हरिद्वार ।पतंजलि विश्वविद्यालय के द्वितीय दीक्षांत समारोह को सम्बोधित करते मुख्य अतिथि महामहिम राष्ट्रपति श्रीमती द्रौपदी मुर्मु ने कहा कि आज उपाधि प्राप्त करने वाले प्रत्येक विद्यार्थी को मेरी हार्दिक बधाई और आशीर्वाद! पदक प्राप्त करने वाले विद्यार्थियों की मैं प्रशंसा करती हूं। विद्यार्थियों के जीवन-निर्माण में सहभागी अध्यापकों और अभिभावकोंको मैं बधाई देती हूं। छात्राओं के अभिभावकों की मैं विशेष सराहना करती हूं।

उन्होंने कि आज उपाधि पाने वाले विद्यार्थियों में 64 प्रतिशत संख्या बेटियों की है। पदक प्राप्त करने वाली बेटियों की संख्या छात्रों की तुलना में चैगुनी है। यहां शिक्षा प्राप्त कर रहे कुल विद्यार्थियों में बेटियों की संख्या 62 प्रतिशत है। यह केवल संख्या नहीं है, यह महिलाओं के नेतृत्व में आगे बढ़ने वाले विकसित भारत का अग्रिम स्वरूप है। साथ ही, यह भारतीय संस्कृति की उस महान परंपरा का विस्तार है जिसमें गार्गी, मैत्रेयी, अपाला और लोपामुद्रा जैसी विदुषी महिलाएं समाज को बौद्धिक और आध्यात्मिक नेतृत्व प्रदान करती थीं। मुझे विश्वास है कि हमारी शिक्षित बेटियां अपनी आंतरिक शक्ति और प्रतिभा से भारत-माता का गौरव बढ़ाएंगी।

उन्होंने कहा कि लोक-परंपरा में ‘हरि’-द्वार का यह परम पावन क्षेत्र ‘हर’-द्वार के नाम से भी जाना जाता है। इस परंपरा के अनुसार,यह पवित्र स्थान ‘हरि’ यानी विष्णु के दर्शन का द्वार भी है तथा ‘हर’ यानी शिव के दर्शन का भी द्वार है। ऐसे पवित्र भूखंड में देवी सरस्वती की आराधना करने वाले विद्यार्थी और आचार्य बहुत सौभाग्यशाली हैं।
हिमालय के इस अंचल से अनेक पवित्र नदियां तो निकलती ही हैं, यहां से ज्ञान-गंगा की अनेक धाराएं भी प्रवाहित होती हैं। उनमें इस विश्व-विद्यालय की एक अविरल धारा भी जुड़ गई है।

उन्होंने कहा कि भारतीय संस्कृति के अनुसार आधुनिक शिक्षा को प्रोत्साहित करने वाले इस विश्व-विद्यालय में शिक्षा प्राप्त करने का निर्णय आप सबने लिया। इससे, आप सब एक महान सांस्कृतिक परंपरा के संवाहक बने हैं। इसके लिए मैं आप सबकी तथा आप सबके अभिभावकों की सराहना करती हूं।

उन्होंने कह कि भारत की महान विभूतियों ने मानव-संस्कृति के निर्माण में अमूल्य योगदान दिया है। मुनियों में श्रेष्ठ,महर्षि पतंजलि नेयोग के द्वारा चित्त की,व्याकरण के द्वारा वाणी की तथा आयुर्वेद के द्वारा शरीर की अशुद्धियों को दूर किया। उनकोविनीत होकर,करबद्ध प्रणाम करने की हमारी परंपरा है। उनके पवित्र नाम पर स्थापित इस विश्व-विद्यालय के परिसर से मैं महर्षि पतंजलि को सादर प्रणाम करती हूं।

