श्री राणी भटियाणी मंदिर संस्थान, जसोलधाम में श्रीमहंत नारायण गिरि महाराज के सान्निध्य में मां चंद्रघंटा की विशेष पूजा-अर्चना हुई ।
नौ दिन तक मंदिर में एकांतवास में शक्ति उपासना करेंगे श्रीमहंत
राजस्थान में 4 स्थानों पर हो रहा है मां का महायज्ञ व पाठ
जसौल, राजस्थान,श्री दूधेश्वर पीठाधीश्वर, श्री पंच दशनाम जूना अखाडा के अंतरराष्ट्रीय प्रवक्ता, दिल्ली संत महामंडल के राष्ट्रीय अध्यक्ष व हिंदू यूनाइटिड फ्रंट के अध्यक्ष श्रीमहंत नारायण गिरि महाराज नवरात्रि पर्व पर शक्ति उपासना व शक्ति अर्जन के लिए गुजरात व राजस्थान की नौ दिवसीय यात्रा पर हैं।
वर्तमान में श्री राणी भटियाणी मंदिर संस्थान, जसोलधाम प्रवास कर रहे हैं। शक्ति उपससना व शक्ति अर्जन के लिए महाराज श्री एकांतवास पर चले गए हैं और किसी से भी मुलाकात नहीं कर रहे हैं।
शारदीय नवरात्रि पर्व के तृतीय दिवस पर महाराज श्री के पावन सानिध्य में मां चंद्रघंटा का विशेष पूजन किया गया। पूजन वैदिक मंत्रोच्चार व विधि विधान से आचार्य तोयराज, नित्यानंदए वैदाचार्य दीपक भट्ट, पंडित नितेश त्रिपाठी, विशेष दीक्षित, मनोहरलाल अवस्थी, प्रियांशु पांडे, निखिलेश भारद्वाज, विपिन शर्मा, तीर्थराज दहाल, रामधीरज तिवारी द्वारा करवाया गया। मां की विशेष पूजा के बाद आरती कर उन्हें प्रिय व्यंजनों का भोग लगाया।
श्रीमहंत नारायण गिरि महाराज के पावन सानिध्य में श्री राणी भटियाणी मंदिर संस्थान, जसोलधाम में मंगलवार को मां चंद्रघंटा, कन्या पूजन, महाराणी स्वरूप कंवर माता भटियाणी, कल्याण सिंह, भैरव महाराज, महाराणा स्वरूप सिंह तथा मंदिर में स्थापित सभी देवी-देवताओं का पूजन हुआ।
पूजन मंदिर संस्थान के मुख्य संयोजक कुंवर हरिश्चन्द्रसिंह जसोल व अध्यक्ष रावल किशन सिंह जसोल के नेतृत्व में हुआ। विशेष पूजन के दौरान मंदिर संस्थान समिति सदस्य कुंवर हरिश्चन्द्रसिंह जसोल द्वारा जसोलधाम के समस्त भक्तों की ओर से हवन में सर्व जन हिताय सर्व जन सुखाय हेतु आहुतियां दी गई।
कन्या पूजन के बाद सभी मंदिरों में भोग लगाकर कन्या प्रसाद के साथ-साथ सभी पधारे हुए भक्तों को भोजन प्रसाद करवाया गया। गणपत सिंह, वेरिसाल सिंह, ईश्वर सिंह, श्रवण सिंह भाटी ठिकाना डाभड़ भाटियान ने सपरिवार व उनके साथ पधारे हुए जसोल मां के भक्तों ने पूरे दिन भोजनशाला में हाजरी लगाकर सेवा कार्य का लाभ लिया। जसोल माँ के अनन्य भक्तों की और से माँ चंद्रघंटा का विशेष भोग दूध से बनी खीर लगाया गया।
इस दौरान श्रीमहंत नारायण गिरी महाराज ने कहा कि मां चंद्रघंटा की पूजा करने से मन को शांति प्राप्त होती है। मां दुर्गा के तीसरे स्वरूप की आराधना करने से परम शक्ति का अनुभव होता है।
मान्यता है कि मां चंद्रघंटा की पूजा में दूध का प्रयोग करना परम कल्याणकारी होता है। शास्त्रों के अनुसार मां दुर्गा का यह स्वरूप परम शांतिदायक और कल्याणकारी हैए माता रानी के मस्तिष्क में घंटे के आकार का अर्ध चंद्रमा विराजमान है। इस वजह से मां का नाम चंद्रघंटा पड़ा। मां चंद्रघंटा को अपने अंदर जागृत करने के लिए मां के मंत्र का नियमित जप व आराधना साधक को करनी चाहिए।
श्रीमहंत नारायण गिरि ने कहा कि माँ का यह स्वरूप परम शांतिदायक और कल्याणकारी है। इनके शरीर का रंग स्वर्ण के समान चमकीला है। मां चंद्रघंटा की कृपा से साधक के समस्त पाप और बाधाएँ विनष्ट हो जाती हैं।
इनकी आराधना सद्यः फलदायी है। माँ भक्तों के कष्ट का निवारण शीघ्र ही कर देती हैं। इनका उपासक सिंह की तरह पराक्रमी और निर्भय हो जाता है। इनके घंटे की ध्वनि सदा अपने भक्तों को प्रेतबाधा से रक्षा करती है। इनका ध्यान करते ही शरणागत की रक्षा के लिए इस घंटे की ध्वनि निनादित हो उठती है। माँ का स्वरूप अत्यंत सौम्यता एवं शांति से परिपूर्ण रहता है। इनकी आराधना से वीरता-निर्भयता के साथ ही सौम्यता एवं विनम्रता का विकास होकर मुख, नेत्र तथा संपूर्ण काया में कांति.गुण की वृद्धि होती है। माँ चंद्रघंटा के भक्त और उपासक जहाँ भी जाते हैं लोग उन्हें देखकर शांति और सुख का अनुभव करते हैं।
विद्यार्थियों के लिए मां साक्षात विद्या प्रदान करती है। वहीं, देवी साधक की सभी प्रकार से रक्षा करती है। महाराज श्री की अध्यक्षता में श्री राणी भटियाणी मंदिर संस्थान, जसोलधाम समेत राजस्थान में 4 स्थानों पर शतचंडी महायज्ञ व दुर्गा सप्तशती का पाठ विश्व कल्याण की भावना से किया जा रहा है।
खेत सिंह, वेरिशाल सिंह, सामत सिंहए अर्जुन सिंह, सुमेरसिंह डाभड़, उदय सिंह, संस्थान समिति सदस्य गुलाब सिंह डंडाली, मोहनभाई पंजाबी, राजेश भाई पंजाबी, नरेंद्र कौशल, अतिरिक्त जिला शिक्षा अधिकारी, माध्यमिक जेतमाल सिंह राठौड़, पदम सिंह चांदेसरा, अशोक कुमार चौधरी, ओमप्रकाश चौधरी दुदुवा आदि जसोल माँ के भक्तगण मौजूद रहे।