स्पर्श हिमालय फाउंडेशन के तत्वावधान में थानो, देहरादून में आयोजित तीन दिवसीय अंतर्राष्ट्रीय साहित्य, संस्कृति एवं कला महोत्सव ‘‘स्पर्श हिमालय महोत्सव-2024’’ में राज्यपाल लेफ्टिनेंट जनरल गुरमीत सिंह (से नि), पूर्व राष्ट्रपति रामनाथ कोविंद और मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी ने प्रतिभाग किया। इस अवसर पर उन्होंने देश के पहले हिमालयी ‘‘लेखक गाँव’’ का लोकार्पण किया। थानो स्थित इस लेखक गांव में लेखक कुटीर, संजीवनी वाटिका, नक्षत्र और नवग्रह वाटिका, पुस्तकालय, कला दीर्घा, योग-ध्यान केंद्र, परिचर्चा केंद्र, गंगा और हिमालय का मनमोहक संग्रहालय बनाया गया है। लेखक गाँव में आकर लेखक एक ही स्थान पर प्रकृति, संस्कृति, ज्ञान-विज्ञान से साक्षात्कार कर विविध विषयों पर चिंतन के लिए नए दृष्टिकोण प्राप्त कर सकेंगे।

देहरादून में देश के पहले हिमालयी ‘‘लेखक गाँव’’ का हुआ लोकार्पण।

देश के विभिन्न प्रदेशों सहित 40 से अधिक देशों के साहित्य, संस्कृति और कला के क्षेत्र की विभूतियां कर रहीं हैं प्रतिभाग।

उत्तराखण्ड के सृजनशील युवाओं और लेखकों को एक मंच प्रदान करेगा ‘‘लेखक गाँव’’- राज्यपाल।

लेखकों कवियों, साहित्यकारों और अन्य रचना कर्मियों द्वारा महसूस की जा रही व्यावहारिक कठिनाइयों का निवारण करने की ओर यह एक अभिनव पहल है- पूर्व राष्ट्रपति।

यह महोत्सव राज्य के साहित्यकारों को एक मंच प्रदान करेगा, जहाँ वे विश्व भर से आए साहित्यकारों के साथ अपने विचारों का आदान-प्रदान कर सकेंगे- मुख्यमंत्री।

तीन दिन तक चलने वाले इस महोत्सव में केंद्रीय फिल्म प्रमाणन बोर्ड के अध्यक्ष प्रसून जोशी, जूना पीठाधीश्वर स्वामी अवधेशानंद गिरी, इस महोत्सव के संयोजक पूर्व मुख्यमंत्री डॉ. रमेश पोखरियाल ‘‘निशंक’’ सहित देश के विभिन्न प्रदेशों सहित 40 से अधिक देशों के साहित्य, संस्कृति और कला के क्षेत्र की अनेक विभूतियों ने प्रतिभाग किया। इस अवसर पर उपस्थित अतिथियों द्वारा ‘‘हिमालय में राम’’ पुस्तक का भी विमोचन किया। ‘‘लेखक गाँव’’ की इस पहली रचना को डॉ. रमेश पोखरियाल निशंक द्वारा लिखा गया है।

महोत्सव में राज्यपाल ने कहा कि डॉ. रमेश पोखरियाल ‘‘निशंक’’ द्वारा स्थापित ‘‘स्पर्श हिमालय फाउंडेशन’’ के तत्वावधान में देश के पहले हिमालयी लेखक गाँव की स्थापना करने का यह अभिनव प्रयास न केवल हमारी संस्कृति और साहित्य को संरक्षित करने का एक महत्वपूर्ण कदम है, बल्कि उत्तराखण्ड के सृजनशील युवाओं और लेखकों को मंच प्रदान करने का सुनहरा अवसर भी है। राज्यपाल ने कहा कि इस आयोजन और इस पहल के माध्यम से साहित्य, कला, और संस्कृति के क्षेत्र में जो नवाचार देखने को मिलेगा, वह हमारे उत्तराखण्ड की धरोहर को एक नई दिशा देगा।