उन्होंने कह कि इस विश्व-विद्यालय द्वारा महर्षि पतंजलि की महती परंपरा को आज के समाज के लिए सुलभ कराया जा रहा है। योग एवं आयुर्वेद के प्रचार-प्रसार में इस योगदान की मैं सराहना करती हूं। मुझे बताया गया है कि इस विश्व-विद्यालय द्वारा योग-पद्धति, आयुर्वेद एवं प्राकृतिक चिकित्सा के क्षेत्रों में शिक्षा एवं अनुसंधान को आगे बढ़ाया जा रहा है। यह प्रयास स्वस्थ भारत के निर्माण में सहायक है। इसके लिए मैं आप सबकी सराहना करती हूं। आपके विश्व-विद्यालय की भारत-केन्द्रित शिक्षा-दृष्टि के प्रमुख आयामों पर मेरा ध्यान गया जिनसे मैं बहुत प्रभावित हुई हूं। ये आयाम है विश्व बंधुत्व की भावना, प्राचीन वैदिक ज्ञान एवं नूतन वैज्ञानिक अनुसंधान का समन्वय, तथा वैश्विक चुनौतियों का समाधान। पतंजलि विश्व-विद्यालय भारतीय ज्ञान परंपरा को आधुनिक संदर्भों में आगे बढ़ा रहा है। आप सब इस ज्ञान-यज्ञ के गौरवशाली सहयोगी हैं।

उन्होंने कहा कि वसुधैव कुटुंबकम् का हमारा सांस्कृतिक आदर्श पृथ्वी एवं मानवता के समग्र कल्याण से अनुप्राणित है। आप सबने,इस मनोरम स्थान पर,इस विश्व-विद्यालय के आदर्शों के अनुरूप शिक्षा प्राप्त की है। आप सबने यह अनुभव किया होगा कि पर्यावरण का संरक्षण करना तथा जीवनशैली को प्रकृति के अनुरूप ढालना मानव समुदाय के भविष्य के लिए अनिवार्य है।मुझे विश्वास है कि आप सब जलवायु-परिवर्तन सहित अन्य वैश्विक चुनौतियों का सामना करने में सदैव तत्पर रहेंगे।
इस विश्व-विद्यालय की ध्येय-दृष्टि की अभिव्यक्ति में सभी लोगों के सुखी रहने की कामना की गई है।सर्वमंगल की यह कामना हमारी संस्कृति की पहचान है। इस मंगलकामना से ही समरसता एवं समावेशी विकास का मार्ग प्रशस्त होता है। मुझे विश्वास है कि आप सभी विद्यार्थी समरसता के जीवन-मूल्य को कार्यरूप देंगे। सदाचार पर आधारित शिक्षा का प्रसार करने के लिए मैं आपके इस विश्व-विद्यालय की सराहना करती हूं।

उन्होंने कहा कि कहा कि इस विश्व-विद्यालय द्वारा योग एवं आयुर्वेद केशिक्षण को प्रमुखता दी जाती है। साथ ही, विज्ञान एवं अध्यात्म के समन्वय से शांतिपूर्ण जीवनशैली को अपनानेका मार्गदर्शन दिया जाता है। शिक्षा का यह मार्ग आपके जीवन-निर्माण में सहायक है तथा हमारे पूरे समाज के लिए कल्याणकारी है।

उन्होंने कहा कि श्रीमद्भगवद्गीता के एक अध्याय में, भगवान श्रीकृष्ण ने, दैवी सद्गुणों और समृद्धियों के विषय में भी बताया है। उन्होंने दैवी सद्गुणों में स्वाध्याय तप आर्जवम् को शामिल किया है। स्वाध्याय का अर्थ है निष्ठापूर्वक अध्ययन एवं मनन। तप का अर्थ है कष्ट सहते हुए भी अपने कर्तव्य का पालन करना। आर्जवम् का अर्थ है अन्तःकरण एवं आचरण की सरलता। दीक्षांत के बाद भी स्वाध्याय की प्रक्रिया में आपको आजीवन संलग्न रहना है। तपस्या और सरलता, जीवन को शक्ति देने वाले मूल्य हैं। मैं आशा करती हूं कि आप सभी विद्यार्थी-गण स्वाध्याय, तपस्या एवं सरलता के जीवन-मूल्यों को अपनाकर अपने जीवन को सार्थक बनाएंगे।

