वविद्यालय), श्रीमती स्मृति खंडूरी (वित्त नियंत्रक, दून विश्वविद्यालय), श्री दुर्गेश डिमरी (कुलसचिव, दून विश्वविद्यालय), विभिन्न संकायों के अधिष्ठाता, विभागाध्यक्षगण, विश्वविद्यालय के प्राध्यापक, शोधार्थी, एनआरडीसी से सुश्री प्रियंका असवाल तथा राजभवन के अधिकारी एवं कर्मचारीगण उपस्थित रहे।

By Shashi Sharma

Shashi Sharma Working in journalism since 1985 as the first woman journalist of Uttarakhand. From 1989 for 36 years, she provided her strong services for India's top news agency PTI. Working for a long period of thirty-six years for PTI, he got her pen ironed on many important occasions, in which, by staying in Tehri for two months, positive reporting on Tehri Dam, which was in crisis of controversies, paved the way for construction with the power of her pen. Delivered.

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *