रुड़की—माउंट आबू में हुई ब्रह्माकुमारीज की राष्ट्रीय मीडिया कॉन्फ्रेंस में ‘आध्यात्मिक शक्तियों से चुनौतियों पर विजय’ विषय पर इनसाइट सेशन का आयोजन किया गया। राजयोगिनी बीके डॉ उषा दीदी ने मुख्य वक्तव्य देते हुए कहा कि इस युग को चुनौतियों का युग कहा गया है। चुनौतियों से किसी के जीवन मे तनाव तो किसी की जीवन में अवसाद भी आ जाता है।जिसके लिए आध्यात्मिकता की शक्ति की आवश्यकता है। चुनौती हरेक के जीवन मे आती है, लेकिन किसी किसी के लिए यही चुनौती अवसर के द्वार खोलती है। जो सही निर्णय लेता है, उसके लिए अवसर के द्वार खोल देती है। जो स्वार्थ के कारण गलत निर्णय कर लेते हैं, बाद में उन्हें अफसोस करना पड़ता है।
बीके डॉ सुनीता ने माना कि चुनोतियां हमारी आंतरिक शक्तियों को बढ़ाने के लिए आती है। लेकिन जब हम स्वयं पर यह विश्वास करते हैं,कि मैं शिवशक्ति हूँ, तब सुख, शांति, प्रेम देने का भाव स्वतः आ जाता हैं, तब चुनौती आगे बढ़ने की सीढ़ी बन जाती है।जयपुर से आई बीके चंद्रकला दीदी ने कहा कि मनोवृत्ति दूषित हो तो नज़रिया नेगेटिव हो जाता है।
ऐसे में हम दूसरों को गिराने का प्रयास करते हैं, जबकि आध्यात्मिकता लक्ष्य की तरफ लेकर जाती है।इस सत्र के विशिष्ट अथिति विक्रमशिला हिंदी विद्यापीठ के उपकुलपति व वरिष्ठ साहित्यकार डॉ श्री गोपाल नारसन ने अपना अनुभव सुनाया कि अगर हमारे अंदर आध्यात्मिक ताकत आ जाये तो कोई चुनौती नहीं टिक सकती। उन्होंने कहा कि एक बार परमात्मा से रिश्ता बनाइये।
जब आप परमात्मा को अपना बना लेंगे तो परमात्मा भी आपको अपना लेगा। तब आप आप निश्चित ही नकारात्मकता से सकारात्मकता की और बढ़ेंगे।राजयोगिनी उषा दीदी ने संस्थान की ओर से श्रीगोपाल नारसन का शॉल ओढ़ाकर व ईश्वरीय सौगात देकर उन्हें सम्मानित भी किया।इस कार्यक्रम में रुड़की के पूर्व वैज्ञानिक गोपाल राजू व हरिद्वार से वरिष्ठ पत्रकार राधिका नागरथ भी मौजूद रहे।