सावन के अंतिम सोमवार का बहुत अधिक महत्व हैः श्रीमहंत नारायण गिरि

28 अगस्त को सावन मास, सोमवार व प्रदोष व्रत का संयोग बनने से भगवान शिव की पूजा पर तीन गुना फल।

 

श्री दूधेश्वर नाथ मठ महादेव मंदिर में जलाभिषेक या रूद्राभिषेक का विशेष महत्व।

श्री पंच दशनाम जूना अखाडा के अंतरराष्ट्रीय प्रवक्ता, दिल्ली संत महामंडल के राष्ट्रीय अध्यक्ष, हिंदू यूनाइटिड फ्रंट के अध्यक्ष व श्री दूधेश्वर पीठाधीश्वर श्रीमहंत नारायण गिरि ने कहा कि 28 अगस्त को सावन माह का सोमवार है।

सावन के आखिरी सोमवार का बहुत अधिक महत्व है क्योंकि इस दिन तीन शुभ संयोग एक साथ बन रहे हैं।

सावन महीना, सोमवार व्रत और प्रदोष व्रत तीनों ही शिवजी की पूजा के लिए ही समर्पित हैं और भगवान शिव को बहुत प्रिय हैं, ऐसे में एक साथ तीन संयोग बनने पर सावन के आखिरी सोमवार 28 अगस्त को देवाधिदेव महादेव की पूजा का भक्तों को तीन गुणा फल मिलेगा।

श्रीमहंत नारायण गिरि ने बताया कि अधिकमास के चलते इस बार सावन दो माह का रहा और 8 सोमवार का संयोग भी बना, अब सावन माह खत्म हो रहा है और 28 अगस्त सावन का अंतिम सोमवार है तो ऐसे भक्त जो अभी तक भगवान शिव का जलाभिषेक या रुद्राभिषेक नहीं कर पाए हैं, वे अंतिम सोमवार को सिद्धपीठ श्री दूधेश्वर नाथ मठ महादेव मंदिर में जलाभिषेक या रुद्राभिषेक कर सकते हैं।

इतना करने से ही भगवान शिव प्रसन्न हो जाएंगे और भक्तों को पूरे सावन शिव पूजा करने के समान फल प्राप्त होगा जिससे उनके सभी कष्ट दूर होंगे।

श्रीमहंत नारायण गिरि ने बताया कि 28 अगस्त को को शाम 06.22 मिनट तक सावन माह के शुक्ल पक्ष की द्वादशी तिथि है, इसके बाद त्रयोदशी तिथि लग जाएगी। ऐसे में सुबह सोमवार व्रत की पूजा व शाम को प्रदोष व्रत का पूजन करने भगवान शिव की कृपा प्राप्त हेागी और उन्हें मनोवांछित फल प्राप्त होगा।

सावन का अंतिम सोमवार ऐतिहासिक श्री दूधेश्वर नाथ मठ महादेव मंदिर में धूमधाम से मनाया जाएगा।
मंदिर में इसको लेकर तैयारियां भी पूरी हो गई हैं, श्री पंच दशनाम जूना अखाडा के अंतरराष्ट्रीय प्रवक्ता, दिल्ली संत महामंडल के राष्ट्रीय अध्यक्ष, हिंदू यूनाइटिड फ्रंट के अध्यक्ष व श्री दूधेश्वर पीठाधीश्वर श्रीमहंत नारायण गिरि ने बताया कि सावन का अंतिम सोमवार होने से 28 अगस्त को देश भर से शिवभक्त
जलाभिषेक करने के लिए मंदिर पहुंचने की संभावना को देखते हुए लाखों, इसी के चलते मंदिर की ओर से विशेष व्यवस्था की गई है ताकि भक्तों को जलाभिषेक के दौरान किसी प्रकार की कोई परेशानी ना हो।

इसमें पुलिस-प्रशासन का भी पूरा सहयोग मिल रहा है। मंदिर के स्वयंसेवक भी भक्तों की सेवा में लगे रहेंगे।

श्रीमहंत नारायण गिरि ने बताया कि रविवार 27 अगस्त की रात्रि 12 बजे से ही भक्तों के दूधेश्वर नाथ भगवान के दर्शन व जलाभिषेक का सिलसिला शुरू हो जाएगा।

3 बजे से भगवान का रूद्राभिषेक होगा और 3.30 बजे से धूप-आरती होगी। उसके बाद भगवान को छप्पन भोग लगाया जाएगा और भक्तों के जलाभिषेक का सिलसिला फिर से शुरू हो जाएगा। उन्होंने भक्तों से कहा कि सावन के अंतिम सोमवार को सिद्धपीठ श्री दूधेश्वर नाथ भगवान का जलाभिषेक कर, उनका दर्शन-पूजन कर व रूद्राभिषेक कर अपने जीवन को धन्य बनाए। भगवान दूधेश्वर की कृपा से उनके सभी कष्ट दूर होंगे और उनके जीवन में खुशहाली व सुख-समृद्धि आएगी।

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