उन्होंने कहा कि मां गंगा के धरती पर अवतरण के इस पावन क्षेत्र में शिक्षा प्राप्त करने वाले आप सभी विद्यार्थियों को भगीरथ की अमर कथा को अपने हृदय में स्थान देना चाहिए। अपनी कठिन तपस्या के द्वारा मां गंगा को धरती पर लाने के अपने संकल्प को उन्होंने सिद्ध किया था। मैं चाहूंगी कि आप सभी विद्यार्थी-गण भगीरथ-प्रयास को अपना आदर्श बनाकर जीवन-निर्माण तथा राष्ट्र-निर्माण से जुड़े अपने संकल्पों को सिद्ध करें।

उन्होंने कहा कि व्यक्ति-निर्माण से परिवार-निर्माण होता है। परिवार-निर्माण से समाज और राष्ट्र का निर्माण होता है। एक संस्कार-वान व्यक्ति में साहस और शांति का संगम होता है। इस विश्व-विद्यालय ने व्यक्ति-निर्माण से राष्ट्र-निर्माण का मार्ग अपनाया है। इसके लिए, मैं विश्व-विद्यालय से जुड़े सभी लोगों की सराहना करती हूं। मुझे विश्वास है कि इस विश्व-विद्यालय के पूर्व, वर्तमान एवं भावी विद्यार्थी-गण सदाचार के साथ स्वस्थ समाज एवं विकसित भारत के निर्माण में महत्वपूर्ण योगदान देंगे।

*राष्ट्रपति द्वारा इन छात्र-छात्रओं को प्रदान किए गय मेडल*

साध्वी देवपूजा जी 90 प्रतिशत अंक के साथ विश्वविद्यालय की टॉपर, देवेन्द्र सिंह (स्वामी इन्द्रदेव) एम.ए. संस्कृत व्याकरण 94 प्रतिशत, बी.ए. संस्कृत व्याकरण 89 प्रतिशत, मानसी (साध्वी देववाणी) (ट्रिपल गोल्ड मेडलिस्ट – बी.ए. संस्कृत व्याकरण, एम.ए. संस्कृत व्याकरण तथा एम.ए. योगा साइंस), अजय कुमार (स्वामी आर्षदेव) एम.ए. दर्शन में 92 प्रतिशत, रीता कुमारी (साध्वी देवसुधा) एम.ए. संस्कृत व्याकरण 90 प्रतिशत, शालू भदौरिया (साध्वी देवशीला) बी.ए. दर्शन में 90 प्रतिशत अंशिका, बीए योगा साइंस 87 प्रतिशत, प्रीति पाठक, एम.ए. साइकोलॉजी में 87 प्रतिशत, पूर्वा, एमएससी योगा साइंस 85 प्रतिशत, मैत्रेई, बी.एस-सी. योगा साइंस में 83 प्रतिशत।

पतंजलि विश्वविद्यालय के द्वितीय दीक्षांत समारोह को सम्बोधित करते हुए राज्यपाल लेफ्टिनेंट जनरल गुरमीत सिंह (से नि) ने माननीय राष्ट्रपति श्रीमती द्रौपदी मुर्मु जी का हार्दिक स्वागत एवं अभिनंदन करते हुए उनके देवभूमि आगमन को गर्व का क्षण बताया। राज्यपाल ने कहा कि देवभूमि उत्तराखण्ड केवल एक राज्य नहीं, बल्कि योग, आयुर्वेद और अध्यात्म का प्राण-केंद्र है। इस पवित्र धरती से निकली योग और आयुर्वेद की परंपरा ने न केवल भारत को, बल्कि समूचे विश्व को स्वास्थ्य, संतुलन और सद्भाव का संदेश दिया है। उत्तराखण्ड की यह ऋषि-परंपरा आज भी हमें यह प्रेरणा देती है कि ज्ञान का सर्वोच्च उद्देश्य केवल आत्म-विकास नहीं, बल्कि विश्व-कल्याण है।

उन्होंने उपाधि प्राप्त करने वाले सभी विद्यार्थियों को हार्दिक शुभकामनाएँ दीं और आशा व्यक्त की कि हमारे स्वास्थ्य-योद्धा दीक्षांत समारोह के पश्चात आने वाली चुनौतियों का सफलतापूर्वक सामना करेंगे। आज इस दीक्षांत समारोह में उपाधियाँ प्राप्त करने वाले विद्यार्थी अपने राष्ट्र, प्रदेश और समाज की उम्मीदों पर खरे उतरेंगे तथा अपनी शिक्षा, प्रतिभा एवं प्रशिक्षण का उपयोग मानव-कल्याण के लिए करेंगे।