राज्यपाल ने कहा कि यह मंच उन लेखकों के लिए एक सुनहरा अवसर है, जो अपने शब्दों के माध्यम से समाज को नई राह दिखाने का सामर्थ्य रखते हैं। उन्होंने कहा कि उत्तराखण्ड अनेक विद्वत लेखकों की जन्मभूमि रही है, ‘‘लेखक गाँव’’ जैसी पहले हमें इन महान लेखकों की विरासत को आगे ले जाने में मदद करेगी। यहाँ के वातावरण में जो सृजनशीलता का प्रवाह है, वह आज भी अनेक लेखकों और कवियों को प्रेरित करेगा। इस ‘‘लेखक गाँव’’ की स्थापना हमारी उस परंपरा का जीवंत प्रमाण है, जो हमें साहित्य के माध्यम से हमारी जड़ों से जोड़ती है और हमें आत्म-चिंतन के नए आयाम प्रदान करेगी।

पूर्व राष्ट्रपति रामनाथ कोविंद ने कहा कि ‘‘निशंक’’ द्वारा ‘‘लेखक गाँव’’ की परिकल्पना के लिए उनकी सोच, सामर्थ्य और पराक्रम को नमन करता हूँ। उन्होंने कहा कि लेखकों, कवियों, साहित्यकारों और अन्य रचना कर्मियों द्वारा महसूस की जा रही व्यावहारिक कठिनाइयों का निवारण करने की ओर यह एक अभिनव पहल है। उन्होंने कहा कि ‘‘लेखक गाँव’’ अपने प्रकार की प्रथम परिकल्पना है।

उन्होंने कहा कि यह उत्तराखण्ड के लिए बहुत गौरव की बात है कि यहां ‘‘लेखक गाँव’’ का शुभारंभ हुआ है, उत्तराखण्ड ही एक ऐसा प्रदेश है जहां ‘‘लेखक गाँव’’ की सार्थकता नजर आएगी। देश का कोई भी प्रदेश ऐसा नहीं है जिसमें की ‘‘लेखक गाँव’’ के नाम से कोई परिकल्पना साकार हुई हो। इसके लिए उन्होंने सभी उत्तराखण्ड निवासियों को भी इसकी बहुत-बहुत बधाई दी। पूर्व राष्ट्रपति ने कहा कि यह ‘‘लेखक गाँव’’ भविष्य का टूरिस्ट डेस्टिनेशन बनकर अवश्य उभरेगा।

पूर्व राष्ट्रपति ने कहा कि लेखन में एक अद्भुत क्षमता होती है लिखने, पढ़ने और पढ़ने मात्र से आप किसी के जीवन में चमत्कार ला सकते हैं। एक लेखक के रूप में जब आप लिखते हैं तो आपको पता नहीं चलता कि आपके पास कितनी असीम शक्ति है आप लेखन के माध्यम से लोगों के मन को प्रभावित करते हैं। बिल्कुल हताश-निराश लोगों में आप लेखन के माध्यम से नई ऊर्जा और नई उमंग का संचार करते हैं। उन्होंने इस आयोजन के लिए आयोजकों को बधाई दी।

मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी ने कहा कि देवभूमि उत्तराखण्ड सदियों से रचनात्मकता का अद्भुत केंद्र रही है। यहां के पहाड़ों की विशालता, गंगा की पवित्रता और अद्वितीय प्राकृतिक सौंदर्य ने लेखकों, कवियों और विचारकों को प्रेरणा प्रदान करने का काम किया है। ऐसे प्रदेश में “लेखक गांव“ का बनना अपने आप में एक महान कार्य है, इसके लिए उन्होंने पूर्व मुख्यमंत्री डॉ. रमेश पोखरियाल ‘‘निशंक’’ को बधाई दी। मुख्यमंत्री ने कहा कि एक लेखक के लिए ऐसा वातावरण आवश्यक है, जो शांति, सौंदर्य और विचारों के स्वतंत्र प्रवाह से समृद्ध हो। यह तीन दिवसीय साहित्यिक महोत्सव हमारे राज्य के साहित्यकारों को एक मंच प्रदान करेगा। जहाँ वे विश्व भर से आए साहित्यकारों और कलाकारों के साथ मिलकर अपने विचारों का आदान-प्रदान कर सकेंगे।

