Sanatan tradition,सनातन परंपरा में शस्त्र और शास्त्र दोनों का बहुत महत्व - महन्त नारायण गिरीSanatan tradition,सनातन परंपरा में शस्त्र और शास्त्र दोनों का बहुत महत्व - महन्त नारायण गिरी

Sanatan tradition,सनातन परंपरा में शस्त्र और शास्त्र दोनों का बहुत महत्व – महन्त नारायण गिरी

Sanatan tradition,Both weapons and scriptures have great importance in Sanatan tradition – Mahant Narayan Giri

भारतीय सेना तक दशहरे के दिन विशेष रूप से शस्त्रों का पूजन करती है – महंत नारायण गिरी

जसोलधाम में क्षत्रिय कुल की परंपरा को जिंदा रखने के साथ हुआ शस्त्र पूजन

Sanatan tradition,जसोल- सनातन परंपरा में विजयादशमी का बहुत ज्यादा धार्मिक महत्व है। बुराई पर अच्छाई की जीत से जुड़े इस पर्व पर भगवान राम की पूजा के साथ शस्त्र पूजा का विधान है, प्राचीन काल से राजा–महाराजाओं द्वारा की जाने वाली शस्त्र पूजा आज तक चली आ रही है।

Sanatan tradition,सनातन परंपरा में शस्त्र और शास्त्र दोनों का बहुत महत्व - महन्त नारायण गिरी
Sanatan tradition,सनातन परंपरा में शस्त्र और शास्त्र दोनों का बहुत महत्व – महन्त नारायण गिरी

Sanatan tradition,उसी क्रम में श्री राणी भटियाणी मन्दिर संस्थान, (जसोलधाम) में सभी मंदिरों के शस्त्रों का पूजन किया गया। संत महामंडल अध्यक्ष दिल्ली (एन. सी.आर.) व अंतर्राष्ट्रीय प्रवक्ता जूना अखाड़ा तथा दूधेश्वर महादेव मठ (गाजियाबाद) महन्त नारायण गिरी महाराज के पावन सानिध्य में आचार्य तोयराज, नित्यानंद, वैदाचार्य दीपक भट्ट, पंडित नितेश त्रिपाठी, मनोहरलाल अवस्थी, आयुष पोढेल, निखिलेश शर्मा, केशवदेव कोटा, विशेष दीक्षित, प्रियांशु पांडे, रामधिरज तिवारी, अभिनव पुरोहित, विपिन्न शुक्ला, राहुल तिवारी, यश दीक्षित द्वारा वैदिक मंत्रों से शास्त्रात करते हुए शस्त्रों की पूजा करवाई गई।

इस दौरान महंत नारायण गिरी महाराज ने कहा कि विजयादशमी पर्व पर शस्त्र की विधि–विधान से पूजा करने पर पूरे वर्ष शत्रुओं पर विजय प्राप्ति का वरदान प्राप्त होता है,Sanatan tradition,

यही कारण है कि आम आदमी से लेकर भारतीय सेना तक दशहरे के दिन विशेष रूप से शस्त्रों का पूजन करती है। उन्होंने कहा कि राजघराने शस्त्र पूजन की अपनी पुरानी परंपरा को विजयादशमी के दिन निर्वहन करते है। हर वर्ष की भांति इस बार भी बरसों से अपनी क्षत्रिय कुल की परंपरा को जिंदा रखने के साथ साथ इसे आने वाली पीढ़ी तक पहुंचाने के उद्देश्य से भव्य शस्त्र पूजन का आयोजन किया गया। श्री राणी भटियाणी मन्दिर संस्थान समिति सदस्य कुं. हरिश्चन्द्रसिंह जसोल ने कहा कि राजपूत समाज की हजारों बरसों पुरानी इस परंपरा को आगे बढ़ाना जरूरी है। आज की युवा पीढ़ी में भी शस्त्र पूजन को लेकर ज्ञान हो।

Sanatan tradition, उन्होंने कहा कि शस्त्र समाज के रक्षक होते हैं, इसलिए विजयादशमी के दिन समाज के रक्षकों यानी शस्त्र की पूजा होती है। बरसों तक तलवार और कुल्हाड़ी ने समाज की रक्षा की जिसकी आज तक पूजा होती आ रही है। अब उसका स्थान आत्याधुनिक हथियारों ने ले लिया, जिसका भी पूजन हमारे देश में सुरक्षा के लिए किया जा रहा है।

उन्होंने कहा कि सनातन परंपरा में शस्त्र और शास्त्र दोनों का बहुत महत्व है। शास्त्र की रक्षा और आत्मरक्षा के लिए धर्मसम्म्त तरीके से शस्त्र का प्रयोग होता रहा हैSanatan tradition, प्राचीनकाल में क्षत्रिय शत्रुओं पर विजय की कामना लिए इसी दिन का चुनाव युद्ध के लिए किया करते थे। पूर्व की भांति आज भी शस्त्र पूजन की परंपरा कायम है और देश की तमाम रियासतों और शासकीय शस्त्रागारों में आज भी शस्त्र पूजा बड़ी धूमधाम के साथ की जाती है। उन्होंने कहा कि दशहरा के दिन मां दुर्गा और भगवान राम की पूजा की जाती है।

Sanatan tradition, मां दुर्गा जहां शक्ति की प्रतीक हैं वहीं भगवान राम मर्यादा, धर्म और आदर्श व्यक्तित्व के प्रतीक हैं। जीवन में शक्ति, मर्यादा, धर्म और आदर्श का विशेष महत्व है, जिस व्यक्ति के भीतर ये गुण हैं वह सफलता को प्राप्त करता है। साथ ही उन्होंने कहा कि देवी दुर्गा शक्ति की देवी हैं और शक्ति प्राप्त करने हेतु शस्त्र भी आवश्यक है, इसलिए भगवान राम ने दुर्गा सहित शस्त्र पूजा कर शक्ति संपन्न होकर दशहरे के दिन ही रावण पर विजय प्राप्त की थी। तभी से नवरात्र में शक्ति एवं शस्त्र पूजा की परंपरा कायम हुई। इस दौरान नरेंद्रसिंह करड़ा, संस्थान प्रबंधक जेठूसिंह, सुरक्षाप्रभारी चतरसिंह, पर्यवेक्षक भोपालसिंह, नखतसिंह, सुरक्षाकर्मी जामसिंह, खेतसिंह, हीरसिंह, देवीसिंह, देशलसिंह, सुरेन्द्रसिंह, लोकेन्द्रसिंह, भवानीसिंह, रावलसिंह, सवाईसिंह मौजूद रहे।Sanatan tradition, देखें वीडियो -लाईक करें

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