राज्यपाल ने कहा कि हमारे ऋषि-मुनियों ने जो ज्ञान अर्जित किया, वह केवल हमारे लिए नहीं, बल्कि संपूर्ण ब्रह्माण्ड के कल्याण के लिए था। आदरणीय प्रधानमंत्री श्री नरेन्द्र मोदी जी ने संयुक्त राष्ट्र संघ में अंतर्राष्ट्रीय योग दिवस को स्वीकृति दिलाकर योग के विज्ञान पर किए गए हजारों वर्षों के कार्य को वैश्विक मंच प्रदान किया। विगत कुछ वर्षों में योग और आयुर्वेद के माध्यम से स्वास्थ्य के क्षेत्र में एक बड़ी क्रांति आई है, और आज करोड़ों लोग इनके माध्यम से स्वास्थ्य-लाभ प्राप्त कर रहे हैं।

इस अवसर पर राज्यपाल लेफ्टिनेंट जनरल गुरमीत सिंह (से नि) ने राष्ट्रपति को राष्ट्रपति भवन की विविध वनस्पतियों पर आधारित दो पुस्तकें फ्लोरा आॅफ राष्ट्रपति भवन एवं मेडिसिनल प्लांट्स आॅफ राष्ट्रपति भवन की प्रतिलिपियाॅ भी भेंट की।

पतंजलि विश्वविद्यालय के द्वितीय दीक्षांत समारोह को सम्बोधित करते हुए मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी ने कहा कि पतंजलि विश्वविद्यालय के द्वितीय दीक्षांत समारोह में स्नातक, स्नातकोत्तर एवं उपाधियाँ प्राप्त करने वाले सभी विद्यार्थियों को हार्दिक बधाई देता हूं और आप सभी के उज्ज्वल भविष्य की कामना की।

उन्होंने कहा कि मेरे लिए अत्यंत हर्ष का विषय है आज इस दीक्षान्त समारोह के गौरवपूर्ण अवसर पर आदरणीय महामहीम राष्ट्रपति महोदया जी की प्रेरणादाई उपस्थिति में होने का सुअवसर प्राप्त हुआ है।

उन्होंने कहा कि आदरणीय राष्ट्रपति जी का संघर्षशील जीवन, सरल स्वभाव एवं विनम्र आचरण हम सभी के लिए प्रेरणा का अनुपम स्त्रोत है। आपने सदैव अंतिम पंक्ति में खड़े व्यक्ति के कल्याण को प्राथमिकता देते हुए समाज के वंचित, शोषित एवं पिछड़े वर्गों के सशक्तिकरण के लिए कार्य किया है।

उन्होंने कहा कि महामहिम राष्ट्रपति ने हाल ही में जब लड़ाकू विमान ‘राफेल’ में उड़ान भरी, तो पूरे देश ने उनकेे अदम्य साहस, राष्ट्रभक्ति और दृढ़ संकल्प का प्रेरक उदाहरण देखा। तथा आपके व्यक्तित्व में मातृत्व की ममता, सेवा का संकल्प और राष्ट्र के प्रति अटूट समर्पण का अद्भुत संगम निहित है। यह हम सभी उत्तराखंडवासियों का सौभाग्य है कि उत्तराखंड राज्य स्थापना के 25 वर्ष पूर्ण होने के ऐतिहासिक अवसर पर हमें आदरणीय राष्ट्रपति जी का सान्निध्य और मार्गदर्शन प्राप्त करने का सुअवसर मिल रहा है। इसके लिए मैं, आदरणीय राष्ट्रपति जी का अपनी और समस्त उत्तराखंड वासियों की ओर से कोटि कोटि आभार व्यक्त करता हूँ।

