सावन के पांचवें सोमवार,शिव मंदिरों में भारी संख्या में श्रद्धालुओं ने भोलेनाथ की पूजा अर्चना की।

सावन मास के पांचवें व अधिकमास के तीसरे सोमवार का विशेष महत्व हैः श्रीमहंत नारायण गिरि

आज पूजा-अर्चना करने से हर कष्ट होगा दूर, खुशियां मिलेगी भरपूर

गाजियाबाद,श्री पंच दशनाम जूना अखाडा के अंतरराष्ट्रीय प्रवक्ता, दिल्ली संत महामंडल के राष्ट्रीय अध्यक्ष, हिंदू यूनाइटिड फ्रंट के अध्यक्ष व श्री दूधेश्वर पीठाधीश्वर श्रीमहंत नारायण गिरि ने सभी भक्तों को सावन मास के पांचवें व अधिकमास के तीसरे सोमवार की बधाई दी है।

सावन के पांचवें सोमवार,शिव मंदिरों में भारी संख्या में श्रद्धालुओं ने भोलेनाथ की पूजा अर्चना की।
सावन के पांचवें सोमवार,शिव मंदिरों में भारी संख्या में श्रद्धालुओं ने भोलेनाथ की पूजा अर्चना की।

उन्होंने कहा कि सावन का तीसरा व अधिक मास का तीसरा सोमवार बहुत ही शुभ है। श्रीमंहत नारायण गिरि ने कहा कि इन दिनों सावन मास व अधिक मास दोनों मास एक साथ चल रहे हैं। ऐसा दुर्लभ संयोग 19 वर्ष बाद हुआ है। ऐसे में सावन मास व अधिक मास के दौरान पडने वाले सोमवार का महत्व और भी बढ गया है।

श्रीमहंत नारायण गिरी महाराज की देखरेख में भगवान शिव का जलाभिषेक
श्रीमहंत नारायण गिरी महाराज की देखरेख में भगवान शिव का जलाभिषेक

भगवान शिव व भगवान विष्णु दोनों की कृपा एक साथ प्राप्त होने से भक्तों का हर प्रकार का कष्ट दूर होगा और हर मनोकामना दूर होगी।

भगवान की पूजा में भद्रा का कोई असर नहीं होता है। भगवान की पूजा में भद्रा का कोई महत्व नहीं होता है अतः बिना किसी संकोच के भगवान की पूजा करें।

आज दिन में 2 बजे से साढे आठ बजे तक बहुत अच्छा मुहूर्त है। इस दौरान पूजा करने का विशेष फल प्राप्त होगा। अधिक मास में पूजा-अर्चना करने का फल कई गुना अधिक हो जाता है। अधिक मास को पुरूषोत्तम मास भी कहा जाता है। इस मास को भगवान विष्णु ने अपना नाम पुरूषोत्तम दिया है। इसी कारण यह मास सबसे उत्तम मास माना जाता है। सावन मास व अधिक मास एक साथ होने से भगवान विष्णु भगवान शिव, गौरी, गणेश समेत सभी देवी-देवताओं की पूजा-अर्चना करने का कई गुना फल प्राप्त होगा। इस मास में कोई गलती या भूल होने पर भगवान उसे क्षमा कर देते हैं।

ओम नमो शिवाय, शिवाय नमो या शिव गायत्री का जाप करते हुए व्रत रखते हुए एक समय रात्रि में ही मीठा भोजन करना चाहिए। शंकराय नमो का जाप करने से भी विशेष फल की प्राप्ति हेाती है। सावन मास का पांचवां व अधिक मास का तीसरा मास बहुत ही शुभ है।

इस दिन भगवान दूधेश्वर का पूजा-अर्चन करने का विशेष फल मिलेगा। दिन में भगवान को पंचामृत से स्नान कराएं और रात्रि में घी का दिया जलाएं। भगवान दूधेवर की 40 दिन लगातार पूजा करने का बहुत ही महत्व है।

सभी कष्ट दूर होते हैं और भगवान की कृपा प्राप्त होती है। कपूर से भी भगवान की पूजा करने से विशेष फल मिलता है। शारीरिक, मानसिक व आर्थिक कष्ट दूर होते हैं। जिन लड़कियों का विवाह नहीं हो रहा है, उन्हें भी सावन के सोमवार का व्रत रखना चाहिए।

भगवान शिव सबका कल्याण करने वाले हैं। उनकी कृपा से उनका विवाह अवश्य होगा।

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