        मुख्यमंत्री ने कहा कि किसी भी समाज का साहित्य ही उसका वास्तविक दर्पण होता है, जो उसकी संस्कृति, मूल्यों और विचारों को उजागर करता है। राज्य सरकार साहित्य और संस्कृति के संरक्षण एवं प्रोत्साहन के लिए प्रतिबद्ध है। हमने राज्य में ’उत्तराखण्ड साहित्य गौरव सम्मान’ के माध्यम से उत्कृष्ट साहित्यकारों को सम्मानित करने का कार्य प्रारंभ किया है। राज्य में विभिन्न भाषाओं में ग्रंथ प्रकाशन के लिए ‘वित्तीय सहायता योजना’ के तहत साहित्यकारों को अनुदान भी प्रदान किया जा रहा है। उत्कृष्ट साहित्यकारों को ‘साहित्य भूषण’ और ‘लाइफ टाइम अचीवमेंट’ पुरस्कार से भी सम्मानित किया जा रहा है। जिसके अंतर्गत 05-05 लाख रुपये की सम्मान राशि प्रदान करने की घोषणा की है।

        भारतीय फिल्म प्रमाणन बोर्ड के अध्यक्ष प्रसून जोशी ने कहा कि आज एआई ने हमारे प्रत्येक क्षेत्र को प्रभावित किया है। उन्होंने कहा कि जो भी अविद्या है, जो भी मानव मस्तिष्क की उपज है जैसे कविता, साहित्य आदि वह एआई कर पाएगा और वह इससे सभंव है। लेकिन चिंतन, मनन और स्वयं की खोज, जिसे ब्रह्म ज्ञान कहते हैं इसे स्वयं के साथ साक्षात्कार कहते हैं वह एआई नहीं कर पाएगा। यह विद्या रूपी ज्ञान से संभव हो पाएगा। उसके लिए आपको एकांत स्थान चाहिए उसके लिए सृजनात्मक माहौल चाहिए जहां आप स्वयं के अस्तित्व में डूबकर मोती निकाल सके, उसे इस प्रकार का लेखक गांव जैसा स्थान चाहिए।

        स्वामी अवधेशानंद गिरी ने कहा की यह एक अलग प्रकार का आयोजन है जिसकी किसी ने कल्पना नहीं की। यहां लेखकों, विचारकों को अपनी कृतियों को लिखने का अवसर मिलेगा। उन्होंने कहा कि पुस्तकें हमारे जीवन का अभिन्न अंग बनें, उनसे दूर न रहें यहां से हम सभी को यह संकल्प लेना होगा। उन्होंने इस कार्य के लिए डॉ निशंक को बधाई दी।

        इस महोत्सव के सूत्रधार डॉ रमेश पोखरियाल निशंक ने सभी लोगों का स्वागत किया और ‘‘लेखक गाँव’’ और इस महोत्सव की परिकल्पना के बारे में अवगत कराया। उन्होंने कहा कि देश के विभिन्न प्रदेशों सहित 40 से अधिक देशों के लोग प्रत्यक्ष और 70 से अधिक देशों के लोग अप्रत्यक्ष रूप से साहित्य, संस्कृति और कला के क्षेत्र में अपने विचारों का आदान-प्रदान करेंगे। इस महोत्सव में सांसद माला राज्यलक्ष्मी शाह, विधायक बृजभूषण गैरोला, विधायक आदेश चौहान सहित देश एवं विदेशों से आए लेखक, चिंतक और समाजसेवी मौजूद रहे।
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By Shashi Sharma

Working in journalism since 1985 as the first woman journalist of Uttarakhand. From 1989 for 36 years, he provided his strong services for India's top news agency PTI. Working for a long period of thirty-six years for PTI, he got his pen ironed on many important occasions, in which, by staying in Tehri for two months, positive reporting on Tehri Dam, which was in crisis of controversies, paved the way for construction with the power of his pen. Delivered.

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