उन्होंने विद्यार्थियों से कहा कि यह दीक्षांत समारोह आपके जीवन का एक महत्वपूर्ण पड़ाव है। ये केवल डिग्री प्राप्त करने का अवसर मात्र नहीं, बल्कि आपके कठिन परिश्रम और समर्पण का भी प्रमाण है। उन्होंने कह कि आज से एक नई यात्रा पर निकल रहे हैं, जहां आपकी शिक्षा और संस्कार एक शक्तिशाली और विकसित भारतवर्ष के निर्माण में महत्वपूर्ण योगदान देंगे। तथा आशा करता हूँ कि आप अपने ज्ञान और कौशल का उपयोग करके न केवल अपना भविष्य बेहतर बनाएंगे, बल्कि अपने परिवार की सुख-समृद्धि और समाज के कल्याण में भी महत्वपूर्ण भूमिका निभाएंगे।

उन्होंने कह कि आज योग ऋषि स्वामी रामदेव जी के मार्गदर्शन में पतंजलि विश्वविद्यालय आधुनिक शिक्षा को भारतीय संस्कारों और परंपराओं से जोड़ने का अतुलनीय कार्य कर रहा है। यहाँ विज्ञान और अध्यात्म का अद्भुत संगम देखने को मिलता है, जहाँ विद्यार्थी केवल ज्ञान ही नहीं, बल्कि भारतीय जीवन मूल्यों की भी शिक्षा प्राप्त करते हैं। पतंजलि विश्वविद्यालय वास्तव में भारत की प्राचीन गुरुकुल परंपरा की पुनर्स्थापना का जीवंत उदाहरण बन रहा है। इस विश्वविद्यालय ने आधुनिक विज्ञान और भारतीय ज्ञान परंपरा के समन्वय से एक ऐसी शिक्षा पद्धति विकसित की है, जो योग, आयुर्वेद, विज्ञान और प्रौद्योगिकी को एक सूत्र में पिरोने का कार्य कर रही है।

उन्होंने कहा कि आज प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के मार्गदर्शन एवं सहयोग से हमारी राज्य सरकार उत्तराखंड को अन्य क्षेत्रों की भांति शिक्षा और नवाचार के क्षेत्र में भी अग्रणी राज्य के रूप में स्थापित करने के लक्ष्य के साथ कार्य कर रही है, तथा जहां एक ओर नई शिक्षा नीति को लागू कर प्रदेश के विश्वविद्यालय और शोध संस्थानों में आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस, मशीन लर्निंग और बिग डेटा जैसे कोर्सेज को संचालित करने की पहल की गई है। वहीं, हमने भारतीय संस्कृति, दर्शन और इतिहास के गहन अध्ययन के लिए दून विश्वविद्यालय में “सेंटर फॉर हिंदू स्टडीज” की स्थापना भी की है। इसके साथ ही, हम देहरादून में सांइस सिटी, हल्द्वानी में एस्ट्रो पार्क और अल्मोड़ा में सांइस सेंटर के निर्माण के माध्यम से राज्य में साइंटिफिक रीसर्च को भी बढ़ावा देने की दिशा में कार्य कर रहे हैं। आज का रोजगार परिदृश्य तेजी से बदल रहा है, तकनीकी नवाचार और वैश्विक परिवर्तन के कारण रोजगार के नए अवसर उत्पन्न हो रहे हैं और पुराने खत्म हो रहे हैं। इसके लिए हमें अपने युवाओं को फ्यूचर-रेडी बनाना होगा। इस दिशा में हमने स्टार्टअप और इनोवेशन को बढ़ावा देने के लिए इन्क्यूबेशन सेंटर स्थापित किए हैं, जिससे युवाओं में उद्यमिता को विकसित किया जा सके। हमारा उद्देश्य है कि हमारे युवा केवल नौकरी ढूंढने वाले नहीं, बल्कि नौकरी देने वाले भी बनें। यहां पर उपस्थित आपमें से कई छात्र-छात्राएं आगे चलकर सरकारी नौकरी में जाने का सपना भी देख रहे होंगे। आपके ये सपने और मेहनत किसी भी नकल माफिया की भेंट न चढ़े, इसके लिए हमारी सरकार ने उत्तराखण्ड में देश का सबसे कठोर नकल विरोधी कानून लागू किया है। जिसका परिणाम है कि पिछले साढ़े 4 वर्षों में राज्य में 26 हजार से अधिक युवाओं को सरकारी नौकरी पाने में सफलता प्राप्त हुई है। मुझे जब भी शिक्षा जगत के महानुभावों और युवाओं के साथ संवाद करने का अवसर मिलता है, तो मैं, राज्य सरकार के ‘सर्वश्रेष्ठ उत्तराखण्ड‘ निर्माण के अपने ‘विकल्प रहित संकल्प‘ को दोहराता हूँ क्योंकि मेरा मानना है कि जिस संकल्प में कोई विकल्प नहीं होता और जो निरन्तर दोहराया जाता है वो अवश्य पूर्ण होता है। और मुझे विश्वास है कि हमारे इस संकल्प को पूर्ण करने में आप सभी का सहयोग हमें इसी प्रकार मिलता रहेगा।

