-रुद्राक्ष का पौधा भेंट कर दिया हरियाली संवर्द्धन, पर्यावरण संरक्षण और सेवा का शुभ संदेेश
-यमुना जी को स्वच्छ व प्रदूषण मुक्त करने, पर्यावरण संरक्षण, युवा पीढ़ी में संस्कारों का संरक्षण व संवर्द्धन हेतु विशद् चर्चा

नई दिल्ली, ऋषिकेश। परमार्थ निकेतन के अध्यक्ष, स्वामी चिदानन्द सरस्वती जी और भारत के 14वें राष्ट्रपति, श्री रामनाथ कोविंद जी से दिल्ली में एक सौहार्दपूर्ण भेंटवार्ता हुई। यह भेंटवार्ता विचारों, मूल्यों और राष्ट्रनिर्माण हेतु प्रतिबद्धताओं की एक समर्पित संवाद वार्ता थी।
स्वामी चिदानन्द सरस्वती जी ने इस अवसर पर श्री कोविंद जी को हिमालय की हरित भेंट स्वरूप एक रुद्राक्ष का पौधा भेंट किया, जो पर्यावरण संरक्षण, हरियाली संवर्द्धन और पर्यावरण सेवा चेतना का प्रतीक है। इस भेंटवार्ता के दौरान यमुना जी की स्वच्छता, जल प्रदूषण की रोकथाम, पर्यावरण संरक्षण और युवाओं में संस्कारों के पुनरोत्थान जैसे विविध विषयों पर गहन चर्चा हुई। स्वामी जी ने कहा कि आज के युग में केवल भौतिक शिक्षा ही पर्याप्त नहीं है, अपितु संस्कारों और संस्कृति की शिक्षा को भी उतनी ही प्राथमिकता देना होगा।
श्री रामनाथ कोविंद जी ने भी पर्यावरणीय चुनौतियों और सामाजिक उत्तरदायित्वों को लेकर अपनी गहरी चिंता और प्रतिबद्धता व्यक्त की। उन्होंने विशेष रूप से युवाओं में नैतिक मूल्यों के समावेश और नदियों के संरक्षण हेतु चल रहे प्रयासों की सराहना की।
स्वामी चिदानन्द सरस्वती जी ने बताया कि माननीय 14वें राष्ट्रपति श्री रामनाथ कोविंद जी अपने संवैधानिक कार्यकाल की निवृति के पश्चात भी पूर्ण रूप से राष्ट्रसेवा में संलग्न हैं। वे न केवल सामाजिक सरोकारों से जुड़े हैं, बल्कि शिक्षा के साथ-साथ संस्कारों के प्रचार-प्रसार हेतु भी निरंतर सक्रिय हैं।
स्वामी जी ने कहा कि श्री कोविंद जी का जीवन भारतीय संस्कृति, अनुशासन और कर्तव्यपरायणता का जीवंत उदाहरण है। उनका मानना है कि शिक्षा के साथ यदि संस्कार न हों तो वह अधूरी है। बच्चों को अगर शुरू से ही पर्यावरण, सेवा, करुणा और संस्कृति के सुसंस्कार मिले तो वे न केवल अच्छे नागरिक बनेंगे, बल्कि राष्ट्र के लिए अमूल्य धरोहर सिद्ध होंगे।
स्वामी जी ने कहा कि पूरा कोविंद परिवार भारतीय संस्कृति और आदर्शों का प्रतीक है। उनके जीवन में शालीनता, सेवा और सादगी का जो मेल है, वह आज के युग के लिए अत्यंत प्रासंगिक है। उन्होंने कहा कि जब राष्ट्र के प्रथम नागरिक का जीवन स्वयं अनुकरणीय हो, तो वह देश की जनता के लिए मार्गदर्शन बन जाता है।
स्वामी जी ने कहा कि आज परिवारों में संस्कारों की नितांत आवश्यकता है। यदि हम अपनी नई पीढ़ी को ज्ञान के साथ-साथ करुणा, सह-अस्तित्व, सेवा और संयम जैसे जीवनमूल्य दें, तो हम एक सशक्त, समर्पित और संवेदनशील भारत का निर्माण कर सकते हैं।
स्वामी जी ने कहा कि आज का युग विज्ञान, तकनीक और सूचना की तीव्र गति का युग है। बच्चों और युवाओं के पास ज्ञान, अवसर और संसाधन तो बहुत हैं, परंतु यदि उनके भीतर मूल्य नहीं हैं, तो ये सारी प्रगति खोखली सिद्ध हो सकती है। ऐसे में संस्कार ही वह आधार हैं जो किसी भी व्यक्ति को अच्छा मानव, उत्तरदायी नागरिक और संवेदनशील समाजसेवी बनाते हैं।
संस्कारों से व्यक्ति में करुणा, संयम, सेवा, सह-अस्तित्व और आत्मअनुशासन का विकास होता है। वे उसे केवल ष्सफलष् नहीं बल्कि सार्थक जीवन जीने की प्रेरणा देते हैं। आज जब परिवार छोटे हो रहे हैं, और डिजिटल संस्कृति तेजी से बच्चों की सोच को प्रभावित कर रही है, तब अच्छे संस्कार ही उन्हें सही और गलत का भेद सिखा सकते हैं।
संस्कार उन्हें भौतिकता की अंधी दौड़ में आत्मा की शांति और जीवन की सच्ची खुशी की ओर ले जाते हैं। यही कारण है कि आज की पीढ़ी को तकनीक के साथ-साथ संस्कारों की घुट्टी देना अत्यंत आवश्यक है, ताकि वे केवल स्मार्ट न बनें, बल्कि संवेदनशील, जागरूक और चरित्रवान बनें, जो भारत को एक सशक्त, संतुलित और आध्यात्मिक राष्ट्र बना सकें।
श्री रामनाथ कोविंद जी ने कहा कि पूज्य स्वामी जी से जब भी भेंट होती है एक दिव्य ऊर्जा का अहसास सदैव होता है।
स्वामी जी ने पूरे कोविंद परिवार श्री रामनाथ कोविंद जी, श्रीमती सविता कोविंद जी और बेटी स्वाति कोविंद जी को रूद्राक्ष का पौधा भेंट किया।


By Shashi Sharma

Shashi Sharma Working in journalism since 1985 as the first woman journalist of Uttarakhand. From 1989 for 36 years, she provided her strong services for India's top news agency PTI. Working for a long period of thirty-six years for PTI, he got her pen ironed on many important occasions, in which, by staying in Tehri for two months, positive reporting on Tehri Dam, which was in crisis of controversies, paved the way for construction with the power of her pen. Delivered.

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