पतंजलि विश्वविद्यालय के कुलाधिपति स्वामी रामदेव ने कहा कि आज दीक्षांत समारोह में महामहिम राष्ट्रपति पहॅूकर उनकी गरिमामयी उपस्थिति में कार्यक्रम आयोजित किया गया तथा विश्वविद्यालय के छात्र-छात्रओं को अपना अर्शीवाद दिया। उन्होंने कहा कि विश्वविद्यालय के होनहार छात्रओं द्वारा कड़ी मेहनत एवं लगन से 54 छात्र-छात्राओं को स्वर्ण पदक प्राप्त किए है तथा 62 शोधार्थियों को पीएचडी 3 विद्वानों को डी.लिट. की उपाधि तथा 744 स्नातक एवं 615 परास्नातक विद्यार्थियों सहित कुल 1424 विद्यार्थियों को डिग्रियाँ प्रदान की गयी है। यह दीक्षांत समारोह न केवल विद्यार्थियों के लिए गर्व और उपलब्धि का क्षण रहा है बल्कि पतंजलि विश्वविद्यालय की शैक्षणिक यात्रा का एक स्वर्णिम अध्याय भी सिद्ध होगा।

इस अवसर पर पतंजलि विश्वविद्याय के कुलपति आचार्य बालकृष्ण ने पंतजलि द्वारा समाजिक क्षेत्र में किये जा रहे कार्यों तथा विश्वविद्यालय द्वारा हांसिल कि गयी उपलब्धियों के बारे में विस्तार से जानकारी उपलब्ध करायी गयी।

दीक्षांत समारोह के अवसर पर हरिद्वार सांसद पूर्व मुख्यमंत्री त्रिवेंद्र सिंह रावत, राज्य सभा सांसद कल्पना सैनी, पूर्व कैबनेट मंत्र यतिश्वरानंद महाराज, जिला पंचायत अध्यक्ष किरन चैधरी, जिला अध्यक्ष भाजपा हरिद्वार अशुतोष शर्मा, रूड़की डाॅ. मधु सिंह, आयुष सचिव दीपेद्र कुमार चैधरी, आईजी गढ़वाल राजीव स्वरूप, जिलाधिकारी मयूर दीक्षित, वरिष्ठ पुलिस अधीक्षक, प्रमेन्द्र सिंह डोभाल, मुख्य विकास अधिकारी ललीत नारायण मिश्रा, ज्वाइंट मजिस्ट्रेट रूड़की दीपक रामचंद सेठ, पुलिस अधीक्षक ग्रामिण शेखर सुयाल, पुलिस अधीक्षक क्राईम जितेन्द्र मेहरा, पुलिस अधीक्षक सीटी अभय प्रताप सिंह, अपर जिलाधिकारी प्रशासन पीआर चैहान, उपजिलाधिकारी जितेन्द्र कुमार, सौरभ असवाल, देवेन्द्र नेगी, सीटी मजिस्ट्रेट कुश्म चैहान सहित सभी जिला स्तरीय अधिकारी, गणमान्य व्यक्ति छात्र-छात्राएॅ एवं अभिभावक मौजूद रहें।


By Shashi Sharma

Shashi Sharma Working in journalism since 1985 as the first woman journalist of Uttarakhand. From 1989 for 36 years, she provided her strong services for India's top news agency PTI. Working for a long period of thirty-six years for PTI, he got her pen ironed on many important occasions, in which, by staying in Tehri for two months, positive reporting on Tehri Dam, which was in crisis of controversies, paved the way for construction with the power of her pen. Delivered.

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